पहेलियां
Aug 5th, 2018 12:05 am
जब मुंह खोले, अबटू बोले
सबे बुलाय, खुद भी डोले।
रबड़ी-मलाई खाई खूब,
कुर्सी को वह माने महबूब।
****
सौम्य-सुदर्शन बुजुर्ग काया,
कृष्ण हैं वह इस काल के।
खूब सवारी रथ पर की,
देखो नसीब इस लाल के।
***
प्रथम कटे दूल्हा बन जाऊं,
काम जलाने के चूल्हा आऊं।
***
उत्सव में मैं पोता जाऊं
पास पशु के पाया जाऊं।
मेरे आधे पैर हैं, पूरे नहीं
मैं पाया जाता हर कहीं।
बिन मेरे काम न चल पाए,
कोई दिमागी मेरा नाम बताए।
****
एक सवार, 3 सेवक चार
पीछे उसके सेना अपार।
सवारी कभी लौट के न आए
कसरत करें दिमाग की, नाम बताएं।
****
प्रथम कटे मर जाऊं,
पानी सदा पेट में लाऊं।
अंत कट मैं गिला ।
बरतनों में मैं मिला ।
Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also, Download our Android App