पायल ‘एक नन्हीं सी दुनिया’ की ब्रांड एंबेसेडर

By: Dec 11th, 2017 12:03 am

‘हिमाचल की आवाज’ ने पाया एक और मुकाम, सारेगामा में भी दिखा चुकी हैं प्रतिभा

बिलासपुर— कुल्लू की पायल अब लोगों को चाइल्डहुड ब्लड कैंसर के प्रति जागरूक करेंगी। पायल को ‘एक नन्हीं सी दुनिया’ मुहिम के लिए ब्रांड एंबेसेडर नियुक्त किया गया है। वर्ष 2016 में  मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ द्वारा आयोजित ‘हिमाचल की आवाज’ प्रतियोगिता में जूनियर ग्रुप की विजेता बनने के बाद जी टीवी के सिंगिंग के रियलिटी शो सारेगामापा से देश भर में अपनी पहचान बनाने वाली कुल्लू की पायल ने यह उपलब्धि हासिल की है। ज्यादातर दो से चार साल के बच्चों में पाए जाने वाले एक्यूट लिम्फ्लोब्लॉस्टिक ल्यूकीमिया (आल) बीमारी पर लंबे समय से रिसर्च कर रहे शिमला के डा. पारस प्रकाश द्वारा बनाई गई इस शॉर्ट म्यूजिकल फिल्म के मुख्य गीत को पायल ने अपनी आवाज दी है, जबकि मंडी जिला के एक संगीत स्कूल के छह बच्चों ने इस गीत का कोरस किया है। इनमें आस्था, इशिता, पलक, सोरेन, कुमारिल और इंद्रजीत शामिल हैं। ‘एक नन्ही सी दुनिया’ शीर्षक से तैयार किए गए इस गीत को इन दिनों सोशल मीडिया पर भी खूब पसंद किया जा रहा है।  गौरतलब है कि कुल्लू की पायल ने ‘दिव्य हिमाचल’ द्वारा आयोजित ‘हिमाचल की आवाज’ प्रतियोगिता में वर्ष 2016 में भाग लिया था। इसमें पायल को जूनियर वर्ग का विजेता घोषित किया गया। इसके बाद भी पायल का यह सफर रुका। पायल ने जी टीवी पर प्रसारित होने वाले रियलिटी शो सारेगामापा में भाग लिया। इस दौरान बच्चों में पनपने वाले ब्लड कैंसर पर रिसर्च कर रहे डा. पारस प्रकाश ने पायल को देखा और उसे अपनी इस मुहिम में शामिल करने का निर्णय लिया। शिमला निवासी डा. पारस प्रकाश बताते हैं कि एक्यूट लिम्फ्लोब्लास्टिक ल्यूकीमिया बीमारी ज्यादातर दो से चार साल तक के बच्चों को होती है, जबकि 14 वर्ष की आयु तक के बच्चे भी इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं। देश भर में हल साल इस बीमारी से करीब छह हजार बच्चे पीडि़त होते हैं। गौर हो कि डा. पारस एक गीतकार होने के साथ ही एक शानदार कंपोजर भी है। ‘एक नन्हीं सी दुनिया’ गीत को उन्होंने ही लिखा और संगीतबद्ध किया है।

ये हैं कैंसर के लक्षण

डा. पारस बताते हैं कि छोटे बच्चों की हड्डियों में दर्द का रहना, खून की कमी होना, चोट लगने पर ज्यादा खूब बहना और शरीर पर नीले रंग के धब्बे होना इसके लक्षण हैं। इसका पता चलते ही तुरंत डाक्टर से संपर्क करें। शुरूआती दौर में इसका उपचार कम दामों पर संभव हो सकता है।


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