तेगूबेहड़ बोझ बंटाने को तैयार, बस हां करे सरकार

By: Jul 19th, 2018 12:05 am

 भुंतर -जिला अस्पताल कुल्लू में मरीजों के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य  केंद्रों में सुविधा देकर इन्हें शिफ्ट करवाने की वकालत सामाजिक संगठनों ने की है। जिला कुल्लू में कहीं मरीजों को इलाज के लिए जगह नहीं है तो कहीं जगह है, मगर मरीज नहीं हैं। एक ओर क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में मरीजों को फर्श पर लेटाया जा रहा है और एक बेड पर दो-दो मरीजों को रखकर इलाज करने की नौबत आ रही है, तो दूसरी ओर महज दस किलोमीटर के भीतर स्थित तेगूबेहड़ सीएचसी में चौबीस घंटे की सेवाएं आरंभ करने की हिम्मत सरकार नहीं जुटा पा रही है। लिहाजा, सामाजिक संगठनों ने स्वास्थ्य महकमे और सरकार से गुहार लगाई है कि कुल्लू में मरीजों को ठूंस-ठूंस कर भरने के बजाय तेगूबेहड़ और अन्य मिनी अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था करवाई जाए।  जिला की रूपी घाटी की सामाजिक संस्था चहुंमुखी लोक विकास मंच के पदाधिकारी एचएल ठाकुर, यशपाल, बहादुर सिंह, पुष्पा देवी, मेहर चंद आदि ने कहा है कि साढ़े चार करोड़ के आलीशान भवन और डाक्टरों की पूरी टीम होने के बावजूद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीज सुविधाओं से महरूम है। उन्होंने बताया कि शाम चार बजे अस्पताल में कार्य बंद हो जाता है ,जिसके चलते मरीजों को यहां भर्ती नहीं करवाया जा रहा है और मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उनके अनुसार रूपी-पार्वती घाटी की 22, खोखण क्षेत्र की दस पंचायतों की करीब डेढ़ लाख की आबादी का केंद्र बिंदु है। संगठन ने विभाग से आग्रह किया है कि तेगुबेहड़ में व्यवस्था बना कर साधारण बीमारियों के मरीजों का यहां पर ईलाज किया जाए जिससे कुल्लू अस्पताल पर बोझ कम पड़े। बहरहाल, कुल्लू अस्पताल में मरीजों के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए सामाजिक संगठनों ने रास्ता सुझाया है।

बरसात में बढ़े सर्दी-जुकाम के मरीज

जिला कुल्लू में मानसून की बारिश के साथ ही सर्दी, जुखाम, बुखार और अन्य बीमारियों के रोगी बढ़ने लगे हैं और अस्पताल में पहुंच रहे हैं। जानकारी के अनुसार तेगूबेहड़ मिनी अस्पताल में भी हर रोज दर्जनों मरीज इन बीमारियों के पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां पर टीम होने के बावजूद एडमिट करवाने की सुविधा नहीं है और ऐसे में मरीजों को कुल्लू रैफर करना पड़ रहा है। कुल्लू में पहले से भीड़ होने के कारण मरीजों को फर्श पर लेटाया जा रहा है, तो दो-दो मरीजों को एक ही बेड पर रखने की नौबत आ रही है।


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