क्या है हाशिमोटो रोग

By: Aug 4th, 2018 12:05 am

मानव शरीर में एक ऐसी सुरक्षा प्रणाली होती है जो शरीर को रोगों से बचाकर स्वस्थ रखती है। शरीर में पैदा होने वाले कीटाणु और विषाक्त पदार्थों से ये छुटाकरा दिलाता है। शरीर की इस सुरक्षा प्रणाली को इम्यून सिस्टम कहा जाता है और ये हमारी सेहत को दुरुस्त रखने में अहम भूमिका निभाता है। स्ट्रेस, कुछ रोगों और दवाओं के साइड इफेक्ट्स और खराब जीवनशैली के कारण इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं रह पाता है और इससे शरीर की कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होती रहती है। कुछ मामलों में खुद इम्यून सिस्टम ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है और रोग पैदा करता है। खुद इम्यून सिस्टम की वजह से शरीर में होने वाली समस्याओं को आटोइम्यून डिजीज कहा जाता है। आटोइम्यून डिजीज में रह्यूमेटाइड अर्थराइटिस, लुपर, सेलिएक रोग, मल्टीपल स्कलेरोसिस आदि होता है।

क्या है हशिमोटो रोग- हशिमोटो रोग एक आटोइम्यून रोग है। इम्यून सिस्टम मानव शरीर के प्रमुख अंगों में से एक एंडोक्राइन ग्लैंड यानी की थाइराइड ग्रंथि पर आक्रमण करने लगता है। थाइराइड ग्रंथि एक छोटा सा एंडोक्राइन ग्लैंड होती है, जो गले के नीचे स्थित होती है और ये शरीर की प्रमुख क्रियाओं जैसे मैटाबॉलिज्म विकास के लिए हार्मोंस का उत्पादन करती है। हशिमोटो रोग के कारण इम्यून सिस्टम थाइराइड ग्लैंड पर आक्रमण कर देता है। इससे सूजन होने लगती है जो कि थाइराइड रोग का रूप ले लेती है। हशिमोटो रोग की वजह से सूजन हायपर थाइराइडिज्म का रूप ले लेती है। यह बीमारी मध्य उम्र की महिलाओं में ज्यादा होती है। हालांकि, यह आटोइम्यून बीमारी महिलाओं और पुरुषों दोनों को ही अपना शिकार बनाती है।

हशिमोटो रोग के लक्षण- आमतौर पर हशिमोटो रोग के लक्षण अंतिम चरण में दिखाई देते हैं, लेकिन कुछ लोगों को गले में सूजन दिखाई देती है, जो कि इस रोग का ही एक लक्षण है। हशिमोटो रोग के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं, लेकिन अगर इनका इलाज न किया जाए तो ये सालों में भयंकर रूप ले लेते हैं। इसके कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं भयंकर थकान और आलस, कब्ज, शरीर का पीला और सूखा पड़ना, ज्यादा सर्दी लगना, नाखूनों का कमजोर होना, चेहरे में पफीनेस होना, बालों का झड़ना, बिना किसी कारण के मांसपेशियों में खिंचाव रहना, मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव याददाश्त कमजोर होना व डिप्रेशन।

हशिमोटो रोग के प्रमुख कारण- आनुवंशिक कारण किसी आटोइम्यून रोग जैसे लुपुस, अर्थराइटिस या डायबिटीज आदि से ग्रस्त होना। पर्यावरण विकिरण के संपर्क में आने के कारण थाइराइड सर्जरी होने के कारण हार्मोनल ट्रीटमेंट या रेडिएशन थैरेपी की वजह से हाई कोलेस्ट्रॉल।

अगर समय रहते हशिमोटो रोग का इलाज न किया जाए तो स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

घेंघा रोग- अगर हशिमोटो रोग का इलाज न किया जाए, तो सूजन की वजह से थाइराइड ग्लैंड का आकार बढ़ने लगता है। इस स्थिति को घेंघा कहते हैं और ये थाइराइड ग्लैंड के अक्रियाशील होने की वजह से होता है।

हृदय रोग- हशिमोटो रोग के कारण हृदय रोग भी हो सकता है। अक्रियाशील थाइराइड ग्रंथि की वजह से शरीर में एलडीएल की मात्रा बहुत बढ़ने लगती है, जिससे धमनियां बंद हो जाती हैं और हृदय रोग पैदा करती हैं।

मानसिक विकार-  शरीर में थाइराइड हार्मोंस की अस्थिरता के कारण मानसिक विकार हो सकता है। इससे चक्कर आना, चेहरे और पैरों आदि में सूजन होना। इस रोग का इलाज तुरंत करवाना चाहिए।


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