गरीब गुरबत से निकले… वही असली जश्न-ए-आजादी

By: Aug 13th, 2018 12:05 am

आजादी किसे अच्छी नहीं लगती। हम सभी खुली हवा में मर्जी से रहना चाहते हैं। आज हम आजाद देश के नागरिक हैं। हमें मर्जी से रहने,खाने,पहनने का अधिकार है। बरस 1947 से पहले ऐसा नहीं था। कड़े संघर्ष के बाद मिली आजादी के हमारे लिए क्या मायने हैं। स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर दिव्य हिमाचल ने युवाओं की राय जानी। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश…

महिलाओं को मिले पूरी सुरक्षा

सोलन की आकांक्षा ने बताया कि भारत उस दिन पूरी तरह से आजाद होगा जब बेटियां, बहनें, महिलाएं बिना किसी डर के आधी रात को भी मार्केट से गुजर पाएगीं। उन्होंने कहा कि देश भले ही आजाद ही गया हो परंेतु जहां बेटियों को हर समय डर बना रहता है तो हम उसे पूरी आजादी का नाम नहीं दे सकते। वर्तमान समय में बेटियां हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही है लेकिन फिर भी उसे डर के साए में जीना पड़ रहा है।

संघर्ष के बाद मिली आजादी

धर्मपुर के गौरव शर्मा का कहना है कि युवावस्था जिंदगी का एक ऐसा पड़ाव होता है जहां आजादी की जरूरत सबसे ज्यादा महसूस होती है। हमारे पूर्वजों ने कठिन संघर्ष के बाद जब हमें स्वतंत्रता दिलायी थी, तब उनके लिए आजादी के बुनियादी मायने अलग थे, लेकिन आजादी के बाद आज हमारे पास विचारों के आदान-प्रदान से लेकर तकनीक, शिक्षा, संसाधन, विज्ञान, परिधान हर तरह की आजादी है।

धर्म के आधार पर किसी से न हो भेदभाव

धर्मपुर की ज्योति का कहना है कि जिस दिन लोग जाति, रंग, भेद में अंतर करना छोड़ देंगे उस दिन भारत देश आजाद होगा। वर्तमान की बात की तो अधिकतर लोग इन्ही में उलझे पड़े है जिस दिन इन सब बातों को छोड़ कर सभी के मत एक हो जाए उस दिन असली आजादी महसूस होगी।

आजादी का सही जगह पर हो इस्तेमाल

गौरव का कहना है कि कुछ मौज-मस्ती, ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने या नशे के लिए अपनी आजादी का इस्तेमाल करते हैं लेकिन यह आजादी पूरी तरह से गलत है। आजादी के माइनों को गलत न लेकर बल्कि इसे सही जगह इस्तेमाल करना चाहिए।

पूरे समुदाय का हो विकास

प्रियंका ने कहा कि आजादी यह नहीं कि हर कोई अपने हित की बात करे बल्कि आजादी यह है कि पूरे समुदाय के हित में को ध्यान में रखकर कोई निर्णय ले। उन्होंने कहा कि जब हमारे देश मे पोलिटीशन अपने हित को छोड़कर सभी के हित में निर्णय लेंगे तो उस दिन हमारा देश एक आजाद देश कहलाएगा।

युवा खुद अपने सपने कर रहे साकार

सोलन के दीपक का कहना है कि आज हम खुली हवा में सांस ले रहे है। बिना किसी डर के काम कर सकते है । उन्होंने बताया कि काम करने की आजादी आज के युवा माता-पिता के सपनों के बजाय खुद के सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हौसला रखते हैं।


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