सातवां वेतन आयोग लेगा नई सरकार का टेस्ट

By: Nov 18th, 2017 12:06 am

4000 करोड़ तक का पड़ेगा वित्तीय बोझ, सिफारिश के अनुरूप कौड़ी भी नहीं देता केंद्र

शिमला— हिमाचल में बनने वाली नई सरकार पर जहां आर्थिक दिक्कतें भारी पड़ेंगी, वहीं सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए 3500 से 4000 करोड़ तक का अतिरिक्त वित्तीय बोझ सहन करना पडे़गा। वर्ष 2016 में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को 23.5 फीसदी की दर से लागू करने के ऐलान के बाद से ही पंजाब में इसे लागू करने के लिए दबाव बढ़ता रहा। अब वहां कांग्रेस सरकार इसे लागू करने की तैयारी कर रही है, जिससे हिमाचल को भी इसका अनुसरण करना होगा। हिमाचल सरकार वेतन भत्तों को लेकर पंजाब वेतनमान का अनुसरण करती आ रही है।  केंद्र ने पहली जनवरी 2016 से इन वेतनमानों की सिफारिशों के तहत कर्मचारियों को एरियर देने का भी ऐलान किया था। सातवें वेतनायोग की सिफारिशों को लागू करने से हिमाचल सरकार पर वित्त विभाग के मुताबिक सालाना 3500 से 4000 करोड़ के करीब वित्तीय बोझ पड़ेगा। इसके अलावा एरियर पर करीब 1200 करोड़ खर्च करने होंगे। हालांकि वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र ने जिस तरह से बढ़ी हुई सैलरी का एक बड़ा भाग विभिन्न बांड्स में निवेश करने की रणनीति तैयार की थी, यदि पंजाब व हिमाचल भी वैसा ही करते हैं तो इससे न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारों पर ज्यादा वित्तीय बोझ पड़ेगा। हालांकि हिमाचल के लिए दिक्कतें एरियर की भी होंगी। भले ही 14वें वित्तायोग ने प्रदेश को आर्थिक तौर पर संबल दिया हो, मगर जिस तरह से 45 हजार करोड़ का ऋण बोझ हिमाचल के कंधों पर पड़ चुका है, उससे प्रदेश सरकार के विकासात्मक कार्यों पर भी असर पड़ सकता है। छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से ही राज्य पर 2500 करोड़ का बोझ बढ़ा था। राज्य सरकार ने जहां 13वें वित्तायोग से इसकी भरपाई के लिए मांग रखी थी, वहीं केंद्र से भी विशेष पैकेज मांगा था। हालांकि विशेष श्रेणी राज्य की मांग पूरी नहीं हो सकी थी। नतीजतन हिमाचल का कर्ज बोझ बढ़कर 45 हजार करोड़ हो चुका है। हिमाचल में सैलरी बजट जो छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से पहले 5800 करोड़ होता था, वह बढ़कर अब 9630 करोड़ के लगभग हो चुका है। पेंशन बजट 3300 करोड़ से बढ़कर 4950 करोड़ का आंकड़ा पार कर रहा है। इसके मुकाबले हिमाचल की आय पर नजर डालें तो करों से आय 4500 करोड़ की है, जबकि गैर करों से 1500 करोड़। इस तरह प्रदेश की कुल आय 6000 करोड़ के लगभग बताई जाती है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप केंद्र हिमाचल की कोई मदद करेगा, इसकी उम्मीद कम ही है। छठे वेतन आयोग को लागू करने के दौरान भी केंद्र ने प्रदेश की कोई मदद नहीं की थी। हालांकि दावा केंद्र का यही था कि विशेष श्रेणी राज्य के नाते मदद की जाएगी। 2006 में जब छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हुई थीं, तब विशेष वित्तीय पैकेज के लिए पूर्व सरकार भी गिड़गिड़ाती रही थी, मगर केंद्र ने एक कौड़ी भी नहीं दी थी। अब मोदी सरकार क्या हिमाचल जैसे कमजोर आर्थिक स्थिति वाले राज्य की मदद के लिए आगे आएगी, यह समय बताएगा।


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