यू ट्यूब पर ज्ञान बांटती ऊना की गौरी

By: Jul 1st, 2018 12:08 am

कोई कितना भी गिराने की कोशिश कर ले हम शिखर तक पहुंच ही जाएंगी। सच में बेटियों  के ऊपर कितने भी अत्याचार हो जाएं, लेकिन वह घबराने वाली नहीं। हर फील्ड पर कामयाबी को अपने नाम कर रही हैं बेटियां। ऐसा ही कुछ कर दिखाया जिला ऊना की गौरी मनकोटिया ने। एमएससी बायोलॉजी व एमफिल तक शिक्षा हासिल करने के बाद गुरुग्राम के लोटस इंटरनेशनल पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बायो अध्यापक के रूप में अपनी सेवाएं दे रही ऊना जिला की गौरी मनकोटिया के बायो लेक्चर्ज यू-टयूब पर खूब सराहे जा रहे हैं।

कन्या शिशु दर में गिरावट के चलते देश के 100 जिलों में शुमार हो चुके ऊना जिला की बेटियां हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा के झंडे गाड़ रही हैं। डिजिटल वर्ल्ड के दौर में ऊना की बेटी इन दिनों यू-ट्यूब पर अपने बायो लेक्चर्ज के चलते ट्रेंड कर रही हैं। गौरी मनकोटिया छठी से दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए बायो लेक्चर्ज को यू-ट्यूब पर शेयर कर रही हैं। ये लेक्चर्ज देश-विदेश में खासे लोकप्रिय साबित हो रहे हैं। हाल ही में उनका आईसीएसई दसवीं कक्षा के लिए स्ट्रक्चर ऑफ हार्ट विषय पर लेक्चर 38 हजार लोगों द्वारा देखा जा चुका है। यू-ट्यूब पर गौरी मनकोटिया के साढ़े 12 हजार से भी अधिक सब्सक्राइब हैं। जबकि अभी तक वह 72 वीडियो अपलोड कर चुकी हैं, जिनकी कुल व्यूअरशिप 9 लाख क्रास कर चुकी है। गौरी मनकोटिया के पिता करणपाल सिंह मनकोटिया सेवानिवृत्त अध्यापक हैं। जबकि उनके पति जोगेंद्र प्रताप सिंह गुरुग्राम में एमएनसी में सहायक प्रबंधक हैं। उनके जुड़वा बेटा-बेटी हैं। बेटा नव्य प्रताप सिंह व बेटी नव्याशा दोनों सात साल के हैं। गौरी मनकोटिया का जन्म 14 जनवरी, 1984 को चंडीगढ़ में हुआ। इसके बाद इन्होंने दसवीं की पढ़ाई माउंट कार्मल स्कूल ऊना, जमा दो की शिक्षा डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल ऊना से की। इसके बाद जबकि गुरू नानक देव विवि अमृतसर से एमएससी बायोलॉजी तथा विनायिका मिशन विश्वविद्यालय तमिलनाडु से एमफिल की डिग्री हासिल की। वर्ष 2007 में गौरी मनकोटिया ने माउंट कार्मल स्कूल में एक अध्यापक के रूप में जॉब की। वर्ष 2009 में इनकी शादी हो गई और यह गुरुग्राम में ही सैटल हो गईं। अतुल कटारिया स्कूल गुरुग्राम  में पांच साल तक पढ़ाया और अब लोटस इंटरनेशनल स्कूल गुरुग्राम  में जॉब कर रही हैं। गौरी को 8 वर्ष का टीचिंग अनुभव है तथा वह यू-ट्यूब के माध्यम से विद्यार्थियों को शिक्षा का ज्ञान बांटना चाहती हैं। इसी के चलते उसने अपने लेक्चर्ज की सीरीज यू-ट्यूब पर अपलोड करनी शुरू की,जो कि अब लोकप्रिय हो चुकी है।

बच्चों ने पूछे सवाल पति ने दिया आइडिया

गौरी मनकोटिया ने जब अतुल कटारिया मेमोरियल स्कूल गुरुग्राम  को छोड़ा तो इनके स्टूडेंट्स इनसे सवाल समझने के लिए संपर्क करते थे। इस पर गौरी बच्चों को जवाब में वीडियो बनाकर भेजती थीं, जिससे बच्चे अपने प्रश्न अच्छे से समझ लेते थे। इनके पति जोगेंद्र प्रताप ने इन्हें यह वीडियो यू-ट्यूब चैनल पर डालने के लिए प्रेरित किया । वर्ष 2017 में गौरी मनकोटिया ने बीआईईएन (बायोलॉजी इज ईजी नाओ) यू-ट्यूब चैनल पर अपने वीडियो डालने शुरू किए। इसका अच्छा रिस्पांस इन्हें मिल रहा है। अब तो गौरी ने इसके लिए एक अलग रूम में सैटअप ही कर रखा है।

मुलाकात : परीक्षा में अच्छे अंक लेना बच्चे की प्रतिभा का मापदंड नहीं…

आपके लिए ज्ञान क्या है और विज्ञान?

सर्वागींण विकास को मैं विज्ञान मानती हूं और एक विशेष क्षेत्र विज्ञान है। असल में ज्ञान ही विज्ञान की जननी है। ज्ञान व्यापक है, जबकि विज्ञान प्रयोगात्मक और प्रत्यक्ष है।

डिजिटल अध्ययन-अध्यापन को आप किस तरह देखती हैं?

आज की शिक्षा, आज का व्यवहार, आज का व्यवसाय, आज की बैंकिंग तथा सेवाएं डिजिटल अध्ययन के बिना संभव नहीं हैं। किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए डिजिटल अध्ययन को जरूरी मानती हूं।

यू-ट्यूब पर बायो लेक्चर देने का विचार किस तरह फलीभूत हुआ?

मेरे पिता अध्यापन क्षेत्र से जुड़े हैं तो उनकी छाया मुझ पर पड़ी। जिन दो स्कूलों में मैंने पढ़ाया, वहां से जाने के बाद इन स्कूलों के बच्चों ने मुझसे बायो विषय पढ़ाने के लिए अनुरोध किया, जिनका समाधान मैंने वीडियो कॉलिंग से किया। मेरे पति ने यही लेक्चर यू-ट्यूब पर डालने का सुझाव दिया। शुरुआत एक ही बच्चे से हुई थी और आज 13 हजार से ज्यादा बच्चे इस चैनल को सब्सक्राइब कर चुके हैं।

क्लासरूम से वीडियो स्पेस तक पढ़ाने की कला में किस तरह निखार आता है?

बायोलॉजी विषय से मेरा शुरू से ही लगाव रहा है। बायो अध्यापन मेरा एक शौक बन चुका है और इसे पढ़ाते समय इसी में खो जाती हूं। चाहे वह क्लासरूम अध्यापन हो या वीडियो।

मौजूदा दौर की शिक्षा कहां तक अधूरी है और इसे पूरा करने में अध्यापक क्या कर सकते हैं?

शिक्षा का क्षेत्र एक व्यापक क्षेत्र है। इसके बारे में तर्क-वितर्क के लिए समय-समय पर बहुत सी नीतियां बनती और बदलती हैं, जिनका शिक्षा के विस्तार पर क्या प्रभाव पड़ता है, ये शिक्षा के नतीजे बताते हैं। इस बारे में मैं इतना ही कहना चाहती हूं कि अभी भारत को शिक्षा के क्षेत्र में काफी कुछ करना है। परीक्षा में अच्छे अंक लेकर पास होना किसी बच्चे के विकास का मापदंड नहीं हो सकता है।

आप विषयों का चयन किस आधार पर करती हैं और साइंस को आसान कैसे कर देती हैं?

मैं विषयों का चयन नौवीं से जमा दो कक्षा के पाठ्यक्रम तथा प्राप्त संदेशों के आधार पर करती हूं। बायोलॉजी को आसान बनाना तो मेरा शौक है। मैं बच्चों में बायोलॉजी के प्रति रुचि पैदा करने का अध्यापन मोड अपनाती हूं।

एक शिक्षक को अपने अध्यापन का असर देखना हो तो कैसे संभव होगा?

मेरे विचार में एक अध्यापक का असली परीक्षक उसका शिष्य है। एक शिष्य ही वह दर्पण है, जो अपने अध्यापक की स्पष्ट छवि दिखाता है। मेरे जैसे टीचर जो ऑनलाइन शिक्षा भी देते हैं वे अपने व्यूर्ज, लाइक और कमेंट प्राप्त करते हैं, जिनसे अध्यापन का असर देखने को मिलता है।

आपके वीडियो परीक्षा की तैयारी का कोई फार्मूला है या सहज कोई परिपाटी आप तैयार कर रही हैं?

मेरे वीडियो का अर्थ केवल बच्चों को परीक्षा के लिए तैयार करना नहीं है और न ही मैं कोई परिपाटी तैयार कर रही हूं। मैं आपके माध्यम से यह बताना चाहती हूं कि मेरा प्रयत्न है कि जो बच्चे बायो विषय से निराश होकर मुंह मोड़ चुके हैं, उनमें बायो विषय के प्रति रुचि पैदा करके स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में विकास करना।

अपनी नई पहचान को कैसे परिभाषित करना चाहेंगी?

सबसे पहले ‘दिव्य हिमाचल’ का धन्यवाद करना चाहूंगी, जिन्होंने एक गुमनाम अध्यापिका को नई पहचान दी। मैंने जीवन में कभी भी बनावटी आचरण नहीं किया।

क्या यह जरूरी नहीं कि छात्र और अध्यापक सीधा संवाद करें, इस दिशा में कोई नया प्रयोग?

किसी विषय को समझाने के लिए अध्यापक और छात्र दोनों का पूर्ण रूप से संवाद जरूरी है, ताकि छात्र निर्भीक होेकर अपनी उलझन अध्यापक को बता सकें। मेरे स्टूडेंट्स यू-ट्यूब पर सवाल पूछते हैं, जिनके जवाब भी मैं देती हूं।

बच्चों में सीखने का उत्साह किस तरह पैदा किया जा सकता है?

अध्यापक को विषय विशेषज्ञ होना चाहिए। पढ़ाते समय बच्चों के स्तर पर आकर रुचिपूर्ण अध्यापन तकनीकें अपनाएं।

क्या शिक्षा भी एक तरह से भेड़चाल है या आपके  लेक्चरपसंद करने वाले इस लीक से हटकर हैं?

इस बारे में अभी कुछ नहीं कहूंगी। यह सच है कि जिन विद्यार्थियों को मेरे लेक्चर पसंद आते हैं, वे दिल से मेरा धन्यवाद करते हैं।

आपके लिए लेक्चर की सफलता किन बातों पर निर्भर करती है तथा कितने समय में इसे तैयार कर पाती हैं?

मेरे लेक्चर की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि मैं बहुत ही रुचिपूर्ण अध्यापक का ढंग अपनाऊं ताकि विषय बच्चों को बहुत अच्छे से समझ आ जाएं। सामान्य लेक्चर तैयार करने में मुझे एक दिन लगता है। किसी विशेष लेक्चर को तैयार करने में दो से तीन दिन लगते हैं।

अपने प्रशंसकों के समक्ष आपका कोई दावा या ऐसा कोई नियम जो विज्ञान की पढ़ाई को आसान बना दे?

बायो एक रुचिकर विषय है। जरूरत है तो इसके अध्ययन में शौक पैदा करने की। मेरा अपने प्रशंसकों से अनुरोध है कि बायो विषय को कठिन और भारी न समझें,बल्कि रुचिकर और मनोरंजन से मेहनत करें।

बतौर शिक्षक आपका सुकून। कोई ऐसा पल जब किसी अनजान छात्र ने यू-ट्यूब पर आपके योगदान से रू-ब-रू कोई अनुभव सुनाया हो?

हर रोज काफी संख्या में मेरे छात्र कमेंट्स के जरिए मेरा धन्यवाद करते हैं। कई स्टूडेंट्स तो ऐसे हैं, जिन्होंने मुझे एंजेल की उपाधि दी। स्टूडेंट्स के साथ-साथ उनके अभिभावक भी गुड कमेंट करते हैं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App