शह और मात में माहिर हंसराज ठाकुर

By: Nov 15th, 2017 12:06 am

मात्र चार वर्षों में शतरंज गेम में कड़ी मेहनत करके खिलाडि़यों व स्वयं को मुकाम पर पहुंचाया है। इसके बदौलत ही प्रवक्ता हंस राज ठाकुर ने अंतरराष्ट्रीय रेटिंग प्राप्त कर ली है। हंस राज ठाकुर ने बताया कि उन्हें बचपन से ही शतरंज खेलने का शौक था, लेकिन शतरंज खेलने के लिए कोई संगठन व सहयोगी न होने के कारण दिक्कतें रही हैं…

जीवन में विकट परिस्थितियों से निकलने की निपुण योजना बनाने में एक शतरंज का खिलाड़ी माहिर होता है।  उसे किस स्थिति में कौन-सा कदम उठाना है, इसके लिए  दिमाग की खूब कसरत होती है। कुछ ऐसी ही महारत है मंडी जिला के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गोहर के फिजिक्स विषय के प्रवक्ता व शतरंत के खिलाड़ी हंसराज ठाकुर  के पास। उन्होंने  अपनी शैक्षणिक उपलब्धि के बारे में जानकारी साझा करते हुए बताया कि उन्होंने दसवीं कक्षा राजकीय उच्च पाठशाला हटगढ़, स्नातक मंडी, स्नातकोत्तर श्रीनगर विश्वविद्यालय, एमफिल हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय व बीएड जम्मू विश्वविद्यालय से की है । समस्त पूर्ण शिक्षा प्रथम श्रेणी में ही प्राप्त की है। उन्हें कविता लिखने का शौक भी है। मात्र चार वर्षों में शतरंज गेम में कड़ी मेहनत करके खिलाडि़यों व स्वयं को मुकाम पर पहुंचाया है। इसके बदौलत ही प्रवक्ता हंस राज ठाकुर ने अंतरराष्ट्रीय रेटिंग प्राप्त कर ली है। हंस राज ठाकुर ने बताया कि उन्हें बचपन से ही शतरंज खेलने का शौक था, लेकिन   शतरंज खेलने के लिए कोई संगठन व सहयोगी न होने के कारण दिक्कतें रही है। शतरंज स्पर्धा केवल शिमला में ही आयोजित की जाती थी। उक्त स्थान पर पहुंचने व एंट्री  नहीं मिल पाती थी। हंस राज ठाकुर ने वर्ष 2013 में बल्ह क्षेत्र के भंगरोटू में राज्य  स्तरीय शतरंत स्पर्धा में भाग लिया। इस दौरान शतरंज स्पर्धा में हंस राज ठाकुर राज्य स्तर पर उपविजेता रहे। इसके उपरांत उन्होंने स्कूली बच्चों को शतरंज खेल के लिए प्रशिक्षण देना शुरू किया। उनके प्रशिक्षण द्वारा स्कूली खिलाड़ी अपना मुकाम हासिल कर रहे हैं। वहीं उन्होंने अपने सहयोगी के साथ शतरंज संघ का गठन किया। ताकि संगठन के माध्यम से खिलाडि़यों का बेहतर ढंग से मार्ग दर्शन हो सके। हंस राज ठाकुर ने वर्ष 1998 में फिजिक्स विषय के प्रवक्ता के रूप में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पांगणा में सेवाएं देना शुरू की। उसके उपरांत वह सेरी बंगलो स्कूल में दस वर्ष, रोहाड़ा स्कूल में दो वर्ष,जैदेवी स्कूल में वर्ष 2014 तक, राजगढ़ स्कूल में 2014-17 तक राजगढ़ में सेवाए दे चुके हैं। वहीं वर्तमान में हंसराज ठाकुर अगस्त 2017 से गोहर स्कूल में सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य स्कूली खेलों में शतरंज गेम को शामिल करना है। इसके लिए वह स्वयं कड़ी मेहनत कर रहे हैं।  उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 से स्कूली खेलों से शतरंज गेम हटा दिया गया था। वहीं हाल ही में प्रवक्ता हंसराज ठाकुर को अमृतसर में आयोजित चौथी समीन सिंह अंतरराष्ट्रीय रेटिंग शतरंज प्रतियोगिता में पहली बार हिस्सा लेकर नौ अंक में से 4.5 अंक लेकर प्रदेश का नाम रोशन  किया है।  इससे पहले हिमाचल प्रदेश  के 66 खिलाड़ी पहले से ही रेटिंग प्राप्त है। इसमें जिला मंडी जिला के आठ खिलाड़ी शामिल हैं। हंसराज ठाकुर ने बताया कि जिला मंडी व हिमाचल प्रदेश में शतरंज खेल को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश स्टेट चैस एसोसिएशन व जिला मंडी शतरंज संघ पहले से ही कार्यरत हैं।  हंसराज ठाकुर सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्यों में भी बढ़चढ हिस्सा लेते हैं। वह  विद्यालय में भी जरुरतमंद गरीब बच्चों को किताबें व यथासंभव आर्थिक सहायता प्रदान करने में संकोच नहीं करते।  वहीं खेलों में भी बच्चों का बेहतर मार्गदर्शन कर रहे हैं। हंस राज ठाकुर भारत शतरंज खिलाड़ी, अंतरराष्ट्रीय ग्रैंडमास्टर एवं पूर्व विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद को अपना आदर्श मानते हैं। उन्होंने बताया कि विश्वनाथन आनंद द्वारा खेली गई स्पर्धा से सीख प्राप्त की है।

अजय रांगड़ा , मंडी

जब रू-ब-रू हुए…

हिमाचल में स्कूली स्तर पर ही शतरंज की शुरुआत हो…

शतरंज में आपकी  शुरुआत कब और कहां से?

वैसे तो मैं स्नातक के बाद इस खेल से जुड़ा हूं, लेकिन वर्ष 2013 में मैं शतरंज के लिए सक्रिय रूप से जुड़ा। मैंने अपना पहला जिला स्तरीय टूर्नामेंट भंगरोटू में खेला और तीसरे स्थान पर रहा।

आरंभिक झुकाव तो समझ में आता है, आवश्यक प्रशिक्षण कैसे और कहां से?

दिमागी खेल होने की वजह से मेरा शतरंज से जुड़ाव हुआ। मेरे बड़े भाई ने मुझे इस खेल से अवगत करवाया। हिमाचल प्रदेश में इस खेल के प्रशिक्षण का अभाव है।

शतरंज के मायने किसी व्यक्ति की दिमागी क्षमता से कैसे रू-ब-रू होते हैं?

शतरंज खेलने वाला व्यक्ति जीवन के किसी भी क्षेत्र में आसानी से हार नहीं मानता, बल्कि संभावनाएं तलाशता है और जटिल परिस्थितियों में सामंजस्य बैठाकर उबरने की कोशिश करता है।

शतरंज क्या महज मोहरों की चाल है या इसके पीछे एक बड़ा जाल है?

आम आदमी के लिए शतरंज महज मोहरों की चाल हो सकता है।  वास्तव में यह खेल बहुआयामी है।  बेशुमार चुनौतियां व समाधान भी है। यह खेल अनंत है।

इस क्षेत्र के आपके चेहते खिलाड़ी?

विश्वनाथन आनंद। जिन्होंने गैरी कास्पोरोव के वर्चस्व को तोड़ा।

आप कितने सुरक्षित होकर खेलते हैं या आक्रामकता के लिए खुद पर कितना संतुलन बनाते हैं?

सुरक्षित होकर खेलना हमेशा फायदेमंद रहता है।  मगर मैं जल्द ही आक्रामक रुख अख्तियार कर लेता हूं जो कई बार नुकसानदेह भी रहता है।

 कोई तीन खूबियां जो मात्र शतरंज से ही मिलती हैं?

सृजनात्मकता, तीव्र बौद्धिक संवर्द्धन व विश्लेषण क्षमता का विकास।

अब तक की सबसे बड़ी जीत और आपकी कार्य योजना क्या रही?

ऑनलाइन खेल में1760 रेटिंग से जीत व पहले रेटिंग टूर्नामेंट में 1316 से मिली जीत।

कौन सी ऐसी बाजी जो जीतते-जीतते हार गए। उससे मिला सबक?

आक्रामक रवैये की वजह से दो बार ड्रा गेम हार गया। सबक यही कि धैर्य से खेलने में जीत या ड्रा की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं।

अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में आने के बाद आपका लक्ष्य और मंजिल?

अपने खेल के स्तर में सुधार और रेटिंग में इजाफा, लेकिन इसके बाद कड़ी मेहनत करूंगा।

हिमाचल में शतरंज को बढ़ावा देना हो?

हिमाचल प्रदेश में स्कूली स्तर पर शतरंज खेल को शुरू करवाना और ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस खेल को बढ़ावा देना।

आपके जीवन में कभी शतरंज होती है?

हरेक व्यक्ति का जीवन शतरंज का खेल है। कभी उलझा हुआ, तो कभी सरल रास्ता। लगन और ईमानदारी का फल हमेशा  लक्ष्य को हासिल करने में सहायक रहता है।

आमतौर पर शतरंज का अतीत में अलग चित्रण होता रहा है। वर्तमान में कितना परिवर्तन आया?

खेल के मायने वही हैं। बस प्रौद्योगिकी ने नए आयाम इस खेल में जोड़ दिए हैं।

शतरंज से हटकर आपके जीवन की सबसे बड़ी बाजी और सफलता के मानदंड?

विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास। इस भौतिक संसार में कुछ भी नामुमकिन नहीं। बस एक दृढ़ संकल्प की जरूरत है।


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