सपनों को पूरा करने की जंग

By: Jul 8th, 2018 12:10 am

मिलिए ब्रेव डॉटर ऑफ  इंडिया से। इस बेटी पर न केवल उसकी बहन को नाज है, बल्कि पूरे गांव, जिले, प्रदेश और देश भर को गर्व है। पीएम मोदी भी गर्व करेंगे। छोटी सी उम्र में इतना हौसला, इतनी लगन देखकर आप इसे सलाम करेंगे। ये बहादुर बेटी है हरियाणा के यमुनानगर की। कहते हैं कि डूबते हुए को तिनके का सहारा होता है, लेकिन इस मासूम के पास न तो कोई सहारा है और न ही कोई उम्मीद। मां-बाप हैं नहीं, पर पढ़ना चाहती है, कुछ बनना चाहती है। इसलिए कूड़ा बीन कर रुपए जमा करती है और किताबें, ड्रेस खरीदकर स्कूल जाती है। हम तीसरी क्लास में पढ़ने वाली इस मासूम की पहचान उजागर नहीं करेंगे, लेकिन सरकार और सिस्टम से सवाल जरूर करेंगे कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के विज्ञापन पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, पर नतीजा कहां नजर आया।

देश भर में ऐसी कई मासूम बेटियां हैं, जिन्हें कोई मदद नहीं मिलती। उन्हीं में से एक है यमुनानगर के आजाद नगर में रहने वाली आठ साल की मुस्कान (बदला हुआ नाम)जो सुबह स्कूल जाने से पहले एक घंटा गलियों में घूमकर कूड़ा बीनती है, फिर तैयार होकर स्कूल जाती है। स्कूल से घर लौटकर फिर से कूड़ा बीनने निकल जाती है। शाम को इसे बेचकर चंद रुपए कमाती है। रोजाना जरूरत के सामान पर खर्च करने के बाद बचे हुए पैसों को जमा करती है। इसी पैसे से पेन, पेंसिल, कॉपी और ड्रेस खरीद कर अपनी पढ़ाई पूरी करती है।

चाइल्ड लाइन को किया मना

मुस्कान मेहनत करके सफल होना चाहती है। हाल में चाइल्ड लाइन की निदेशिका अंजू बाजपेयी लड़की की काउंसिलिंग करने पहुंची, तो उसने कह दिया कि वह भीख नहीं मांगती। अपनी मर्जी से मेहनत करके अपना खर्चा निकाल रही है। जिस सरकारी स्कूल में वह पढ़ती है, वहां के प्रिंसिपल व टीचर्स को भी इसका पता है।

बचपन में ही माता-पिता का उठा साया     

पता चला है कि मुस्कान के सिर से बचपन में ही माता-पिता का साया उठ गया। उसके बाद वह अपने मामा के पास रहने लगी। अब कुछ समय से वह अपनी बहन के पास रह रही है। बहन की माली हालत भी काफी खराब है, जिसकी वजह से वह मुस्कान की पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ है। ऐसे में मुस्कान के पास इस काम के अलावा कोई विकल्प नहीं है। दूसरों की फेंकी हुई अलग-अलग तरह की चप्पलें पहनकर स्कूल जाती है तो बच्चे उसका मजाक उड़ाते हैं, लेकिन इसकी परवाह किए बिना वह पढ़ती है और फिर उसी दिनचर्या पर निकल जाती है।

मिड डे मील से लंच और दिनभर की कमाई से डिनर   

मुस्कान चाय व बिस्कुट से नाश्ता कर घर से निकलती है। स्कूल में मिड डे मील के रूप में लंच मिल जाता है। उसके बाद दिनभर कूड़ा बीन कर जो चंद रुपयों की कमाई होती है, उसी से रात का खाना खाती है। फिलहाल उसके पास स्कूल की एक ही वर्दी है, जिसे वह शाम को रोजाना धोकर सुबह स्कूल पहनकर जाती है।


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