कलर थैरेपी से करें इलाज

By: Aug 4th, 2018 12:05 am

प्राणियों का संपूर्ण शरीर रंगीन है। शरीर के समस्त अवयवों का रंग अलग-अलग है। शरीर की समस्त कोशिकाएं भी रंगीन हैं। शरीर का कोई अंग रुग्ण (बीमार) होता है, तो उसके रासायनिक द्रव्यों के साथ-साथ रंगों का भी असंतुलन हो जाता है। रंग चिकित्सा उन रंगों को संतुलित कर देती है, जिसके कारण रोग का निवारण हो जाता है। शरीर में जहां भी विजातीय द्रव्य एकत्रित होकर रोग उत्पन्न करता है, रंग चिकित्सा उसे दबाती नहीं अपितु शरीर के बाहर निकाल देती है। प्रकृति का यह नियम है कि जो चिकित्सा जितनी स्वाभाविक होगी, उतनी ही प्रभावशाली भी होगी और उसकी प्रतिक्रिया भी न्यूनतम होगी। सूर्य की रश्मियों में सात रंग पाए जाते हैं।  लाल, पीला, नारंगी,  हरा,  नीला, आसमानी व बैंगनी। कलर थैरेपी सात प्रकार की होती है। पानी को अलग-अलग रंगों की बोतलों में भरकर धूप में रखा जाता है। इससे उस रंग का असर पानी में आ जाता है और उस पानी का प्रयोग रोग चिकित्सा में किया जाता है। होम्योपैथी वाले दवाइयों को विभिन्न रंगों की बोतलों में 45 दिन तक रखते हैं, जिससे रंगों का पूरा असर दवा में आ जाता है।

लाल रंग- लाल रंग रंग जीवन शक्ति, साहस और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है। गर्म होने के कारण यह दर्द की चिकित्सा के लिए बेहतर माना जाता है। लाल रंग को प्यार का भी प्रतीक माना जाता है। यह एडरिनल हार्मोन को बढ़ावा देने के साथ प्यार व अंतरंगता को बढ़ाता है। अनिद्रा, कमजोरी, रक्त संबंधी समस्या के इलाज में इस रंग का उपयोग किया जा सकता है।

पीला रंग- इसे रंग विवेक, स्पष्टता और आत्मसम्मान का प्रतीक माना है। मानसिक उत्तेजना के साथ यह तंत्रिका तंत्र को भी मजबूत बनाता है। पेट व त्वचा के साथ मांसपेशियों को भी यह शक्ति देता है। पेट खराब होने व खाज -खुजली के उपचार में यह रंग बहुत उपयोगी है।

सफेद रंग- यह रंग नकारात्मक विचारों से दूर करता है। सफेद रंग रोगों का जल्द निवारण करता है। व्यक्ति को किसी रंग में रुचि न हो तो वह सफेद रंग का प्रयोग कर सकता है।

नारंगी रंग- इस रंग से उत्साह व आत्मविश्वास बढ़ता है, इसके साथ ही फेफड़ों व श्वसन प्रक्रिया को भी यह ठीक रखता है। इसलिए नारंगी रंग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गुर्दा संक्रमण में बेहद उपयोगी साबित होता है।

हरा रंग- इस रंग को प्रकृति के काफी करीब माना जाता है, इसलिए यह आंखों को सुकून पहुंचाता है। यह रंग दिल को स्वस्थ रखने के साथ हार्मोन को संतुलित रखता है। हरे रंग में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की क्षमता होती है। यह रंग त्वचा रोग व हाई ब्लड प्रेशर के उपचार में फायदेमंद है।

नीला रंग- नीला रंग एक तरह का एंटीसेप्टिक भी है। यह रंग ठंडा होने के नाते उच्च रक्तचाप को कम रखने में मदद करता है। इसके अलावा सिरदर्द, सूजन, सर्दी व खांसी के उपचार में भी यह रंग प्रयोग किया जाता है।

इंडिगो रंग- यह रंग सेहत के लिहाज से आंख और नाक के रोगों के उपचार में फायदेमंद है। इसके अलावा यह रंग मानसिक समस्याओं से उबरने में भी मदद करता है।

बैंगनी रंग- इस रंग को परिवर्तन का प्रतीक भी माना जाता है। बैंगनी रंग एक्रागता बढ़ाने के साथ हिस्टीरिया, भ्रम हो जाने जैसे रोगों को उपचार करने में मदद करता है।


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