खुदा मैंने तुझे दिलों में उतरते देखा है

By: Jun 12th, 2017 12:05 am

फूलों में हो तुम डालों में तुम।

अंधेरों में तुम उजालों में तुम।।

भंवरों को मैंने फूलों से लिपटते देखा है।

खुदा मैंने तुझे दिलों में उतरते देखा है।।

प्रकृति के कण- कण में तू है समाया।

अपनी महक से तूने ये संसार है महकाया।।

कच्ची उम्र में अकसर पांव को फिसलते देखा है।

खुदा मैंने तुझे दिलों में उतरते देखा है।।

मंदिरों में तू मस्जिदों में तू।

गिरजाघर में तू गुरुद्वारे में तू।।

तेरे बनाए इंसान को तेरे लिए लड़ते देखा है।

खुदा मैंने तुझे दिलों में उतरते देखा है।।

तेरी आभा, तेरी रहमत बड़ी मशहूर है।

कीट पतंग मानव पशु सबमें बिछा तेरा नूर है।।

हर पत्थर दिल को मैंने तेरे दर पर पिघलते देखा है।

खुदा मैंने तुझे दिलों में उतरते देखा है।।

है तू सर्वत्र हकीकत में, खाब में।

अगन, पवन में, है तू ही खुदा आब में।।

मैंने मछलियों को पानी की खातिर तड़पते देखा है।

खुदा मैंने तुझे दिलों में उतरते देखा है।।

सुशील भारती, नित्थर, कुल्लू (हि.प्र.)

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