मूक तपस्वी का मूल्यांकन

By: Aug 5th, 2018 12:05 am

पुस्तक समीक्षा

व्यवस्था और समाज को सही दिशा में गतिशील बनाए रखने में संगठनों की भूमिका हमेशा से अहम रही है। लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में तो संगठनों की भूमिका और भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि इस व्यवस्था में जनमत का स्थान सर्वोपरि होता है और समाज-जागरण कर जनमत को नई दिशा देने का कार्य संगठन ही करते हैं। इसी के साथ, एक ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर पहचान का संकट गहराता जा रहा है, राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान को लेकर भ्रम खड़े करने की कोशिशें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही हैं, पहचान के प्रश्न को सुलझाने के लिए भी संगठन महत्त्वपूर्ण हो उठते हैं। दुर्भाग्य से, भारत में समाज को गहरे तक प्रभावित करने वाले संगठनों को लेकर राजनीतिक क्षेत्र में तो चर्चाएं खूब होती हैं, लेकिन अकादमिक स्तर पर एक शून्य पसरा हुआ है। ऐसे संगठन किन लोगों ने खड़े किए, किस दृष्टि के साथ इन संगठनों के स्वप्न को साकार किया गया, क्या अवरोध आए और कैसे कारवां आगे बढ़ा, इसका निष्पक्ष मूल्यांकन अकादमिक जगत में न के बराबर हुआ है। इक्के-दुक्के जो प्रयास हुए भी हैं, उनका नजरिया राजनीतिक है और पूरी ऊर्जा संगठन को सही या गलत साबित करने में खर्च कर दी गई है। प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री की पुस्तक ‘विश्व हिंदू परिषद के शिल्पी-दादा साहेब आपटे‘ इस अकादमिक सन्नाटे को दूर करती है। यह पुस्तक भारतीय भाषाओं की पहली समाचार एजेंसी-हिदुस्थान समाचार, विश्व हिंदू परिषद जैसे सांस्कृतिक दृष्टि से सक्षम संगठनों को गढ़ने वाले मूक तपस्वी दादा साहेब आपटे के व्यक्तित्व और कृतित्व का निष्पक्ष मूल्यांकन करती है। यह पुस्तक उस अकादमिक चलन का प्रतिरोध है, जिसमें पहले से सही या गलत का निष्कर्ष निकालकर सांगठनिक व्यक्तियों का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें दादा साहेब के व्यक्तित्व की बनावट और जीवनदृष्टि के जरिए उनके माध्यम से अस्तित्व में आए संगठनों के आकलन की कोशिश की गई है।  यह पुस्तक न केवल दादा साहेब आपटे की पहली समग्र जीवनगाथा है, बल्कि हिंदुस्थान समाचार और विश्व हिंदू परिषद की पृष्ठभूमि और निर्धारित दिशा के आकलन का भी पहला गंभीर प्रयास है। आठ अध्यायों में विभाजित यह पुस्तक दादा साहेब आपटे से तो हमारा परिचय कराती ही है, स्वातंत्र्योत्तर कालीन भारत के प्रमुख पड़ावों को भी पहचानने में हमारी मदद करती है। आज सार्वजनिक जीवन जिन वाद-विवादों, संघर्षों, आख्यानों से संचालित है, उनकी पृष्ठभूमि को भी समझने में यह पुस्तक बहुत सहायक है।

                           -डा. जयप्रकाश सिंह

* किताब का नाम : विश्व हिंदू परिषद के शिल्पी-दादा साहेब आपटे

* लेखक : डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

* प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन, दिल्ली

* मूल्य : 400 रुपए


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