विचार

मध्य भूमध्यसागरीय प्रवास मार्ग दुनिया में सबसे खतरनाक मार्गों में से एक बना हुआ है। लोग बहुत खतरनाक यात्राओं पर जाने का जोखिम उठाते हैं। प्रवास मार्ग अपनाने के लिए मजबूर होने वाले प्रमुख कारकों में मूल देशों और मेजबान देशों में बिगड़ती स्थिति शामिल है...

अमरीका ने 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को वापस भेजा है। वायुसेना के विमान के बजाय सामान्य यात्री विमान से उन्हें भेजा जा सकता था, क्योंकि सैन्य विमान का हमारी सरजमीं पर उतरना देश की संप्रभुता के खिलाफ है।

आर्थिकी और विकास के गठजोड़ पर हिमाचल की सूरत सुधारने का एक बड़ा ख्वाब ‘हिमाचल-2045 संगोष्ठी शृंखला’ लेकर आ रही है। मनमोहन सिंह हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासनिक संस्थान (एमएसएचआईपीए) के तत्वावधान में होने जा रही तीन...

हिमाचल प्रदेश का नया बजट शीघ्र ही आने वाला है। इस बजट से राज्य के अनेक वर्गों को कई आशाएं और अपेक्षाएं हैं। यह अच्छी बात है कि सुक्खू सरकार कमजोर वर्गों के कल्याण पर ज्यादा फोकस कर रही है।

एक सरकार होती है और एक सरकार का स्टैंड होता है। जब सरकार स्टैंड लेती है तो पब्लिक को पता चलता है कि वाकई ही सरकार नाम की कोई चीज है जिसने स्टैंड लिया है। अगर सरकार स्टैंड नहीं लेती तो पब्लिक को...

हमें यह भी समझना होगा कि आखिर क्यों चीन आर्थिक स्थिति में हमसे मजबूत है? जबकि सन् 1990 तक हमारा देश और चीन विकास के मामले में लगभग एक धरातल पर खड़े थे, लेकिन उसके बाद चीन आगे क्यों बढ़ता गया और हमारा देश इससे पिछड़ता गया। अब दोनों की अर्थव्यवस्थाओं में एक खाई क्यों पट चुकी है?

पालमपुर में आई आई टी मंडी के विस्तार परिसर के नींव पत्थर उठाए प्रदेश के आई टी सलाहकार गोकुल बुटेल को साधुवाद दें या इस कैंपस से जुड़ी उम्मीदों में रोजगार खोजें। किसी भी शिक्षण संस्थान के राष्ट्रीय महत्त्व से हिमाचल की काबिलीयत बढ़ती है और यही चमक हमीरपुर के एनआईटी, बिलासपुर के एम्स, हमीरपुर के राष्ट्रीय होटल प्रबंधन संस्थान, कांगड़ा के राष्ट्रीय फैशन टेक्नालोजी इंस्टीट्यूट, गरली-परागपुर के राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ व ऊना के ट्रिपल आई टी

पाकिस्तान सरकार इन इलाकों की किसी न किसी तरह पहचान समाप्त करने की कोशिश में लगी रहती है। उसने हजारा और चित्राल को तो केपी में ही मिला दिया है। अब बलती और दरद, पाकिस्तान सरकार से प्रश्न करने लगे हैं कि हम पाकिस्तान में रहते हैं, उसके बावजूद हमें बेगानों की तरह देखा ही नहीं जाता बल्कि परोक्ष रूप से पंजाबी और सैयद ही हम पर राज करते हैं। बलती और दरद भाषाओं को अकादमिक जगत और प्रशासन में से दूध की मक्खी की तरह निकाल दिया गया है। यही कारण है कि अब पाकिस्तान में पंजाबियों और सैयदों को छोड़ कर बाकी बिरादरियां नाराज हैं...

इस स्तर पर अपना अभ्यास जारी रखने के लिए महीने में पचास हजार रुपए चाहिए होते हैं। जो नौकरी में हैं वो तो बहुत कठिनाई से अपने वेतन से कुछ न कुछ जुगाड़ कर लेते हैं, मगर जो विद्यार्थी व बेरोजगार हैं, वे कैसे अपना अभ्यास जारी रखें, यह हिमाचल सरकार को सोचना होगा। क्या प्रदेश सरकार कुछ उपकार इन प्रतिभाशाली एथलीटों पर करेगी ताकि वे फ्री माईंड होकर अपना प्रशिक्षण जारी रख सकें। खिलाड़ी बनाए नहीं जाते हैं, वे जन्म से ही अलग होते हैं...