वसंत की बहार

By: Jan 21st, 2018 12:05 am

फूलों की वर्षा,

शरद की फुहार,

सूरज की किरणें,

खुशियों की बहार,

चंदन की खुशबू,

अपनों का प्यार,

मुबारक हो आप सबको,

वसंत पंचमी का त्योहार।

हैप्पी वसंत पंचमी।

पतझड़ में पेड़ों से पुराने पत्तों का गिरना और इसके बाद नए पत्तों का आना वसंत के आगमन का सूचक है। इस प्रकार वसंत का मौसम जीवन में सकारात्मक भाव, ऊर्जा, आशा और विश्वास जगाता है। यह भाव बनाए रखने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि ज्ञान और विद्या की देवी की पूजा के साथ वसंत ऋतु का स्वागत किया जाता है । माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी वसंत पंचमी के रूप में मनाई जाती है। यह वसंत ऋतु के आगमन का प्रथम दिन माना जाता है। यह दिन सरस्वती की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसे श्री पंचमी भी कहते हैं। इस दिन ज्ञान की प्राप्ति के लिए देवी सरस्वती की पूजा की परंपरा है। वसंत को ऋतुओं का राजा अर्थात सर्वश्रेष्ठ ऋतु माना गया है। इस समय पंच तत्त्व अपना प्रकोप छोड़कर सुहावने रूप में प्रकट होते हैं। पंच तत्त्व जल, वायु, धरती, आकाश और अग्नि सभी अपना मोहक रूप दिखाते हैं। आकाश स्वच्छ है, वायु सुहावनी है, अग्नि सूर्य रूचिकर है तो जल! पीयूष के समान सुखदाता! और धरती! उसका तो कहना ही क्या वह तो मानों साकार सौंदर्य का दर्शन कराने वाली प्रतीत होती है। ठंड से ठिठुरे विहंग अब उड़ने का बहाना ढूंढते हैं तो किसान लहलहाती जौ की बालियों और सरसों के फूलों को देखकर नहीं अघाता! धनी जहां प्रकृति के नव-सौंदर्य को देखने की लालसा प्रकट करने लगते हैं तो निर्धन शिशिर की प्रताड़ना से मुक्त होने के सुख की अनुभूति करने लगते हैं। वसंत ऋतु का आगमन वसंत पंचमी पर्व से होता है। शांत, ठंडी, मंद वायु, कटु शीत का स्थान ले लेती है तथा सब को नवप्राण व उत्साह से स्पर्श करती है। स्त्रियां पीले वस्त्र पहन, वसंत पंचमी के इस दिन के सौंदर्य को और भी अधिक बढ़ा देती हैं।


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