गुनहगार कौन…?
नीतीश धीमान, जवाली
अवैध निर्माण ने एक बार फिर प्रशासन की नाकामी का परिचय दे दिया है। ग्रेटर नोएडा में अवैध छह मंजिला इमारत का चार मंजिला पर ढह जाना विकास प्राधिकरण के दावों की पोल खोलता है। न जाने कितने मासूम इस अवैध निर्माण की बलि चढ़ गए हैं। लोगों का कहना है कि कई बार प्रशासन को इस बारे में सूचित किए जाने के बावजूद कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं की गई। यही नहीं इन अवैध निर्माण माफिया को जब लोगों द्वारा निर्माण को रोकने को कहा जाता, तो मंत्रियों तक ऊंची पहुंच होने की धमकियां लोगों को दी जाती थी। अगर यही सच है, तो भ्रष्टाचार की इस आग का मूल हमारा प्रशासन ही है। अवैध निर्माण चाहे कहीं भी हो रहे हैं, यह सब हमारे प्रशासन की ही लापरवाही है, जिसका खामियाजा हमेशा की तरह जनता को ही भुगतना पड़ा है। प्रशासन में ही भ्रष्टाचार अपनी जड़ें इतनी गहरी कर चुका है कि अब तो इससे उबर पाना नामुमकिन सा लग रहा है। इस अवैध निर्माण ने प्रशासन को एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है, परंतु होगा वही कि प्रशासन कई दलीलें पेश करके पीछे हट जाता है। आम जनता जब कोई अपराध करती है, तो सजा की बात की जाती है। अगर यह अवैध निर्माण प्रशासन की ही देन है, तो बिल्डरों के साथ-साथ सजा का हकदार तो यह प्रशासन भी होना चाहिए! बैंक घोटालों से लेकर अवैध निर्माण तक हर जगह प्रशासन से संरक्षण प्राप्त करके ही लोग ऐसे कार्यों को अंजाम देते हैं। देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए सरकार को पहल स्वयं से ही करनी होगी अन्यथा जैसा प्रशासन, वैसी जनता।
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