जमीन धंसी… आंखों के सामने घूमी 1978 की तबाही

By: Aug 16th, 2018 12:05 am

नयनादेवी —पिछले कई दिनों से हो रही बरसात के चलते नयनादेवी नगर में धंस रही जमीनों से नयनादेवी के लोगों को अब 1978 की तबाही याद आने लगी है। 1978 के भू-स्खलन से नयनादेवी के कई घरों को तबाह कर दिया था परंतु कोई जानी नुकसान नहीं हुआ था लेकिन वर्तमान में सरकारी उपेक्षा का आलम यह है कि जहां लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं वहीं दो करोड़ की लागत से बनी सीवरेज की लाइन भी टूटी-फूटी है। करीब 1100 बीघा क्षेत्रफल में बसा छोटा सा यह नगर उस समय तो बच गया था परंतु अब लोगों का कहना है कि अब मां नयनादेवी भी उन्हें प्राकृतिक कहर से नहीं बचा पाएगी। 1978 में भू-स्खलन से प्रभावित लोगों को सरकार ने आवश्यक पुनर्वास व्यवस्था व राहत दी भी थी तथा भू-वैज्ञानिक के एक दल ने क्षेत्र का दौरा कर रिपोर्ट भी सरकार को दी जिसमें नयनादेवी मंदिर के भवनों से लेकर बैंक कार्यालय पुराना भवन तक क्षेत्र को डेंजर जोन बताया गया लेकिन खतरनाक घोषित इस क्षेत्र भीतर अब लगभग 200 आवासीय भवन खड़े हैं। आबादी भी करीब लगभग एक हजार के लगभग है। जब इस संबंध में नयनादेवी के वरिष्ठ लोगों जय देव, चूड़ामणि नीलम शर्मा, धर्मपाल शर्मा, आनंदपाल से पूछा तो इन लोगों का कहना है कि नगर परिषद तथा सरकार दोनों ही इस क्षेत्र की अनदेखी कर रही है तथा कोई भी ठोस नीति अब तक तय नहीं हो पाई है। हर वर्ष नयनादेवी में बरसात ने अलग-अलग स्थानों पर भू-स्खलन और जमीन धंसने की अनेक घटनाएं होती हैं लेकिन हिमाचल प्रदेश की किसी भी सरकार की कुंभकर्णी नींद आज तक नहीं खुली है तथा जब भी नगर परिषद के जिम्मेदार लोगों से इस बारे पूछा जाता है तो कोई भी वे संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ वर्ष पहले सिंचाई व जनस्वास्थ्य विभाग ने लगभग दो करोड़ रुपए की लागत से सीवरेज का कार्य पूरा किया है तथा इस सीवरेज को चालू हुए कई वर्ष हो चुके हैं परंतु हैरानी इस बात को लेकर है कि आज भी नयनादेवी में पूरी तरह से सीवरेज नहीं डाली गई है। आज भी खुले में मल बह रहा है। चूंकि इसके लिए सरकार ने 35 लाख रुपए विभाग को कई वर्षों से दिए हैं लेकिन सिंचाई व स्वास्थ्य विभाग आज तक इस कार्य को पूरा नहीं कर पाया है। इस पर विभाग के कनिष्ठ अभियंता शुभम शर्मा का कहना है कि इसके लिए वे पूरा प्रयास करेंगे। अब जबकि बरसात का मौसम बरकरार है तथा तुरंत नगर प्रशासन और मंदिर प्रशासन को मंदिर की पहाड़ी के चारों ओर से ग्राउटिंग करने के अलावा सभी रास्तों के साथ-साथ डंगों का निर्माण तथा पानी का सही निकास तथा सभी गली एवं रास्तों से पसरी पानी की पाइपें तथा टूटी-फूटी सीवरेज को सही तरीके से ठीक करना होगा अन्यथा कहीं प्रशासन की लापरवाही नगरवासियों को 1978 का मंजर फिर से न देखना पड़े।


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