बिजली महादेव

By: Aug 4th, 2018 12:05 am

भारत में भगवान शिव के अनेक अद्भुत मंदिर हैं, उन्हीं में से एक है हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में स्थित बिजली महादेव। कुल्लू शहर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम के पास एक ऊंचे पर्वत के ऊपर बिजली महादेव का प्राचीन मंदिर है। पूरी कुल्लू घाटी में ऐसी मान्यता है कि यह घाटी एक विशालकाय सांप का रूप है। इस सांप का वध भगवान शिव ने किया था। जिस स्थान पर मंदिर है, वहां शिवलिंग पर हर बारह साल में भयंकर आकाशीय बिजली गिरती है। बिजली गिरने से मंदिर का शिवलिंग खंडित हो जाता है। यहां के पुजारी खंडित शिवलिंग के टुकड़े एकत्रित कर मक्खन के साथ इसे जोड़ देते हैं। कुछ माह बाद शिवलिंग एक ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है। इस शिवलिंग पर हर बारह साल में बिजली क्यों गिरती है और इस जगह का नाम कुल्लू कैसे पड़ा इसके पीछे एक पौराणिक कथा है।

कुलांत राक्षस- कुल्लू घाटी के लोग बताते हैं कि बहुत पहले यहां कुलांत नामक दैत्य रहता था। दैत्य कुल्लू के पास की नागणधार से अजगर का रूप धारण कर मंडी की घोग्घरधार से होता हुआ लाहौल-स्पीति से मथाण गांव आ गया। दैत्य रूपी अजगर कुंडली मार कर ब्यास नदी के प्रवाह को रोक कर इस जगह को पानी में डुबोना चाहता था। इसके पीछे उसका उद्देश्य था कि यहां रहने वाले सभी जीव-जंतु पानी में डुब कर मर जाएंगे, भगवान शिव कुलांत के इस विचार से चिंतित हो गए। बड़े जतन के बाद भगवान शिव ने उस राक्षस रूपी अजगर को अपने विश्वास में लिया। शिव ने उसके कान में कहा कि तुम्हारी पूंछ में आग लग गई है। इतना सुनते ही जैसे कुलांत पीछे मुड़ा, तभी भगवान शिव ने कुलांत के सिर पर त्रिशूल से वार कर दिया। त्रिशूल के प्रहार से कुलांत मारा गया। कुलांत के मरते ही उसका शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया। उसका शरीर धरती के जितने हिस्से में फैला हुआ था, वह पूरा का पूरा क्षेत्र पर्वत में बदल गया। कुल्लू घाटी का बिजली महादेव से रोहतांग दर्रा और उधर मंडी के घोग्घरधार तक की घाटी कुलांत के शरीर से निर्मित मानी जाती है। कुलांत के नाम पर ही इस जगह का नाम कुलूत और इसके बाद कुल्लू पड़ा।

बिजली गिरने का कारण- कुलांत दैत्य को मारने के बाद शिव ने इंद्र से कहा कि वह बारह साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें। हर बारहवें साल में यहां आकाशीय बिजली गिरती है। इस बिजली से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है। शिवलिंग के टुकड़े इकट्ठा करके पुजारी मक्खन से जोड़कर स्थापित कर देता है। कुछ समय बाद पिंडी अपने पुराने स्वरूप में आ जाती है।

शिवलिंग पर ही क्यों गिरती है बिजली- आकाशीय बिजली शिवलिंग पर गिरने के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव नहीं चाहते थे कि जब बिजली गिरे, तो जन- धन को इससे नुकसान पहंुचे। भोलेनाथ लोगों को बचाने के लिए इस बिजली को अपने ऊपर गिरवाते हैं। इसी वजह से भगवान शिव को यहां बिजली महादेव कहा जाता है। भादो के महीने में यहां मेला सा लगा रहता है। सर्दियों में भारी बर्फबारी- यह जगह समुद्र तल से 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शीत काल में यहां भारी बर्फबारी होती है। कुल्लू में महादेव प्रिय देवता हैं। कहीं वे सयाली महादेव हैं, तो कहीं जुवाणी महादेव, तो कहीं बिजली महादेव। ऐसा लगता है कि बिजली महादेव के इर्द-गिर्द समूचा कुल्लू का इतिहास घूमता है।


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