संपादकीय

परीक्षा का नया अंदाज खोज रहे हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डा. सुरेश सोनी, अपनी भूमिका का अध्यापकों के साथ तालमेल भी बैठा रहे हैं। शिक्षकांे के बीच शिक्षा के संदर्भ अगर उज्ज्वल होंगे, तो परीक्षा के कक्ष में छात्र जीवन की बुनियाद और सुदृढ़ होगी। मंडी-कुल्लू में अध्यापकों से रू-ब-रू बोर्ड अध्यक्ष

द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने 21 फरवरी से राम मंदिर निर्माण की शुरुआत का ऐलान किया है। इस तारीख पर साधु-संत अयोध्या की ओर कूच करेंगे और जन्मभूमि स्थल पर राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे। साधु-संत चार शिलाएं लेकर अयोध्या जाएंगे। उनका कहना है कि अब उन पर गोलियां चलाई जाएं या लाठियां भांजी

किसी प्रशासनिक अधिकारी का भ्रष्टाचार की गिरफ्त में आना एक साथ कई प्रश्न खड़े करता है। यह सरकारी फाइल पर चढ़े भ्रष्टाचार का सबूत है और साथ ही नीतियों व प्रशासनिक प्रक्रिया में मौजूद खामियों की ओर इशारा है। स्टोन क्रशर की एनओसी ने हिमाचल के प्रशासनिक अधिकारी को हिरासत तक पहुंचा दिया, तो यह

भाजपा के दिग्गज विधायक एवं योजना बोर्ड के अध्यक्ष रमेश धवाला ने गड़े मुर्दे उखाड़कर राजनीतिक सड़ांध को सरकार के गलियारों तक फैला दिया है। यहां मामला विधायक बनाम शिक्षा निदेशक तक होता, तो भी सरकार निपट लेती, मगर रमेश धवाला जो पूछ रहे हैं, उसके हमाम में हम व्यवस्था का नंगापन देख सकते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर पर अदालती तारीख के बाद तारीख के समानांतर जो दाव खेला है, वह देश के संविधान के प्रति कृतज्ञता और निष्ठा का ही फैसला है। यह सकारात्मक कदम आखिरी दाव भी साबित हो सकता है। यह पीएम मोदी और भाजपा की चुनावी रणनीति भी हो सकती है। फिलहाल यह भी

अयोध्या विवाद सर्वोच्च न्यायालय की प्राथमिकता सूची में नहीं है, अब यह वाकई सच लगने लगा है। यह मुद्दा सामान्य या टालू नहीं हो सकता, क्योंकि असंख्य लोगों की आस्था से जुड़ा है। आस्था कई मायनों में रोजी-रोटी से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण होती है। बेशक देश सर्वोच्च न्यायालय और उसके फैसलों का सम्मान करता रहा

अपने अक्स से मुखातिब भाजपा के लिए ऊना का पन्ना सम्मेलन, राजनीतिक इतिहास की जिरह की तरह मौजूद रहा। इसमें पार्टी का संगठन और राष्ट्रीय अध्यक्ष की खनक मौजूद रही। हिमाचल के बड़े नेताओं का स्वागत और कार्यकर्ताओं की ताल पर जयराम सरकार का आह्वान देखा, तो सवालों की बैसाखी पहने कांगे्रस को भी इस

राष्ट्रीय नागरिक सम्मान की श्रृंखला में हिमाचली उपलब्धियों का ब्यौरा अगर तीन पद्मश्री अवार्ड का ताज पहन रहा है, तो यह राज्य की भूमिका में उजाला भरने सरीखा है। खेल से चिकित्सा क्षेत्र तक राष्ट्रीय फलक पर तीन हिमाचली हस्तियों की पहचान को अंगीकार करने की वजह उस शिद्दत में समाहित है, जो पर्वतीय प्रश्नों

केंद्र के वर्षफल में अपनी आशाएं तंदुरुस्त करती हिमाचल सरकार के सामने यह साल मुकम्मल होने का जरिया और खुद को नई प्रस्तुति में आजमाने की शर्त है। बजट के रास्ते केंद्रीय सरकार में अपना आका और खाका तो देखा जाएगा, लेकिन हिमाचल की सूरत में प्रदेश के प्रयत्न की तासीर भी दिखाई देगी। यह