कौन बुझाएगा सिरडी की प्यास

By: Sep 27th, 2017 12:05 am

‘‘उम्मीदों की नींव पर ही सही, इक पुल चाहिए। गांव-शहर से जुड़ें, डग भरने का हमें भी हक चाहिए।’’मगर विडंबना यही रही कि लगातार उम्मीदों के कई पुल ढह गए और कई सोचे भी न जा सके। भौगोलिक परिस्थितियां सियासत के दृष्टिकोण पर इतनी भारी पड़ेंगी यही सोच कर भाषणबाजों पर तरस आता है। जब पता चलता है कि फलां भवन का नींव पत्थर 1980 में रखा गया या फिर 15 बर्ष से उद्घाटन को तरस रही सड़क। या फिर शहीद अथवा स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर घोषणाएं। ये तमाम बातें कुछ समय बाद जनता को सुविधा नहीं मिलने पर एक टीस जरूर दे जाती है। जनता को मतदाता समझने वाले राजनेताओं को पांच वर्ष बाद याद आती है, तब तक लोग ऊब चुके होते हैं और फिर अपने हकों की आवाज उठाते हैं। लोगों के इसी दर्द का हिस्सा बनने के लिए प्रदेश के अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ अपनी नई सीरीज ‘हक से कहो’ के तहत जनता की आवाज बनकर आगे आ रहा है

राकेश कपूर, राख

पेयजल को लेकर कोरे आश्वासन

 भरमौर उपमंडल के सिरडी गांव के कृष्ण चंद का कहना है कि इलाके में पेयजल व स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह रामभरोसे हैं। हालात यह है कि बीमारी की हालत में लोगों को कई किलोमीटर दूर उपमंडल मुख्यालय का रुख करना पड़ता है। इलाके में पेयजल संकट की समस्या भी विकराल रूप धारण कर चुकी है। मगर इन समस्याओं के स्थाई हल को लेकर राजनितिक स्तर पर कोई गंभीर प्रयास होते नहीं दिख रहे हैं।

मूलभूत सुविधाओं को  तरस रहे

सिरडी गांव के कुलदीप कुमार का कहना है कि इलाके में मूलभूत सुविधाओं की कमी ने लोगों को मुश्किल में ड़ालकर रख दिया है। इन सुविधाओं में सुधार की बात अब तक महज आश्वासनों के झूले में झूल रही है। कुलदीप कुमार का कहना है कि पेयजल संकट ने लोगों की दिक्कतों को दोगुना करके रख दिया। कुलदीप कुमार का कहना है कि लोगों को प्यास बुझाने के लिए कई किलोमीटर का फासला तय करना पड़ रहा है। इलाके में पेयजल संकट की समस्या भी विकराल रूप धारण   कर चुकी है।

वर्षो से पेयजल की समस्या ज्यों की त्यों

 सिरडी गांव के उत्तम चंद का कहना है कि इलाके में पेयजल की समस्या पिछले दस वर्षों से विकराल रूप धारण किए हुए हैं। लोगों को पानी की बूंद- बूंद के लिए तरसना पड़ा है। इलाके में पेयजल समस्या के स्थायी हल हेतु लाखों रुपए की लागत से निर्मित आधा दर्जन स्टोरेज टेंक भी खाली पडे़ हुए हैं। स्टोरेज टेंक के निर्माण के बाद आईपीएच विभाग पानी की सप्लाई करना भूल चुका है। मगर इन समस्याओं के स्थाई हल को लेकर राजनितिक स्तर पर कोई गंभीर प्रयास होते नहीं दिख रहे हैं।


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