शिमला में अवैध कब्जे हटाने को हाई कोर्ट ने बुलाई सेना

By: Jul 21st, 2018 12:09 am

कोर्ट के आदेशों की पालना में नाकाम हिमाचल सरकार को डांट

शिमला— शिमला जिला के जुब्बल, कोटखाई, चैन्थला, जलथा, पुंगरिश, पंदाली, कलेमु में प्रभावशाली अवैध कब्जाधारियों से सरकारी जमीन का कब्जा छुड़ाए जाने में नाकाम रही हिमाचल सरकार पर शुक्रवार को हाई कोर्ट ने कड़ी नकारात्मक टिप्पणी की। अपने आदेशों की अनुपालना के लिए अब हाई कोर्ट ने मिलिट्री को आदेश दिए हैं। इंडियन आर्मी द्वारा कुफरी में स्थापित इको टास्क फोर्स को हाई कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि वह तुरंत प्रभाव से इन क्षेत्रों में सरकारी जमीन से अवैध कब्जे छुड़ाए। अदालत ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि इको टास्क फोर्स के जवान हाई कोर्ट द्वारा पहले से गठित टीम के सदस्यों के साथ मिलकर हाई कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में अवैध कब्जे हटाएंगे। अदालत ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिए कि वह तुरंत प्रभाव से कुफरी स्थित इंडियन आर्मी की 133 बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर से संपर्क करे। अदालत ने डीसी शिमला को आदेश दिए कि वह विशेष टीम और इको टास्क फोर्स के सदस्यों के लिए कुशल, प्रभावी और तकनीकी कर्मचारियों का स्टाफ मुहैया करवाए। साथ ही आर्मी के जवानों के रहने का उचित प्रबंध करे। अदालत ने विशेष टीम और आर्मी जवानों को आदेश दिए हैं कि वे तुरंत प्रभाव से इन गांवों से किसी भी तरह के अवैध कब्जों को हटाया जाना सुनिश्चित करें। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र ने अदालत को बताया कि स्थानीय क्षेत्र के लोग सीधे तौर पर उनसे रू-ब-रू हो रहे हैं और बड़े कब्जाधारियों के बारे में जानकारी दी, जिनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। कोर्ट मित्र ने इन आठ अवैध कब्जाधारियों की सूची अदालत को सौंपी, जिनमें भागमल रिखटा पूर्व प्रधान, राजेश पिरटा पूर्व प्रधान, महेंद्र वर्तमान प्रधान, गुलट राम जेह्टे मेंबर, लोकेंदर सिंह बीओ जुब्बल हाटकोटी वन रेंज, गीता राम पीरटा, चतर सिंह मेहता, उद्दम लाल चौहान शामिल हैं। ये सभी जुब्बल के रहने वाले है और इन्होंने बड़े पैमाने पर सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करके सेब के बागीचे उगाए हैं, लेकिन अभी तक इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर खेद जताते हुए अपने आदेशों में कहा कि सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा हाई कोर्ट के समक्ष अवैध कब्जों को हटाए जाने बारे आश्वासन देने के बावजूद कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया। अदालत ने अपने पिछले आदेशों को दोहराते हुए कहा कि यह पहले ही स्पष्ट कर दिया गया है कि कुछ सरकारी अधिकारी इस गलतफहमी में हैं कि अवैध कब्जाधारी अपनी जमीन के साथ-साथ पांच बीघा जमीन पर अवैध कब्जा रखने का हकदार है। अदालत ने उदाहरण देते हुए स्पष्ट किया था कि यदि किसी अवैध कब्जाधारी के पास नौ बीघा अपनी जमीन है और उसने सात बीघा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह अपनी नौ बीघा जमीन के साथ-साथ पांच बीघा सरकारी जमीन पर भी कब्जा कर सकता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अवैध कब्जा धारियों के पास कुल दस बीघा से अधिक जमीन नहीं होनी चाहिए, इसलिए अपने नौ बीघा जमीन वाला अवैध कब्जाधारी सिर्फ एक बीघा जमीन पर ही अवैध  कब्जा रख सकता है। हाई कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों को इतना समझाने के बावजूद छोटे कब्जाधारियों के अलावा बड़े कब्जेधारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसके अलावा खंडपीठ ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर खेद जताते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा कोर्ट मित्र की रिपोर्ट का अभी तक जवाब नहीं दिया गया, जिसके तहत कोर्ट मित्र ने शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को बड़े अवैध कब्जाधारियों की सूची सौंपी थी और हाई कोर्ट ने पीसीसीएफ को आदेश दिए थे कि वह दो दिनों के भीतर इन अवैध कब्जाधारियों के बारे में जांच करे और यदि सही में ऐसा पाया जाता है तो एक सप्ताह के भीतर इन लोगों से अवैध कब्जा छुड़ाए और अनुपालना रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करे। राज्य सरकार द्वारा हाई कोर्ट के आदेशों को ठेंगा दिखाए जाने के बाद हाई कोर्ट ने अदालत द्वारा समय-समय पर पारित आदेशों की अनुपालना करने और कानून बनाए रखने के लिए हाई कोर्ट ने इसका जिम्मा इंडियन आर्मी को सौंपा है और अनुपालना रिपोर्ट आगामी 24 जुलाई को तलब की है।

कोर्ट ने किया साफ

अवैध कब्जों को लेकर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अवैध कब्जाधारियों के पास कुल दस बीघा से अधिक जमीन नहीं होनी चाहिए, इसलिए अपने नौ बीघा जमीन वाला अवैध कब्जाधारी सिर्फ एक बीघा जमीन पर ही अवैध कब्जा रख सकता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App