हिमाचली पुरुषार्थ : तपिश के ताप से अब निखरेगा फुटबाल खेल

By: Aug 2nd, 2017 12:07 am

तपिश के ताप से अब निखरेगा फुटबाल खेलहिमाचल के इतिहास में तपिश इकलौते फुटबाल खिलाड़ी हैं, जिन्होंने नया इतिहास रच दिया है। अब तपिश हिमाचल की ओर से कमिश्नर बनने के बाद ऑल इंडिया फुटबाल फेडरेशन की प्रतियोगिताओं में मैच कमिश्नर की भूमिका निभाते हुए नजर आएंगे। हिमाचल प्रदेश में फुटबाल कोच के लाइसेंस कोर्स का श्रीगणेश भी तपिश थापा द्वारा ही सुंदरनगर से करवाया गया है…

हिमाचली गबरू तपिश थापा ने एआईएफएफ के मैच कमिशनर का खिताब अपने नाम कर लिया है। हिमाचल के इतिहास में तपिश इकलौते फुटबाल खिलाड़ी हैं, जिन्होंने नया इतिहास रच दिया है। अब तपिश हिमाचल की ओर से कमिश्नर बनने के बाद ऑल इंडिया फुटबाल फेडरेशन की प्रतियोगिताओं में मैच कमिश्नर की भूमिका निभाते हुए नजर आएंगे। हिमाचल प्रदेश में फुटबाल कोच के लाइसेंस कोर्स का श्रीगणेश भी तपिश थापा द्वारा ही सुंदरनगर से करवाया गया है। तपिश थापा धर्मशाला के दाड़ी के रहने वाले हैं। उनके पिता महेंद्र सिंह थापा आर्मी से रिटायर हैं, जबकि माता कमला थापा गृहिणी हैं। उनके दो भाई मनीष थापा, अनिश थापा, पत्नी वंदना थापा और बेटी भाविनी थापा परिवार में हैं। तपिश थापा ने अपनी आरंभिक पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय योल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने यूजी की पढ़ाई पीजी कालेज धर्मशाला से 1997 में की। तपिश थापा ने बीएड कालेज धर्मशाला से बीएड का अध्ययन किया। वर्ष 2001 से उन्होंने शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं देना जिला चंबा से शुरू किया। इसके बाद इंदौरा, खनियारा, घरोह और वर्तमान समय में फरसेटगंज में बतौर शिक्षक अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। तपिश अपने स्कूल के समय से ही स्कूल नेशनल, स्टेट चैंपियनशिप, जिला का प्रतिनिधित्व करते हुए विनर रहे हैं। इसके अलावा पिछले 12 वर्षों से हिमाचल प्रदेश फुटबाल एसोसिएशन में पदाधिकारी के रूप में भी महासचिव व जिला बॉडी में उपाध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। अखिल भारतीय फुटबाल फेडरेशन की मैच कमिश्नर की परीक्षा में तपिश थापा का चयन किया गया है। राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में पूरे देश से फुटबाल की बारीकियों का ज्ञान रखने वाले लोगों का चयन प्रारंभिक स्तर पर राज्य स्तर पर किया गया। दूसरे चरण में जुलाई माह में मुंबई व कोलकाता में पूरे देश से चयनित 50 लोगों का तीन दिनों तक परीक्षण किया गया। इसके उपरांत हुई मौखिक व लिखित परीक्षा में पूरे देश से 24 लोगों का चयन किया गया है, जिसमें हिमाचल प्रदेश से तपिश थापा का चयन किया गया है। तपिश ने कोलकाता में आयोजित चयन परीक्षा में अपने ज्ञान का लोहा मनवाते हुए प्रदेश के पहले व एकमात्र मैच कमिश्नर की योग्यता हासिल की है। थापा अब जल्द ही ऑल इंडिया फुटबाल फेडरेशन की होने वाली आगामी प्रतियोगिताओं के फुटबाल मैचों का प्रबंधन करते हुए नजर आएंगे। फुटबाल मैचों के आयोजन की समस्त जिम्मेदारी मैच कमिश्नर की होती है। जिसमें मैच का आयोजन, सुरक्षा मामले, टीम के ठहराव, आवागमन, अनुशासन व मैदान पर होने वाली अन्य सभी गतिविधियां मैच कमिश्नर की स्वीकृति से ही आयोजित की जाती हैं। हिमाचल में एआईएफएफ का डी लाइसेंस रैफरी कोर्स शुरू करवाने में तपिश थापा ने अहम रोल अदा किया। हिमाचल में रैफरियों के लिए पहला डी लाइसेंस कोर्स करवाया जा सका। एचपीएफए द्वारा करवाई विभिन्न फुटबाल प्रतियोगिताओं में थापा बतौर मैच रैफरी अपनी सेवाएं प्रदान कर चुके हैं। थापा ने कहा कि आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश फुटबाल की आई लीग और इंडियन सुपर लीग जैसी प्रतियोगिताएं करवाने का मिलकर प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल के युवा फुटबाल को अपना करियर चुन सकते हैं। तपिश थापा ने सबसे पहले वर्ष 2012 में रैफरी कोर्स किया था। मुंबई में आठ अगस्त को तथा कोलकाता में 14 अगस्त को नवनियुक्त मैच कमिश्नरों के लिए सेमिनार आयोजित किया जाएगा। जिसमें हिमाचल की ओर से तपिश थापा भाग लेंगे।

—नरेन कुमार, धर्मशाला

जब रू-ब-रू हुए…

बस यूं समझें फुटबाल ही मेरी लाइफ…

आपके जीवन में फुटबाल का महत्त्व?

मैंने अपनी जिंदगी के अहम पाठ फुटबाल से ही सीखे हैं। टीम वर्क, लीडरशीप और ओवरऑल पर्सनेलिटी डिवेलपमेंट का हुनर सीखा है। यूं समझें बस फुटवाल ही मेरी लाइफ है।

फुटबाल मैच कमिश्नर बनने की दिशा में क्या प्रयास किए, और इसके मायने क्या हैं?

अपनी युवा अवस्था से फुटबाल खेलता आया हूं। पिछले 12 सालों से फुटबाल एसोसिएशन से जुड़ा हूं। फुटबाल की विभिन्न बारीकियों पर इंडिया लेवल टेस्ट पास करने के लिए लगातार अभ्यास जारी रखा।

फुटबाल के अलावा अन्य खेलों में आपकी रुचि?

फुटवाल के अलावा बैडमिंटन।

खिलाड़ी बनने के लिए किस उम्र में सोचना चाहिए, तथा क्षमता का निर्धारण कैसे होगा?

खिलाड़ी बनने के लिए उम्र का कोई निर्धारण नहीं है। परिवार के सहयोग से एक चार-पांच वर्ष का बच्चा भी इसका अभ्यास शुरू कर सकता है। क्षमता का निर्धारण लगातार अभ्यास और अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर में सही सीख से हो सकता है।

फुटबाल में आपका आदर्श खिलाड़ी?

देश के लिए अच्छा प्रदर्शन करने वालों में से बाईचिंग भुटिया, सुनील छेत्री और हिमाचल की ओर से देश का प्रतिनिधित्व करने वाले विशाल कैथ के नाम शामिल हैं।

बाकी तमाम खेलों के मुकाबले फुटबाल की श्रेष्ठता क्या है, तो क्यों नहीं भारत में यह खेल आगे बढ़ पा रहा है?

विश्व का सबसे लोकप्रिय खेल फुटबाल पहाड़ी राज्य हिमाचल और देश भर में प्रसिद्ध है। अब पहले के मुकाबले भारत देश विश्व फुटबाल जगत में आगे बढ़ता जा रहा है। अब देश की रैंकिंग 96 तक पहुंच गई है। जिसमें अब और अधिक सुधार होता जाएगा।

हिमाचल में फुटबाल की वर्तमान स्थिति?

ऑल इंडिया फुटबाल फेडरेशन की स्थापना भी शिमला में हुई थी। हिमाचल में फुटबाल सही चल रहा है, लेकिन इसकी सही पहचान नहीं थी। पर अब खिलाडि़यों को पंजीकृत कर क्लब बनाकर फुटबाल को विकसित करने पर जोरों पर है।

फुटबाल खेलने की आपकी पसंदीदा जगह और मैदान?

हिमाचल ठंडा प्रदेश होने के नाते यह सबसे उत्तम है। हालांकि हिमाचल में मल्टीपर्पज मैदानों के सहारे ही फुटबाल चल रहा है, फुटबाल का कोई मैदान नहीं बन पाया है। पुलिस मैदान धर्मशाला, सुंदरनगर, पड्डल मंडी और चंबा बेहतरीन मैदान हैं।

हिमाचल में फुटबाल के प्रति युवाओं में क्रेज बढ़ा है, तो इस दिशा में आगे क्या करना होगा?

युवाओं को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के लिए तैयार करने को बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर, खेल के मौके और प्रशिक्षण प्रदान करने पर प्रयास करना होगा। युवाओं का भविष्य और करियर सुरक्षित रखने को भी अब फुटबाल संघ द्वारा स्पेशल कोर्स करवाए जा रहे हैं।

निजी क्षेत्र इस दिशा में कैसे भागीदारी निभा सकता है?

निसंदेह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। खेल में क्लबों का निर्माण खिलाडि़यों के लिए आर्थिक उन्नति के साथ खेल का विकास होना स्वाभाविक हो जाता है, क्रिकेट में अधिक पैसा होने पर ही अब अधिक प्रतिभाएं निकल रही हैं, ऐसे ही फुटबाल के साथ होना भी अनिवार्य है।

अभी हाल ही में ‘दिव्य हिमाचल’ ने फुटबाल लीग का आयोजन किया, कोई प्रतिक्रिया या सुझाव?

‘दिव्य हिमाचल’ समाचार पत्र ने प्रदेश के खिलाडि़यों के लिए एक बहुत अच्छी शुरुआत की है। अब इस खेल में अधिक प्रोफेशनल्ज को जोड़कर एक महत्त्वपूर्ण और खिलाडि़यों को समर्पित इंवेट बनाने के प्रयास किए जाएं, तो इससे भी अधिक बेहतर हो सकता है।

क्या हिमाचल में स्कूली खेलें मात्र औपचारिकता ही निभा रही हैं?

स्कूलों की खेलें मात्र औपचारिकताओं तक ही सिमट कर रह गई हैं। इसका कारण यह है कि इसमें बच्चे चटाई से अभी तक गद्दे में नहीं पहुंच पाए हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा कर स्कूलों से ही खेल की नींव को मजबूत करना होगा।

हिमाचल में फुटबाल अकादमी या फुटबाल स्टेडियमों के निर्माण के लिए किन स्थानों पर तवज्जो देनी चाहिए?

प्रदेश में खेल नगरी धर्मशाला के सिद्धबाड़ी जोरावर और ऊना के खड्ड में एकेडमी बनाने के प्रोपोजल हैं। उक्त कार्य को जल्द ही सरकार द्वारा पूरा कर दिया जाता है, तो यह फुटबाल के लिए बेहतरीन कार्य होगा।

कोई एक सपना जिसे पूरा करना अभी बाकी है?

हिमाचल में दो से तीन फुटबाल रेजिडेंशियल एकेडमी बनाने का सपना है, जिससे प्रदेश के खिलाडि़यों को आदर्श तरीके से प्रशिक्षण प्राप्त कर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने का मौका मिल पाएगा।

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