समसामयिकी

By: Apr 5th, 2017 12:07 am

इलाहाबाद हाई कोर्ट की 150वीं वर्षगांठ

cereerब्रिटिश संसद द्वारा सन् 1861 में पारित भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम द्वारा न केवल कलकत्ता, मद्रास और बंबई के सर्वोच्च न्यायालयों के स्थान पर उच्च न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान किया गया बल्कि लेटर्स पेटेंट के द्वारा ब्रिटेन की महारानी के राज्य क्षेत्र में किसी ऐसे स्थल पर उच्च न्यायालय की स्थापना का प्रावधान भी किया गया, जहां किसी अन्य उच्च न्यायालय की अधिकारिता नहीं थी। सन् 1866 में पुरानी सदर दीवानी अदालत को हटा कर उसके स्थान पर 17 मार्च, 1866 के लेटर्स पेटेंट द्वारा उत्तरी-पश्चिमी प्रदेशों के लिए उच्च न्यायालय आगरा में अस्तित्व में आया। बैरिस्टर एट लॉ सर वाल्टर मार्गन और मि.सिंपसन उत्तरी-पश्चिमी प्रदेशों के उच्च न्यायालय के क्रमशः प्रथम मुख्य न्यायाधीश और प्रथम रजिस्ट्रार नियुक्त किए गए। उत्तरी-पश्चिमी प्रदेशों के उच्च न्यायालय का स्थान सन् 1869 में आगरा से इलाहाबाद कर दिया गया तथा 11 मार्च, 1919 को जारी पूरक लेटर्स पेटेंट के द्वारा इसका नाम बदल कर इलाहाबाद उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट ऑफ जुडीकेचर ऐट इलाहाबाद) कर दिया गया। अवध न्यायिक आयुक्त के न्यायालय के स्थान पर लखनऊ के अवध मुख्य न्यायालय (चीफ कोर्ट) की स्थापना 2 नवंबर, 1925 को हुई। इसकी स्थापना लेटर्स पेटेंट के द्वारा नहीं बल्कि भारत शासन अधिनियम 1919 (गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1919) की धारा 80-ए (3) की शर्त के अनुसार गवर्नर जनरल की पूर्व सहमति से उत्त्ारप्रदेश विधायिका द्वारा पारित अवध दीवानी न्यायालय अधिनियम  के लागू होने पर हुई। उत्तरप्रदेश उच्च न्यायालय समामेलन आदेश, 1948 द्वारा अवध के मुख्य न्यायालय का सम्मेलन इलाहाबाद उच्च न्यायालय के साथ कर दिया गया तथा नए उच्च न्यायालय को दोनों ही समामेलित न्यायालयों की अधिकारिता प्रदान की गई। समामेलन आदेश के द्वारा लेटर्स पेटेंट के अंतर्गत उच्च न्यायालय की अधिकारिता तथा अवध न्यायालय अधिनियम के अंतर्गत मुख्य न्यायालय की अधिकारिता को संरक्षित रखा गया। जुलाई 1949 में राज्य-विलयन (गवर्नर के प्रांत) आदेश पारित किया गया, जिसे नवंबर में राज्य-विलयन (संयुक्त प्रांत), आदेश, 1949 द्वारा संशोधित किया गया। इसके द्वारा अनुसूची में विनिर्दिष्ट कुछ भारतीय राज्यों की शक्तियों को, जो डोमिनियन सरकार में निहित थीं, पार्श्व में स्थित गवर्नर शासित प्रांतों को स्थानांतरित कर दिया गया। अनुसूची में विनिर्दिष्ट यह राज्य रामपुर, बनारस और टिहरी गढ़वाल थे तथा धारा-3 के अनुसार उक्त राज्यों को हर प्रकार से ऐसे प्रशासित होना था, मानों वे विलयनकारी प्रांत के ही भाग थे। भारत के संविधान के लागू होने की तिथि 26 जनवरी, 1950 अर्थात प्रथम गणतंत्र दिवस समारोह की पूर्व संध्या को इलाहाबाद उच्च न्यायालय को उत्तरप्रदेश के संपूर्ण क्षेत्र में अधिकारिता प्राप्त हो गई। उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के द्वारा उत्तरांचल राज्य तथा उत्तरांचल उच्च न्यायालय 8 और 9 नवंबर 2000 के बीच की मध्य रात्रि से अस्तित्व में आए तथा इस अधिनियम की धारा-35 के अनुसार उत्तरांचल राज्य के क्षेत्र में आने वाले 13 जिलों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की अधिकारिता समाप्त हो गई। वर्तमान समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायमूर्तियों के 160 पद स्वीकृत हैं। 17 मार्च, 2016 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपनी 150वीं वर्षगांठ मनाई है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App