हफ्ते का खास दिन

By: Oct 15th, 2017 12:05 am

अब्दुल कलाम

जन्मः 15 अक्तूबर, 1931

अब्दुल कलाम का पूरा नाम डाक्टर ‘अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम’ था। उनका जन्म 15 अक्तूबर, 1931 को रामेश्वरम तमिलनाडु में हुआ था। द्वीप जैसा छोटा सा शहर प्राकृतिक छटा से भरपूर था। शायद इसलिए अब्दुल कलाम जी का प्रकृति से बहुत जुड़ाव रहा था। किशोरावस्था में अब्दुल कलाम रामेश्वरम का प्राकृतिक सौंदर्य समुद्र की निकटता के कारण सदैव बहुत दर्शनीय रहा है। उनके पिता ‘जैनुलाब्दीन’ न तो ज्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे। वह नाविक थे और नियम के बहुत पक्के थे। उनके पिता मछुआरों को नाव किराए पर दिया करते थे। उनके संबंध रामेश्वरम के हिंदू नेताओं तथा अध्यापकों के साथ काफी स्नेहपूर्ण थे। अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अखबार वितरित करने का कार्य भी किया था। अब्दुल कलाम संयुक्त परिवार में रहते थे। परिवार की सदस्य संख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यह स्वयं पांच भाई एवं पांच बहन थे और घर में तीन परिवार रहा करते थे। इनका कहना था कि उनके घर में तीन झूले थे, जिसमें बच्चों को रखा और सुलाया जाता था, देखने के अभ्यस्त थे। इनकी दादी मां एवं मां द्वारा ही पूरे परिवार की परवरिश की जाती थी। घर के वातावरण में प्रसन्नता और वेदना दोनों का वास था। इनके घर में कितने लोग थे और इनकी मां बहुत लोगों का खाना बनाती थीं क्योंकि घर में तीन भरे-पूरे परिवारों के साथ-साथ बाहर के लोग भी हमारे साथ खाना खाते थे। इनके घर में खुशियां भी थीं, तो मुश्किलें भी। अब्दुल कलाम के जीवन पर इनके पिता का बहुत प्रभाव रहा। वह भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उनकी लगन और उनके दिए संस्कार अब्दुल कलाम के बहुत काम आए। अब्दुल कलाम के जीवन की एक घटना है कि एक बार वह भाई-बहनों के साथ खाना खा रहे थे। इनके यहां चावल खूब होता था, इसलिए खाने में वही दिया जाता था, रोटियां कम मिलती थीं। जब इनकी मां ने इनको रोटियां ज्यादा दे दीं, तो इनके भाई ने एक बड़े सच का खुलासा किया। इनके भाई ने अलग ले जाकर इनसे कहा कि मां के लिए एक-भी रोटी नहीं बची और तुम्हें उन्होंने ज्यादा रोटियां दे दीं। वह बहुत कठिन समय था और उनके भाई चाहते थे कि अब्दुल कलाम जिम्मेदारी का व्यवहार करें। तब यह अपने जज्बातों पर काबू नहीं पा सके और दौड़कर मां के गले से जा लगे। उन दिनों कलाम कक्षा पांच के विद्यार्थी थे। इन्हें परिवार में सबसे अधिक स्नेह प्राप्त हुआ क्योंकि यह परिवार में सबसे छोटे थे। तब घरों में विद्युत नहीं थी और कैरोसिन तेल के दीपक जला करते थे, जिनका समय रात्रि 7 से 9 तक नीयत था, लेकिन यह अपनी माता के अतिरिक्त स्नेह के कारण पढ़ाई करने हेतु रात के 11 बजे तक दीपक का उपयोग करते थे। अब्दुल कलाम के जीवन में इनकी माता का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। इनकी माता ने 92 वर्ष की उम्र पाई। वह प्रेम, दया और स्नेह की प्रतिमूर्ति थीं। उनका स्वभाव बेहद शालीन था। इनकी माता पांचों समय की नमाज अता करती थीं। अब्दुल कलाम देखते थे, तो इन्हें रूहानी सुकून और प्रेरणा प्राप्त होती थी। जिस घर अब्दुल कलाम का जन्म हुआ, वह आज भी रामेश्वरम में मस्जिद मार्ग पर स्थित है। इसके साथ ही इनके भाई की कलाकृतियों की दुकान भी संलग्न है। यहां पर्यटक इसी कारण खिंचे चले आते हैं, क्योंकि यहां अब्दुल कलाम का आवास स्थित है। 1964 में 33 वर्ष की उम्र में डाक्टर अब्दुल कलाम ने जल की भयानक विनाशलीला देखी और जल की शक्ति का वास्तविक अनुमान लगाया। चक्रवाती तूफान में पायबन पुल और यात्रियों से भरी एक रेलगाड़ी के साथ-साथ अब्दुल कलाम का पुश्तैनी गांव धनुषकोड़ी भी बह गया था। जब यह मात्र 19 वर्ष के थे, तब द्वितीय विश्व युद्ध की विभीषिका को भी महसूस किया। युद्ध का दावानल रामेश्वरम के द्वार तक पहुंचा था। राष्ट्रपति बन उन्होंने देश का सर्वोच्च पद भी ग्रहण किया। 27 जुलाई, 2015 की शाम अब्दुल कलाम ‘भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग’ में रहने योग्य ग्रह’ पर एक व्याख्यान दे रहे थे, तब उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह बेहोश होकर गिर पड़े। लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में उन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद उनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई। जब कलाम को अस्पताल लाया गया, तब उनकी नब्ज और रक्तचाप साथ छोड़ चुके थे। कलाम के निधन का समाचार पाकर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।


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