रिवालसर बैसाखी मेला
रिवालसर का बैसाखी मेला देश के उत्तरी हिस्से में काफी प्रसिद्ध है । मेले हमेशा से एकता का संदेश देते हैं और जब ऐसा मेला हो ,जो तीन धर्मों के संगम पर स्थित हो तो बात ही कुछ और होती है । रिवालसर में हिंदू, बौद्ध और सिख धर्म के लोग न केवल मिलजुल कर रहते हैं अपितु मेला भी मिलजुल कर मनाते हैं। वैसे तो इस झील को पद्म संभव झील भी कहते हैं, पर इस नाम से केवल बौद्ध धर्म के लोग ही पुकारते हैं। प्रसिद्ध नाम तो इस झील का रिवालसर ही है । झील के एक किनारे पर गुरुद्वारा है, जिस पर बैसाखी के दिन काफी सजावट होती है। हो भी क्यों न, दूर-दूर से सिख धर्मावलंबी अपने त्योहार को मनाने के लिए आते हैं और इस मेले के रंग को देखने के लिए अन्य धर्मों के लोगों की भीड़ भी जुटती है। झील के एक किनारे पर टाउनहाल से लेकर गुरुद्वारे तक काफी दुकानें लगी होती हैं। गुरुद्वारा रिवालसर जाने के लिए काफी सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। यहां पर हर गुरुद्वारे की तरह रुकने की और लंगर की भी व्यवस्था है तथा यह काफी बड़े परिसर में बना हुआ है। चार दिवसीय बैसाखी मेला 13 से 16 अप्रैल तक चलेगा। बैसाखी मेले में इस बार सांस्कृतिक संध्या में अनेको कलाकार अपनी कला का जादू बिखेरेंगे। इस मेले में बाहरी राज्यों से भी कलाकार अपनी कला दिखाने पहुंचते हैं। बैसाखी मेले में इस बार क्षेत्र के दर्जनों देवी-देवता मेले में शिरकत करेंगे। मेले के दौरान यहां बहुत भारी भीड़ जुटती है।
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