आईपीएच में फील्ड स्टाफ नहीं 

By: May 25th, 2018 12:05 am

ठेके पर देनी पड़ रही परियोजनाएं,  डिवीजन-दो में तीस पेयजल योजनाएं हो चुकी हैं आउटसोर्स

गगरेट  – कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग को प्रदेश सरकार द्वारा पंप आपरेटर व अन्य फील्ड स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया के प्रति उदासीन रवैया अपनाने के चलते जनता तक पेयजल सुविधा पहुंचाने के लिए करीब सात और पेयजल योजनाओं को आउट सोर्स करना पड़ा है। इससे पहले भी सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग के मंडल-दो के अधीन आने वाली करीब 23 पेयजल योजनाएं आउट सोर्स की जा चुकी हैं। हालांकि अगर प्रदेश सरकार पंप आपरेटर व अन्य फील्ड  स्टाफ की सीधी भर्ती करती तो प्रदेश के कई बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकते थे। जनता को स्वच्छ पेयजल व किसान के खेत तक पानी पहुंचाने का जिम्मा संभाले सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग में फील्ड स्टाफ का जबरदस्त अकाल चला हुआ है। विभाग में पहले से ही पंप आपरेटर व फील्ड स्टाफ के सैकड़ों पद रिक्त चले हुए हैं। विभाग में कार्यरत फील्ड स्टाफ की निरंतर सेवानिवृत्ति जारी है लेकिन इनके स्थान पर नए कर्मचारियों की भर्ती नहीं हो पा रही है। ऐसे में विभाग को भी कई पेयजल व सिंचाई योजनाएं चलाने में खासी दिक्कत पेश आ रही है। हालांकि सिंचाई योजनाओं को तो किसानों की कमेटी गठित कर इसके संचालन का जिम्मा सौंप कर किसी तरह से काम चलाऊ व्यवस्था की जा रही है लेकिन पेयजल योजनाएं बिना कर्मचारियों के चलाने में विभाग के भी हाथ खडे़ हो गए हैं। ऐसे में इन योजनाओं को ठेके पर देना पड़ रहा है। सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग के डिवीजन नंबर दो के अंतर्गत पहले ही 23 पेयजल  योजनाएं आउट सोर्स कर इन्हें ठेके पर दिया जा चुका है लेकिन अब विभाग को सुचारू पेयजल सप्लाई के लिए सात और पेयजल योजनाओं को आउट सोर्स कर ठेके पर दिया गया है। जाहिर है कि बेरोजगार प्रशिक्षित पंप आपरेटर सरकार द्वारा भर्ती प्रक्रिया शुरू न करने के चलते बेरोजगार ही रह जाएं। बताया जा रहा है कि अभी कई और पेयजल योजनाएं ऐसी हैं जो कर्मचारियों की कमी के चलते विभाग के लिए संचालित करना गले की फांस बनी हुई हैं।

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