खेल प्रतियोगिताओं के लिए हो बजटीय प्रावधान

By: Feb 23rd, 2018 12:07 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

खंड स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित करवाने के लिए धन का कोई भी प्रावधान नहीं है, जबकि इस स्तर पर अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व की जरूरत है। सरकार बजट में खंड स्तर से लेकर राज्य स्तर तक विभिन्न आयु वर्गों की खेल प्रतियोगिताओं के लिए बजट में धन का प्रावधान करे…

हिमाचल प्रदेश में खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन विभिन्न स्तरों पर अलग-अलग संस्थाओं द्वारा करवाया जाता है। स्कूली खेल प्रतियोगिताएं खंड स्तर से लेकर राज्य स्तर तक आयोजित होती हैं। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय तो प्राथमिक तथा माध्यमिक पाठशालाओं की खेलों के लिए धन का प्रावधान सरकारी स्तर पर करता है, मगर उच्च तथा वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं के खिलाड़ी विद्यार्थियों के लिए आयोजित होने वाली खंड स्तर से लेकर राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए धन का प्रबंध विद्यार्थियों से लिए गए खेल शुल्क से होता है। पाठशाला खेल शुल्क का कुछ हिस्सा अपने पास रखती है। इससे पाठशाला के खिलाडि़यों के लिए खेल सामान, यात्रा व दैनिक भत्ते पर खर्चा होता है। शेष राशि आगे आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं के लिए उपनिदेशक व निदेशक उच्चतर शिक्षा को भेज दी जाती है।

स्कूली खेलों के आयोजन पर खिलाडि़यों के दैनिक खान-पान पर जो खर्च होता है, वह कुछ तो खेल शुल्क से मिले धन से होता है। हालांकि यह धन बहुत कम होने के कारण जहां खेल आयोजित होते हैं, वहां के स्थानीय लोग अपनी तरफ से धाम का आयोजन कर खिलाडि़यों के लिए खाने के प्रबंध में सहयोग कर देते हैं। खाना बनाने के लिए लकड़ी आदि भी उस गांव व कस्बे से ही जनसहयोग से प्राप्त होती है। स्कूली स्तर पर खेलों को ऊपर उठाने के लिए वहां पर खेल फील्ड तथा खेल सामान के लिए आगामी बजट में प्रावधान होना बेहद जरूरी है, क्योंकि स्कूली स्तर से खिलाड़ी विद्यार्थी की खोज नहीं होगी, तो फिर कैसे भविष्य के विजेता खिलाड़ी सामने आएंगे। साथ ही हर विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या के अनुपात में शारीरिक शिक्षा का अध्यापक भी होना चाहिए। यह भी आगामी बजट में सुनिश्चित हो कि हर संस्थान के पास शारीरिक शिक्षा का शिक्षक हो तथा हर विद्यार्थी फिटनेस  कार्यक्रम से गुजरे। जिस विद्यार्थी में भविष्य का खिलाड़ी बनने के लिए स्पीड स्ट्रैंथ होगी, उस प्रतिभा का भी वहीं चयन हो सके।

विद्यालय स्तर के बाद खिलाड़ी विश्वविद्यालय खेलों के लिए महाविद्यालय में दाखिल होता है। यहां पर भी सरकार खेलों के लिए धन नहीं देती है। खेल शुल्क से यहां पर भी खेल सामान तथा अंतर महाविद्यालय खेलों के लिए विभिन्न खेलों तथा अन्य युवा गतिविधियों के युवा उत्सवों के लिए टीमों को भेजते हैं। यहां पर विद्यार्थियों से उगाहे गए शुल्क का कुछ हिस्सा विश्वविद्यालय खेल परिषद को भेजा जाता है। इस धन से विश्वविद्यालय अपनी टीमें अंतर विश्वविद्यालय खेलों के लिए भेजता है यानी स्कूल क्रीड़ा संगठन तथा विश्वविद्यालय खेल परिषद के लिए सरकार की तरफ से कोई भी धन नहीं मिलता है। जबकि भविष्य के खिलाड़ी इसी स्तर पर खोजे जाते हैं और उनकी टे्रनिंग भी इसी स्तर पर होती है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों के लिए भी धन का प्रावधान करे, जिससे अच्छी प्ले फील्ड, खेल सामान तथा अच्छी किट के साथ-साथ खेल में होने वाले हर खर्च की भरपाई हो सके।

वैसे तो खिलाड़ी कनिष्ठ स्तर पर विद्यालयों व महाविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे होते हैं और इस स्तर पर खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होता है, मगर खेलों के लिए जिम्मेदार उस राज्य में उस खेल का खेल संघ होता है। खेल संघ भी जिला स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक हर खेल के बने हुए हैं। हर खेल संघ की अंडर-16,18 व 20 वर्ष आयु वर्ग की खेलें आयोजित होती हैं। राज्य खेल परिषद के माध्यम से जिला स्तर पर पांच हजार तथा राज्य स्तर पर खेल के ग्रेड के अनुसार एक लाख तक का सालाना अनुदान दिया जाता है। खंड स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित करवाने के लिए धन का कोई भी प्रावधान नहीं है, जबकि इस स्तर पर अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व की जरूरत है। राज्य सरकार को चाहिए कि इस वर्ष के बजट में खंड स्तर से लेकर राज्य स्तर तक विभिन्न आयु वर्गों की खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करवाने के लिए बजट में धन का प्रावधान करें। पांच हजार रुपए में जिला स्तर पर किस तरह आज के महंगाई के युग में खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया जा सकता है। विभाग का यह प्रावधान अपने आप में अव्यवहारिक एवं हास्यास्पद प्रतीत होता है।

जिला की टीम को राज्य स्तर पर भाग लेने के लिए भी बजट का कोई प्रावधान नहीं है। खेल प्रतिभा सभी में नहीं होती है। जिन युवाओं में यह प्रतिभा होती है, पता नहीं उनके अभिभावकों की आर्थिक स्थिति कैसी होगी। खेल प्रतिभा खोज के लिए लाखों बच्चों में से भी कई बार स्तरीय खिलाड़ी नहीं मिलते। इसलिए यह सुनिश्चित होना चाहिए कि हर बच्चे तक पहुंचा जा सके। इससे एक तो हर बच्चे में फिट होने की भावना आएगी और जिसमें भविष्य का उत्कृष्ट खिलाड़ी बनने की प्रतिभा होगी, उसका इस स्तर पर चयन हो जाएगा। इसलिए खंड स्तर पर खेल प्रतिभा खोज के लिए भी बजट में धन का प्रावधान हो, ताकि हिमाचल की संतानें भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिरंगे को ऊपर उठाकर गर्व से जन-गण-मन की राष्ट्रीय धुन विश्व को सुना सकें।

ई-मेल : penaltycorner007@rediffmail.com


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