पहाड़ न बने जान का दुश्मन

By: Aug 14th, 2018 12:05 am

राजेश कुमार चौहान

हिमाचल में बरसात के मौसम में पहाड़ जान के दुश्मन बन जाते हैं, लेकिन प्रशासन और सरकार इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाते। बस हर हादसे के बाद कुंभकर्णी नींद से जागते हैं। सतर्कता और समझदारी से पहाड़ों के खिसकने वाले हादसे कुछ हद तक कम किए जा सकते हैं। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि बरसात के मौसम से पहले कमजोर पहाड़ों की जांच करे और जो पहाड़ कमजोर पड़ चुके हैं, उन्हें खुद ही गिरा दें और पहाड़ों के नीचे से गुजरने वाली सड़कों पर चेतावनी के नोटिस लगाए जाएं। प्रदेश में जिन लोगों ने पहाडि़यों के ऊपर रिहायशी मकान का या फिर अन्य कोई निर्माण किया है, तो उसकी भी समय-समय पर जांच करते रहना चाहिए, क्योंकि बरसात के कारण उनकी बुनियाद दिन-प्रतिदिन कमजोर हो जाती है। लापरवाही कई बार जान पर भी भारी पड़ जाती है। पहाड़ों के खिसकने से होने वाले हादसों से बचने के लिए सरकार, प्रशासन और आमजन को लापरवाही छोड़नी होगी।

 


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