जनता, सरकार और जवाबदेही

By: Mar 15th, 2018 12:10 am

पीके खुराना

लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं

लोकतंत्र में विपक्ष का काम ही यह है कि वह सरकार की खामियां ढूंढे, जनता को उन खामियों से अवगत करवाए और सरकार को सही कदम उठाने पर विवश करे। अपनी छवि बचाने के लिए सत्ता पक्ष अपने तर्क देता है, विपक्ष की आलोचना का उत्तर देता है, उसकी कमियां गिनाता है, लेकिन सत्ता पक्ष मूल रूप से विपक्ष के प्रति नहीं बल्कि जनता के प्रति जवाबदेह है जिसने उसे चुना है और सत्ता की दहलीज तक पहुंचाया है…

सन् 2009 का लोकसभा चुनाव बड़े धूमधाम से खत्म हुआ था और एक तरफ भाजपा के अनुभवी नेता लालकृष्ण आडवाणी थे तो दूसरी तरफ डा. मनमोहन सिंह और राहुल गांधी की जोड़ी थी। लालकृष्ण आडवाणी के पास न अनुभव की कमी थी, न भाजपा में उनका कोई सानी था, लेकिन उनके पास जनता को बताने के लिए कुछ नया ऐसा नहीं था, जो चुनावी हवा को बदल सके। कांग्रेस-नीत गठबंधन के पास एक सफल अर्थशास्त्री के रूप में डा. मनमोहन सिंह का जलवा था तो दूसरी ओर राहुल गांधी का युवा जोश और कुछ नया कर दिखाने की चाहत। जनता ने कांग्रेस को चुना। यूपीए-2 सत्ता में आई। लोगों में जोश था। लगता था राहुल गांधी कुछ ऐसा करेंगे कि देश उनका दीवाना हो जाएगा। लेकिन एक के बाद एक घोटाले ने यूपीए-2 के चेहरे पर कालिख पोत दी। सन् 2009 में कांग्रेस के हाथों मिली पराजय से लालकृष्ण आडवाणी का प्रभामंडल फीका पड़ने लगा, उधर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही थी। वे एक अच्छे प्रशासक के रूप में पहचाने जाते थे। एक अच्छा वक्ता होने के साथ-साथ तुरत-फुरत निर्णय लेने, काम करके दिखाने की उनकी खूबी ने उनके प्रशंसकों की गिनती में इजाफा किया। भूकंप और उत्तराखंड में बाढ़ की त्रासदी के समय मोदी की सक्रियता, वाइबे्रंट गुजरात के माध्यम से देश-विदेश से गुजरात में निवेश, प्रवासी गुजरातियों द्वारा प्रदेश में निवेश, गुजरात में तेज होते विकास आदि ने मोदी की लोकप्रियता में चार चांद लगाए।

मोदी की सलाहकार बनी विदेशी जनसंपर्क कंपनी ने न केवल मोदी की छवि को नए सिरे से गढ़ने का काम जारी रखा बल्कि उनके प्रशासन में चुस्ती के लिए कई अनुपम सुझाव दिए। लेकिन इसी बीच एक और चमत्कार हुआ। यूपीए-2 के शासन में भ्रष्टाचार चरम पर था, घोटाले पर घोटाले हो रहे थे, राहुल गांधी की बचकानी हरकतें जारी थीं। प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे ने दिल्ली में आंदोलन शुरू कर दिया। अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण, किरन बेदी सहित कई नामी-गिरामी गैर राजनीतिक हस्तियां इस आंदोलन से जुड़ीं। टीआरपी के भूखे मीडिया ने इस आंदोलन को हाथों-हाथ लिया और अन्ना हजारे प्रसिद्धि के चरम पर पहुंच कर स्टार बन गए। उनके सहयोगी अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और किरन बेदी आदि को भी अनायास अतिरिक्त प्रसिद्धि मिली। भाजपा सहित बहुत से राजनीतिक दलों ने इस आंदोलन को हाइजैक करने की कोशिश की, लेकिन आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने उन्हें सख्ती से नकार दिया। इससे जहां आंदोलन की साख बढ़ी वहीं सभी राजनीतिक दलों ने धीरे-धीरे आंदोलन से हाथ वापस खींच लिया और श्री-श्री तथा बाबा रामदेव जैसे भाजपा समर्थकों ने व्यावहारिक तौर से स्वयं को इस आंदोलन से अलग कर लिया। कई उतार-चढ़ावों के बाद आखिरकार आंदोलन बिना किसी बड़ी उपलब्धि के समाप्त हो गया। लोकपाल की चर्चा बनी रही, पर जनता के हाथ कुछ नहीं लगा। इससे सीख लेकर अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के गठन की घोषणा की और दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा और एक चमत्कार की तरह वे दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए।

तेजी से सत्ता की प्रमुख दावेदार के रूप में उभर रही भाजपा के लिए यह एक बड़ा झटका था, लेकिन बाद में अरविंद केजरीवाल ने नाटकबाजियों का सहारा लेना शुरू कर दिया और लोकपाल बिल को मुद्दा बनाकर इस्तीफा दे डाला। इस एक कदम ने उनकी लोकप्रियता धूमिल कर दी और भाजपा फिर से चर्चा के केंद्र में आ गई। उधर मोदी का हर कदम सफलता की ओर बढ़ रहा था। काले धन की वापसी, चुस्त और स्वच्छ प्रशासन की उम्मीद, न खाऊंगा न खाने दूंगा का वायदा, अच्छे दिनों की दरकार आदि का परिणाम यह रहा कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए। लोकतंत्र में विपक्ष का काम ही यह है कि वह सरकार की खामियां ढूंढे, जनता को उन खामियों से अवगत करवाए और सरकार को सही कदम उठाने पर विवश करे। अपनी छवि बचाने के लिए सत्ता पक्ष अपने तर्क देता है, विपक्ष की आलोचना का उत्तर देता है, उसकी कमियां गिनाता है, लेकिन सत्ता पक्ष मूल रूप से विपक्ष के प्रति नहीं बल्कि जनता के प्रति जवाबदेह है जिसने उसे चुना है और सत्ता की दहलीज तक पहुंचाया है।

संवैधानिक स्थिति यह है कि सत्तापक्ष संसद के प्रति जवाबदेह है और व्यावहारिक रूप से जनता के प्रति जवाबदेह है। जवाबदेही के लिए विपक्ष और संसद तो माध्यम मात्र हैं, असली जवाबदेही तो जनता के प्रति है। लेकिन मोदी सरकार इस तरह से व्यवहार कर रही है मानो उसकी जवाबदेही जनता के प्रति नहीं बल्कि सिर्फ विपक्ष के प्रति है और इसलिए यदि बदले में वह विपक्ष को भी कटघरे में खड़ा कर दे तो उसकी जवाबदेही समाप्त हो जाती है। यही नहीं, लगता है कि मीडिया का रुख भी इससे अलग नहीं है। नोटबंदी की असफलता, जीएसटी की परेशानियां, किसानों की बेचैनी, व्यापम घोटाला और इससे जुड़ी हत्याएं, जयशाह घोटाला, बैंक घोटाला, बेरोजगारी, मोदी की विभिन्न घोषणाओं और योजनाओं का हवा में ही दम तोड़ देना, सांसदों द्वारा गोद लिए गांवों में कोई भी विकास न होना, बड़े पूंजीपतियों की अनैतिक तरफदारी, राफेल डील घोटाला आदि मोदी के दामन के ऐसे दाग हैं जिनका जवाब कोई नहीं दे रहा। बैंक घोटाले में अभी भी उन बड़े घरानों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा जिन पर लंबे समय से कर्ज की रकम बढ़ती चली जा रही है। क्या यह हैरानी की बात नहीं है कि उत्तर-पूर्व राज्यों में भाजपा की जीत के बाद मीडिया भी बैंक घोटाले को भूल गया है?

सच तो यह है कि यदि देश के 20 सबसे बड़े धनवानों द्वारा सरकारी बैंकों से लिए गए कर्जे और कर्जा वापस करने के उनके इतिहास की छानबीन की जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि यह घोटाला कुछ हजार करोड़ का नहीं बल्कि लाखों करोड़ का है और देश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है। समस्या यह भी है कि वित्त मंत्रालय के आईएएस अधिकारी न तो इस समस्या की जड़ तक पहुंच पा रहे हैं और न ही उनके पास इस समस्या का कोई समाधान नजर आता है। जो कदम उठाए जा रहे हैं वे बहुत सतही हैं जो इंफ्रास्ट्रक्चर विकास तथा परियोजनाओं के संचालन के लिए दिए जाने वाले लंबे समय के कर्ज को लेकर देश और बैंकों के पास न प्रशिक्षित लोग हैं, न कोई नीति। समझ की कमी का आलम यह है कि रोजगार सृजन के लिए, टैक्नोलाजी में निवेशकर्ताओं के लिए, भारतीय स्टार्ट-अप कंपनियों के नियंत्रण को भारतीय हाथों में रखने के लिए सरकार के पास न कोई दूरगामी नजरिया है, न नीति।

ऊपर से तुर्रा यह कि मोदी यह मानने को तैयार ही नहीं हैं कि वे दुनिया के सभी विषयों के ज्ञाता नहीं हैं, न हो सकते हैं। भाजपा नेताओं पर जब भी कोई आरोप लगता है तो मोदी विपक्ष की आलोचना करने लग जाते हैं। सवाल चाहे विपक्ष पूछे, सरकार की जवाबदेही जनता के प्रति है। जनता के सवाल मर नहीं सकते और देश का प्रधानमंत्री होने के नाते मोदी को उनका जवाब देना ही होगा।

ईमेलःindiatotal.features@gmail. com


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