मनदीप का कीवी उत्पादन में कमाल

By: Nov 22nd, 2017 12:02 am

नौकरी के दौरान उन्हें घर पर बंजर पड़ी जमीन पर बागबानी करने का विचार आया और वह अपनी जॉब छोड़कर वापस अपने गांव लौट आए और नौणी विश्वविद्यालय के बागबानी विभाग से कीवी फल लगाने की सलाह ली, जिसके बाद उन्होंने अपने घर पर कीवी का बागीचा लगाया…

शिव शहर के साथ लगते शिल्ली गांव के रहने वाले मनदीप मात्र 14 बीघा जमीन पर कीवी का बागीचा लगाकर लाखों रुपए की आय अर्जित कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश बागबानों के लिए मिसाल कायम की है। खास बात यह है कि मनदीप कीवी की सप्लाई सीधे ग्राहकों तक पहुंचा रहे हैं। देश के सात राज्यों ने वह ऑनलाइन कीवी की सप्लाई बीते लंबे अरसे से कर रहे हैं। सोलन के रहने वाले मनदीप ने कीवी की खेती करके व अपने उत्पाद को ऑनलाइन देशभर में बेचकर नई पहचान बनाई है। खास बात यह है कि पहली बार मनदीप ने कीवी की फसल उगाई है और पहली ही बार में उन्हें इसका बेहतर परिणाम मिला है। शिल्ली में मनदीप ने 14 बीघा क्षेत्र में कीवी का बगीचा लगाया है। उन्होंने यहां कीवी की उन्नत किस्में एलिसन व हैबर्ड के पौधे लगाए। उन्होंने करीब 14 लाख रुपए से यह बागीचा तैयार किया। साथ ही फैसला लिया कि वह जैविक विधियों से कीवी को उगाएंगे। मनदीप का कहना है कि वह इस साल भी इतनी ही जमीन पर पौधे लगाएंगे। साथ ही वह यहां कीवी के पौधे भी तैयार करेंगे। यहां कीवी के पौधों की भारी डिमांड है, लेकिन उपलब्धता न के बराबर। सोलन के शिल्ली गांव निवासी मनदीप वर्मा ने बताया कि उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा सोलन में ली। इसके बाद आगरा से बीटेक किया। इसके बाद गुरुग्राम से एमबीए की डिग्री हासिल की और यहीं से कैंपस प्लेसमेंट के माध्यम से उनकी विप्रो कंपनी में सिलेक्शन हो गई। यहां वह मैनेजर के पद पर नौकरी कर रहे थे। नौकरी के दौरान उन्हें घर पर बंजर पड़ी जमीन पर बागबानी करने का विचार आया और वह अपनी जॉब छोड़कर वापस अपने गांव लौट आए और नौणी विश्वविद्यालय के बागबानी विभाग से कीवी फल लगाने की सलाह ली, जिसके बाद उन्होंने अपने घर पर कीवी का बागीचा लगाया। मनदीप वर्मा ने बताया कि फार्म टू कंज्यूमर तक अपनी उत्पाद भेजने के लिए सबसे पहले स्वास्तिक फार्म्ज के नाम से अपनी वेबसाइट बनाई। इस वेबसाइट पर कीवी की ऑनलाइन बुकिंग होती है। बुकिंग के बाद अकाउंट में ऑनलाइन पेमेंट जमा होने के बाद उपभोक्ता के लिए फार्म से कीवी की तुड़ाई की जाती है और एक्सपोर्ट क्वालिटी के डिब्बे में पैक कर फैडेक्स कंपनी के माध्यम से उपभोक्ता के घर डिब्बा पहुंच जाता है।  इस साल पहली बार उनके पौधों ने फ ल दिया। उन्होंने पहले 400 डिब्बे पैक किए, जो 10 से 12 दिनों में बिक गए। उन्होंने इस बार अपना कीवी ऑनलाइन हैदराबाद, बंगलूर, दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ भेजा। डिब्बे पर कब फल तोड़ा, कब डिब्बा पैक हुआ सारी डिटेल होती है। एक डिब्बे में एक किलो कीवी पैक होती है और इसके दाम 350 रुपए प्रति बॉक्स है, जबकि सोलन में कीवी 150 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहा है।

-भूपेंद्र सिंह, सोलन

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उत्पादन से मार्किटिंग तक के सफर में बागबान के लिए सबसे अहम पहलू क्या है?

उत्पादन से मार्किटींग तक सफर में सबसे अहम यह है कि आप अपना उत्पादन कब, कहां और कैसे बेच रहे हैं। बागबानी की मार्केटिंग में समय का सबसे अधिक महत्त्व है।

कीवी उत्पदन तक कैसे पहुंचे और आरंभिक चुनौतियां क्या रहीं?

मैं एक निजी कंपनी में प्रबंधक था। अचानक से मन में   विचार आया कि अपने गांव में जाकर कुछ काम शुरू किया जाए। इसके बाद मैंने कीवी उत्पादन शुरू किया। शुरुआती दौर में काफी मुश्किलें आईं, लेकिन विवि तथा कृषि विभाग के वैज्ञानिकों की सहायता से मैं इस मिशन में सफल हो पाया हूं।

विदेशी फलों के आयात के दौर में टिके रहने की आपकी खूबी?

विदेशी फलों के आयात में टिके रहना काफी बड़ी चुनौती है, लेकिन जैविक उत्पादन के दम पर कामयाब हुआ जा सकता है। देशवासी अपनी सेहत को लेकर काफी जागरूक हैं, इसलिए जैविक उत्पादों का चलन तेजी से बढ़ रहा है।

बाजार की चुनौतियों और संभावनाओं को हिमाचल के परिप्रेक्ष्य  में कैसे देखते हैं।  विभागीय कसरतों के बजाय निजी रूप से बागबान की जागरूकता के क्या मायने हैं?

हिमाचल प्रदेश की जलवायु प्रत्येक प्रकार के उत्पादन के लिए अनुकूल मानी जाती है। इसलिए यहां पर कृषि व बागबानी की अपार संभावनाएं हैं। निजी प्रयासों से प्रदेश के किसान बागबानी के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं और हिमाचल बागबानी प्रदेश के रूप में उभर रहा है।

फल उत्पादों के विपणन को लेकर हिमाचल को त्वरित रूप से क्या करना चाहिए?

हिमाचल प्रदेश में ऑनलाइन मार्केटिंग व वितरण सिस्टम को बढ़ावा दिए जाने की अवश्यकता है। ऐसा किए जाने से प्रदेश के बागबानों को बड़ी मार्केट मिलेगी।

कीवी के अलावा अन्य फलों या कृषि संबंधी उत्पादों के लिए भी संभावना देखते हैं या कुछ और योजना है?

कीवी के आलावा हिमाचल में अन्य फलों के उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। ड्राई फ्रूट व जड़ी- बूटियों की देश भर में काफी अधिक डिमांड है।

वापस जमीन की ओर लौटने की वजह या इस दिशा में आपका लक्ष्य?

अपने गांव व परिवार के साथ रहना चाहता था इस लिए नौकरी छोड़ कर वापस घर आया हूं। बागबानी के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश को नई बुलंदियों तक पहुंचाना चाहता हूं।

कीवी उत्पादन में आपकी सलाह और ई-मार्केटिंग के जरिए हिमाचली उत्पादों को कितना बड़ा बाजार मिल सकता है?

हिमाचल के बागबान काफी अधिक जागरूक तथा पढ़े-लिखे हैं। ई-मार्केटिंग के माध्यम से प्रदेश के बागबानों को काफी बड़ा बाजार मिल सकता है।

आपके अनुसार हिमाचल बागबानी विश्वविद्यालय को ऐसा क्या करना चाहिए, ताकि मनदीप की तरह प्रगतिशील बागबान सफल हो सके?

बागबानी विवि को ऑनलाइन मार्केटिंग पर ध्यान देना चाहिए। हमारी अधिकतर योजनाएं व शोध केवल बंद कमरों तक ही सीमित रह जाते हैं।

हिमाचल के बारे में आपका नजरिया और हिमाचली लोगों को अगर अपनी बाधाओं से पार निकलना है, तो क्या करें?

हिमाचली बागबान काफी अधिक मेहनती हैं तथा प्रत्येक कार्य करने में सक्षम भी हैं। किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले उसके बारे में अच्छी तरह जानकारी लेना जरूरी है। सरकारी योजनाओं का भी पता होना चाहिए तभी कामयाब हो सकते हैं।

हिमाचल में युवा शक्ति का बेहतर इस्तेमाल कैसे हो सकता है?

हिमाचल प्रदेश के युवा काफी अधिक पढ़े-लिखे तथा जागरूक हैं। सरकारी नौकरी के पीछे न भाग कर स्वरोजगार शुरू करें ताकि अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकें।

स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए हिमाचल की कृषि योग्य भूमि कितनी व किस हद तक सहायक हो सकती है?

हिमाचल प्रदेश का मौसम काफी अच्छा है तथा प्रत्येक प्रकार की फसल यहां पर आसानी से हो सकती है। इसलिए स्वरोजगार को यहां पर आसानी से शुरू किया जा सकता है।

कोई संदेश हिमाचल के उन युवाओं के नाम जो केवल सरकारी नौकरी की कतार में वर्षों से खड़े हैं?

हिमाचल युवाओं को अपनी जमीन से जुड़े रहना चाहिए। बाहरी राज्यों की तरफ पलायन करने से बेहतर है कि अपनी जमीन पर स्वरोजगार शुरू करें।

 


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