सेना में हर मोर्चे पर तैयार रहूंगी

By: Feb 8th, 2017 12:20 am

cereerपूनम कुमारी

भारतीय सेना में नर्सिंग में बतौर लेफ्टिनेंट सिलेक्ट

नर्सिंग में करियर संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने पूनम कुमारी से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश…

आपने करियर के रूप में नर्सिंग को ही क्यों चुना

मेडिकल लाइन में ही जाने की इच्छा थी। जिसके चलते इस लाइन को करियर के रूप में चुना है।

विकल्प तो सिविल में भी हैं नर्सिंग के फिर आपने सेना को ही क्यों अपनाया?

आर्मी में जाने की इच्छा पहले से ही थी। आर्मी के प्रति मन में पहले से ही सम्मान है। इस लिए ही इसा फील्ड को चुना और आर्मी का स्टैंर्डड अच्छा है। देश के लिए कुछ करने के लिए आर्मी से बेहतर विकल्प हो ही नहीं सकता।

आपने इस करियर में जाने की कब सोची और तैयारी कब शुरू की

बीएससी नर्सिंग करने के बाद ही आर्मी में जाने के बारे में सोच लिया था। नर्सिंग में जो कुछ सीखा था बाद में अस्पताल में व्यावहारिक तौर पर काम करने से  बहुत कुछ सीखने को मिला। मैंने बिना किसी कोचिंग के यह मुकाम हासिल किया है।

आपने सेना में नर्सिंग में जाने के लिए किस से प्रेरणा ली?

ताया जी कृष्ण चंद डोगरा  से आर्मी में जाने की प्रेरणा मिली है और उनकी सपोर्ट व सहयोग  से ही आज यह उपलब्धि मेरे नाम है।

इस करियर के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता क्या है?

बीएससी नर्सिंग स्नातक ही न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता होती है। इसके बाद ही आर्मी में कमीशन प्राप्त किया जा सकता है।

आप अपनी ट्रेनिंग के बारे में कुछ जानकारी दें।

बीएससी 2011 में ज्वाइन की थी। आईजीएमसी से नर्सिंग की है। नर्सिंग के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता जमा दो मेडिकल 50 प्रतिशत अंकों के साथ। इसके लिए विषय फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायो होते हैं। एसी/एसटी के लिए 45 प्रतिशत अंक हैं। 60 सीटें आईजीएमसी में होती हैं। हिप्र के 10 निजी कालेज में भी बीएससी नर्सिंग है। चार साल का कोर्स होता है। फीस 30 हजार वार्षिक सितंबर में बैच बैठता है और जून- जुलाई माह में एंट्रेंस टेस्ट किताबों की दुकानों में फार्म सहजता के साथ मिल जाते हैं।

क्या हिमाचल की लड़कियां इस क्षेत्र में कुछ और बेहतर कर सकती हैं?

इस क्षेत्र में लड़कियां बीएससी नर्सिंग के बाद पीजी, टेस्ट के लिए मिलिट्री,  एम्स समेत अन्य संस्थानों में स्टाफ नर्स के रूप में काम कर सकती है।

सेना में जाकर आप अपनी जिंदगी को कितना बदला हुआ महसूस कर रही हैं?

इतना कुछ बदलाव नहीं है। मेडिकल लाइन में पहले ही हर काम आर्मी की तर्ज पर सिस्टम में रह कर ही किया जाता है। स्वयं को हर परिस्थिति में बदलने के लिए तैयार रहना पड़ता है।

हिमाचल की लड़कियों को इस करियर के लिए प्रेरित करने के लिए कोई तीन टिप्स दें।

– जो भी करो मन से करो।

–  कार्य करने के  लिए विश्वास का होना आवश्यक है।

– मन से अपने कार्य के प्रति मेहनत करनी चाहिए।

अब आपको सेना में सेवा का अवसर मिला है, तो आपका उद्देश्य क्या रहेगा।

आर्मी में बेहतर सेवाएं देने के लिए हर मोर्चे पर तत्पर रहूंगी और अपनी पढ़ाई भी आगे नियमित रखूंगी। अब तक नर्सिंग के क्षेत्र में केरल का प्रभुत्व रहा, पर अब तो हिमाचल में भी लड़कियां इस करियर के लिए क्रेजी हैं, इसके पीछे वजह क्या है। हिमाचल में नर्सिंग के क्षेत्र में इतना बड़ा स्कोप करियर बनाने में नहीं हैं, जिसकी वजह से लड़कियां ज्यादातर आर्मी के क्षेत्र में करियर बनाने को क्रेजी हैं और इच्छा शक्ति आर्मी में करियर बनाने की प्रदेश की लड़कियों की बढ़ रही है। वैसे भी हिमाचल सैन्य पृष्ठभूमि वाला प्रदेश है, तो सेना के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक है।

आप नर्सिंग में चली गईं। नर्स न होती तो क्या होती?

मेडिकल लाइन में ही करियर बनाने का मन बना लिया था और इसी क्षेत्र में आगे काम करने की मन में ठान ली थी। लेकिन फिर भी अगर किस्मत के साथ न देने पर यदि नर्स न होती तो हॉर्टिकलचर में किस्मत आजमाती।

-जसवीर ठाकुर, सुंदरनगर


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