विटामिन ए का स्टाक खत्म

By: Aug 14th, 2018 12:05 am

 बिलासपुर  —बिलासपुर के नौनिहालों के स्वास्थ्य पर गंभीर संकट मंडरा रहा है, जिसके चलते कभी भी बिलासपुर के नौनिहाल बीमार पड़ने पर गंभीर समस्या में आ सकते है। बिलासपुर जिला के किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में नौनिहालों के लिए विटामिन ए की दवा नहीं है, जिसके चलते विभाग नन्हें-मुन्नों के स्वास्थ्य पर के साथ खिलवाड़ कर रहा है। यह समस्या बिलासपुर में काफी समय से आ रही है, लेकिन यहां पर तैनात स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस बात को बताने में परहेज कर रहे हैं, लेकिन रविवार को ‘दिव्य हिमाचल’ टीम की जांच पड़ताल में पाया कि बिलासपुर में काफी माह से विटामिन ए की दवा के लाले पड़े हुए है। इसके चलते बच्चों के परिजनों को इस दवा को लेने के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गौर हो कि बच्चों के विकास के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण विटामिन ए बेहद जरूरतमंद है। लाखों बच्चों को राष्ट्रीय टीकाकरण अनुसूची के अनुसार जिला के स्वास्थ्य केंद्रों में यह खुराक समय पर नहीं मिल पा रही है। हालांकि यह समस्या जिला के कई स्थानों में सप्लाई न आने से कई माह पहले भी आई थी, लेकिन विभाग ने सरकारी अनुमति पर कुछ सप्लाई खरीद ली थी। अब विभाग के पास विटामिन ए नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस विटामिन को बच्चों के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में इसे राष्ट्रीय टीकाकरण अनुसूची में शामिल किया गया है। इसके तहत नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों के शारीरिक विकास और रोगों से बचाव के लिए विटामिन ए की खुराक पिलाना जरूरी है। विटामिन ए बच्चों को संक्रामक रोगों से बचाता है, साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि, रतौंधी व कुपोषण से बचाव करता है।  बच्चों को जन्म के बाद नौ माह में पहली खुराक पिलाई जाती है। इसके बाद 18 माह तथा बाद में पांच साल तक हर छह-छह माह के अंतराल में यह खुराक पिलानी पड़ती है। बच्चों के जन्म के समय बनाए गए कार्ड में भी विटामिन ए का उल्लेख होता है। अब लोग सरकारी केंद्रों में भी यह खुराक नहीं मिल रही है, जिसके चलते बिलासपुर में नौनिहालों के स्वास्थ्य बहुत बड़ा खिलवाड़ हो रहा है। इस तरह बच्चों के स्वास्थ्य के साथ हो रही लापरवाही के चलते विभागीय अधिकारियों पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बतातें हैं कि उन्होंने इस गंभीर समस्या के बारे में शिमला निदेशालय को अवगत करवा दिया है, लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि अगर आपातकालीन समय में कभी नौनिहाल बीमार पड़ जाते हैं तो विभाग इस परिस्थितियों में बच्चों को कौन सी दवा देगा। जानकारी के अनुसार 1-2 ही दवा निर्माता कंपनियां विटामिन ए की दवा बनाती हैं और जिस दवा निमार्ता कंपनी को दवा भेजने के लिए ऑर्डर दिया गया था। उसका दवा का पूरा बैच खराब हो गया तथा अब दूसरा बैच तैयार किया गया है। इसके कारण दवा अभी तक विभाग को नहीं मिल पाई है। क्षेत्रीय अस्पताल में भी काफी माह से विटामिन ए का स्टॉक उपलब्ध नहीं है और कुछ समय तक तो आंगनबाडि़यों में उपलब्ध थोड़ी-बहुत दवा से काम चलाया गया, लेकिन अब कहीं भी दवा उपलब्ध नहीं है। सरकारी अस्पतालों में यह दवा निःशुल्क मिलने के कारण कैमिस्ट की दुकानों में भी यह नहीं मिल पाती है।


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