विचार

विष्णु प्रभाकर (जन्म : 21 जून 1912, मृत्यु : 11 अप्रैल 2009) अपने साहित्य में भारतीय वाग्मिता और अस्मिता को व्यंजित करने के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। विष्णु प्रभाकर जी ने कहानी, उपन्यास, नाटक, जीवनी, निबंध...

गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के अंतर्गत संचालित कालेज में पत्रकारिता विभाग में सहायक प्रोफेसर डा. निधि शर्मा का दूसरा कविता संग्रह ‘शब्दों की रोशनी में’ अनेक भावाभिव्यक्ति वाला संग्रह है।

देश की कुल आबादी के लिहाज से देखें और यह मानकर चलें कि एक व्यक्ति साल में केवल एक बार ही रक्तदान करता है, तो भी इसका अर्थ है कि महज आधा फीसदी लोग ही रक्तदान करते हैं। यह बेहद चौंकाने वाली स्थिति है और आधुनिक विज्ञान के युग में भी रक्त की कमी के चलते लाखों लोगों की मौतों के मद्देनजर यह नितांत आवश्यक है कि आमजन को रक्तदान के लिए प्रेरित करने और उसके फायदे समझाने के लिए व्यापक स्तर पर जनजागरण अभियान चलाया जाए...

भारत को अमरीका के साथ व्यापार करने से पहले अतीत में भी जाना होगा। 1956-66 के बीच में पी एल-480 के तहत किए गए कुछ खाद्य पदार्थों के आयात के समय राष्ट्रपति जॉनसन ने भारत को प्रतिबंधों पर रखा। भारत जब अकाल जैसी स्थिति से लड़ रहा था तो अमरीका ने भारत को आपूर्ति बंद करने की धमकियां भी दी और अस्थायी तौर पर बंद भी कर दिया था और यह तब हुआ जब भारत कम अनाज पैदा कर रहा था...

नेता भी कई कैटेगिरी के होते हैं। लेकिन सर्वाधिक प्रचलित किस्म लोकप्रिय नेताओं की होती है, और ऐसे नेता अपने नाम के साथ ‘जनसेवक’ शब्द भी जोड़ लेते हैं। हिंदुस्तान में ऐसे नेताओं की भरमार है। इलेक्शन के दौरान इनके बड़े-बड़े होर्डिंग्स और पोस्टर हर चौराहे और दीवार पर लग जाते हैं, जिनमें नेताजी दोनों हाथ जोडक़र बड़ी शालीन मुद्रा में मुस्कुरा रहे होते हैं। कई तस्वीरों में उनके गले में फूलों के हार भी होते हैं, जो जनप्रियता के सुगंधित प्रमाण माने जाते हैं। ऐसे जनप्रिय नेता प्राय:

बीता गुरुवार हमारे देश के लिए बहुत ही अभागा दिन रहा। अहमदाबाद में उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों में एक यात्री विमान आग का गोला बन गया और इस अभागे विमान में बैठे यात्रियों के साथ-साथ वहां जहां यह विमान टकराया और जहां इस जलते विमान के हिस्से गिरे, वहां के लोगों की मौत का कारण भी बन गया। जिस किसी ने भी इस दर्दनाक हादसे की खबर सुनी, वो स्तब्ध है।

अहमदाबाद विमान हादसा इस सदी की सबसे भयावह त्रासदी है। देश ही नहीं, दुनिया भी स्तब्ध है कि इतना खौफनाक हादसा कैसे हुआ? नियति का निर्णय था, लिहाजा एक यात्री, विश्वास कुमार रमेश, जिंदा भी बच गया। यह कुदरती चमत्कार ही है। अलबत्ता विमान में सवार सभी यात्री, दो पायलट और 10 क्रू मेंबर की हादसे में मौत हो गई। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और कुछ उद्योगपति भी यात्रियों में शामिल थे। यात्रियों में 217 वयस्क, 11 बच्चे और 2 नवजात शिशु थे। यह नियति का बेहद क्रूर न्याय है। जीवन छीनना था, तो प्राण ही क्यों दिए? हैरत है कि नियति ने सभी की मौत एक साथ, एक ही विमान

बार-बार पूछा गया हिमाचल में बड़ा एयरपोर्ट किसलिए, लेकिन अब सुक्खू सरकार कम से कम यह समझाने में एक तरह से कामयाब हो चुकी है कि कांगड़ा हवाई अड्डे का विस्तार अगली कई सदियों और पीढिय़ों को सुधारने के लिए इसलिए जरूरी है। सरकार ने कई संघर्ष शांत किए और यहां आर्थिकी के लिए एयरपोर्ट विस्तार योजना के लिए मौके को दुरुस्त किया। हिमाचल के भौगोलिक माप तोल में बड़े एयरपोर्ट की निशानदेही के लिए खंभे तो बहुत गाड़े गए, लेकिन न धूमल सरकार बनखंडी का पहाड़ खोद पाई और न ही जयराम सरकार बल्ह में एयरपोर्ट की संभावना को सिरे चढ़ा पाई। ऐसे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने जिस शिद्दत से कांगड़ा एयरपोर्ट विस्तार की सारी संभावना, क्षमता और उपयोगिता को प्रदर्शित किया, उससे अब एक बड़े आकाश की खोज शु

इसे महाभारत का यक्ष प्रश्न ही कहना चाहिए कि 1947 में षड्यंत्रकारी ब्रिटिश शासकों के चले जाने के बाद भी पंजाब के विश्वविद्यालयों में निर्मला पंथ का इतिहास व निर्मला साधुओं का रचित साहित्य उपेक्षित ही रहा...