जल परिवहन बढ़ने का नया परिदृश्य

By: Aug 8th, 2018 12:10 am

डा. जयंतीलाल भंडारी

लेखक ख्यात अर्थशास्त्री, इंदौर से हैं

केंद्र सरकार आंतरिक जल माल ढुलाई को तेजी से प्रोत्साहन देकर भारी दबाव से जूझ रहे सड़क और रेल परिवहन तंत्र को काफी राहत देने की रणनीति पर आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रही है। गौरतलब है कि जनवरी 2018 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने व्यापक जलमार्ग विकास परियोजना को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत एनडब्ल्यू-1 में नौवहन की क्षमता बढ़ाई जानी है। इस पर अनुमानित रूप से 52.7 अरब रुपए लागत आने की संभावना है। यह परियोजना मार्च 2023 तक पूरी होने की संभावना है। जल परिवहन से माल ढुलाई के क्षेत्र में एक क्रांति देखने को मिलेगी, जिससे संपूर्ण अर्थव्यवस्था को लाभ होगा…

इन दिनों सरकार जल परिवहन को भारत के परिवहन की जीवन रेखा बनाने की डगर पर आगे बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। हाल ही में जहाजरानी मंत्रालय ने सागरमाला परियोजना के तहत कुल घरेलू माल ढुलाई में जल परिवहन का हिस्सा जो वर्तमान में महज 6 फीसदी है, इसे वर्ष 2025 तक बढ़ाकर 12 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पाने के लिए राष्ट्रीय जलमार्ग कानून के तहत 111 नए नदी मार्गों को राष्ट्रीय जलमार्गों के रूप में विकसित किए जाने की योजना बनाई गई है। यह सरकार की उस बड़ी योजना का हिस्सा है, जिसके तहत जल मार्ग आगे चलकर एक पूरक, कम लागत वाला और पर्यावरण के अनुकूल माल एवं यात्री परिवहन का माध्यम बन सकते हैं। इस समय देश में विभिन्न माध्यमों से होने वाली कुल माल ढुलाई में तटीय नौवहन और जलमार्ग की हिस्सेदारी 6 फीसदी है, जबकि करीब 54 फीसदी ढुलाई सड़कमार्ग, 33 फीसदी ढुलाई रेलमार्ग और 7 फीसदी ढुलाई पाइपलाइन से होती है। इस समय केंद्र सरकार आंतरिक जल माल ढुलाई को तेजी से प्रोत्साहन देकर भारी दबाव से जूझ रहे सड़क और रेल परिवहन तंत्र को काफी राहत देने की रणनीति पर आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रही है। गौरतलब है कि जनवरी 2018 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने व्यापक जलमार्ग विकास परियोजना को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत एनडब्ल्यू-1 में नौवहन की क्षमता बढ़ाई जानी है। इस पर अनुमानित रूप से 52.7 अरब रुपए लागत आने की संभावना है। यह परियोजना मार्च 2023 तक पूरी होने की संभावना है। इस जलमार्ग परियोजना को गतिशील करने के लिए हाल ही में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने संकेत दिया है कि जिस तरह 30 साल के लिए टोल के परिचालन के सड़क मुद्रीकरण ठेकों के टीओटी मॉडल को जोरदार सफलता मिली है, उसी तरह जलमार्ग परियोजनाओं के परिचालन व रखरखाव का काम निजी क्षेत्र को देने के लिए शीघ्र ही बोली आमंत्रित किया जाना सुनिश्चित किया जाएगा।

इसके तहत 30 साल के ठेके पर दिए जाने और गोदाम व लॉसिस्टिक सुविधाएं आदि बनाए जाने की भी योजना है। इस परिप्रेक्ष्य में पहला आपरेट मेंटेन ट्रांसफर (ओएमटी) ठेका वाराणसी की मल्टी मॉडल परियोजना के लिए होगा, जो राष्ट्रीय जलमार्ग एनडब्ल्यू-1 पर स्थित है। इस तरह के ठेके हासिल करने की इच्छुक निजी कंपनी को 2.5 अरब रुपए के ठेकों के तहत गोदाम और लॉजिस्टिक सुविधाओं के लिए सरकार जमीन का अधिग्रहण करेगी और मल्टी मॉडल परियोजना के लिए शुरुआती बुनियादी ढांचा तैयार करेगी। शेष काम ठेका प्राप्त करने वाली निजी क्षेत्र की इकाई को करना होगा। उल्लेखनीय है कि जिन जलमार्गों को प्राकृतिक पथ कहा जाता है, वे कभी भारतीय परिवहन की जीवन रेखा हुआ करते थे। समय के साथ आए बदलावों और परिवहन के आधुनिक साधनों के चलते बीती एक शताब्दी में भारत में जल परिवहन क्षेत्र बेहद उपेक्षित होता चला गया। भारत के पास 7500 किलोमीटर तटीय क्षेत्र है, जबकि 14.500 किमी नदी मार्ग है। इस विशाल नदी मार्ग पर हमेशा बहती रहने वाली नदियों, झीलों और बैकवाटर्स का उपहार भी मिला हुआ है, लेकिन हम इसका उपयोग नहीं कर सके और समय के साथ इनकी क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई। यह स्पष्ट है कि जल परिवहन दुनिया भर में माल ढुलाई के लिए वरीयता वाला माध्यम है।

खास तौर पर विशाल और विचित्र आकार वाली वस्तुओं के लिए। पर्यावरण मित्र और किफायती होने के बाद भी भारत इसका अपेक्षित लाभ नहीं उठा पाया है। यदि लागत के हिसाब से देखा जाए, तो एक हॉर्स पावर शक्ति की ऊर्जा से पानी में चार टन माल ढोया जा सकता है, जबकि इससे सड़क पर 150 किलो और रेल से 500 किलो माल ही ढोया जा सकता है। यही कारण है कि यूरोप, अमरीका, चीन तथा पड़ोसी बांग्लादेश में काफी मात्रा में माल की ढुलाई अंतर्देशीय जल परिवहन तंत्र से हो रही है। कई यूरोपीय देश अपने कुल माल और यात्री परिवहन का 40 प्रतिशत पानी के जरिए ढोते हैं। यूरोप के कई देश आपस में इसी साधन से बहुत मजबूती से जुड़े हैं। निस्संदेह हमारे देश के विशाल जलमार्ग और विशाल नदियों के कारण जल परिवहन के तहत माल ढुलाई संबंधी जरूरतों की पूर्ति के लिए बहुत संभावनाएं हैं। देश के अधिकांश बिजलीघर कोयले की कमी से परेशान रहते हैं। सड़क और रेल परिवहन से समय पर कोयला नहीं पहुंच पाता। ऐसे में अंतर्देशीय जलमार्गों से कोयला ढुलाई की नियमित व किफायती संभावनाएं हैं। हमारी कई बड़ी विकास परियोजनाएं राष्ट्रीय जलमार्गों के नजदीक साकार होने जा रही हैं। बहुत से नए कारखाने और पनबिजली इकाइयां इन इलाकों में खुली हैं। इनके निर्माण में भारी-भरकम मशीनरी की सड़क से ढुलाई आसान काम नहीं है। इसमें जल परिवहन की अहम भूमिका हो सकती है। अनाज और उर्वरकों की ज्यादा मात्रा में ढुलाई जल परिवहन से संभव है। मसलन पंजाब एवं हरियाणा से खाद्यान्न कम कीमत पर सफलतापूर्वक जल परिवहन से पश्चिम बंगाल भेजा जा सकता है। अब देश में नदियों की प्रकृति और उनके गहरे-उथले पानी, गाद को निरंतर बहाव के अलावा जगह-जगह बने पीपा पुल तथा अन्य पुल समस्याओं पर भी ध्यान देना होगा। वाणिज्यिक नौवहन की उपयुक्तता के लिए पर्याप्त दोतरफा जिंस उपलब्धता पर भी ध्यान देना होगा। वर्तमान में जल परिवहन से जब भारी-भरकम सामान, जैसे-कोयला, खनिज, खाद्यान्न और उर्वरक आदि का बड़ा हिस्सा एकबारगी भेजा जाता है और उन्हें ले जाने वाले पोत अकसर खाली लौटते हैं, इससे मुनाफे में भारी कमी आती है। वाणिज्यिक जल परिवहन का बुनियादी ढांचा तैयार करने में भारी-भरकम निवेश के प्रबंध पर ध्यान देना होगा। इस क्षेत्र में सेवाओं की दक्षता और गुणवत्ता में सुधार करने के लिए भी काफी संसाधन जरूरी हैं। सरकार ने अगले पांच वर्ष में जलमार्गों के विकास के लिए 50 हजार करोड़ रुपए खर्च करने के संकेत दिए हैं, परंतु निजी क्षेत्र से अगले पांच वर्षों में जल परिवहन के लिए इसके पांच गुना निवेश की उम्मीद की गई है।

निश्चित रूप से जल परिवहन क्षेत्र में पूंजी लगाने वालों को प्रोत्साहन देने के लिए नई रणनीति की जरूरत है। जल परिवहन क्षेत्र के विकास के लिए इस बात की वैधानिक व्यवस्था भी सुनिश्चित करनी होगी कि विभिन्न नदी तटीय इलाकों के कारखाने तथा अन्य उपक्रम अपनी माल ढुलाई में एक खास हिस्सा जलमार्गों को दें। जलमार्ग उपयोग करने वालों को कुछ सबसिडी भी दी जानी चाहिए। इससे अंतर्देशीय जल परिवहन और तटीय जहाजरानी दोनों को बढ़ावा मिलेगा, सस्ते में परिवहन होगा और इन संगठनों का आधार मजबूत होगा। खास तौर से खतरनाक सामग्री और गैस, पेट्रोल या रसायनों का एक हिस्सा जल परिवहन को आवश्यक रूप से हस्तांतरित किया जाना चाहिए। हम आशा करें कि केंद्र सरकार जल परिवहन से माल ढुलाई को लक्ष्य के अनुरूप रणनीतिक रूप से विकसित करने के लिए सड़क मुद्रीकरण ठेकों की तरह जलमार्ग परियोजनाओं के परिचालन एवं रखरखाव का काम टीओटी मॉडल के तहत निजी क्षेत्र को देने के लिए अगस्त, 2018 से बोली आमंत्रित करने की डगर पर आगे बढ़ेगी। ऐसा किए जाने से जल परिवहन से माल ढुलाई के क्षेत्र में एक क्रांति देखने को मिलेगी, जिससे आम आदमी, उद्योग कारोबार और संपूर्ण अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।


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