विचार

चुनाव परिणाम आने के बाद ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, लालू यादव, स्टालिन, अखिलेश यादव इत्यादि सभी ने इस बैठक में आने से इंकार कर दिया तो कांग्रेस को अपनी इंडी की यह बैठक ही स्थगित करनी पड़ी...

जम्मू-कश्मीर का जिक्र होगा, तो नेहरू और श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी याद किया जाएगा। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कश्मीर के संदर्भ में दो ‘भयंकर गलतियां’ (ब्लंडर) की थीं। भारत की आजादी के कुछ माह बाद ही कबाइलियों (पाकिस्तान की मुखौटा फौज) ने कश्मीर पर हमला कर दिया था। अभी युद्ध जारी था और हमारी सेनाएं जीत रही थीं। पूरे कश्मीर पर भारत का कब्जा होने ही वाला था कि प्रधानमंत्री नेहरू ने युद्धवि

ट्रैकिंग टूरिज्म के बढ़ते रुझान ने कम से कम हिमाचल की पर्यावरणीय जरूरतों, पर्वतारोहण की मंजिलों तथा सैलानियों की शिनाख्त में शुल्क लगाने की परंपरा तो शुरू की। त्रियूंड की तलहटी में उभरा ट्रैकिंग संसार अब पर्यटन व्यापार से लोहा ले रहा है। पर्यटन की सफलता केवल आंकड़े नहीं, बल्कि अनुभव का विस्तार तथा सुविधाओं का एहसास है। इसी खोज में सैलानियों का कारवां बनता व आगे बढ़ता है। हिमाचल में युवा पर्यटन की खोज का विस्तारित स्वरूप त्रियूंड, शिकारी देवी, पराशर झील तथा चूड़धार जैसे स्थलों को चिन्हित करके आगे बढ़ रहा है, तो इसकी चुनौतियां व समाधान भी तरा

क्या सरकार अन्य विभागों में नौकरी लगे पूर्व खिलाडिय़ों व प्रशिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर लाकर या उन्हीं के विभाग में उन्हें खेल प्रबंधन व प्रशिक्षण देने का अधिकार देकर हिमाचल प्रदेश की करोड़ों रुपए से बनी इन खेल सुविधाओं का सदुपयोग कर राज्य में खेलों को गति नहीं दे सकती है? अभी भी समय है कि सरकार इन खेल मैदानों का रखरखाव ठीक ढंग से करवाए...

मैंने पचास पुस्तकें पता नहीं किस नशे में लिख लीं। लेकिन पुरस्कार के नाम पर स्थानीय नगरपालिका ने मुझे गणतंत्र दिवस पर माला पहनाकर सम्मानित किया है। नकद राशि वाला मुझे एक भी पुरस्कार नहीं मिला है। मैं आजकल बस यही सोचता हूं कि कोई बड़ा पुरस्कार कैसे मारा जा सकता है। किताबें हैं और साहित्य में समग्र रूप से योगदान भी है, लेकिन कोई सरकार या संस्था मुझे कोई पुरस्कार नहीं दे रही। मैंने किताबें लिखने में अपने जीवन के साठ वसंत पूरे कर लिए हैं। विचार करता हूं तो पाता हूं कि मुझे केवल किताब लिखकर ही तसल्ली नहीं करनी चाहिए, अपितु भागा-दौड़ी भी करनी चाहिए। मुझ से जूनियर तीन-तीन किताबें लिखकर कई पुरस्कार बटोर चुके हैं। समझ में तो आने लगा

हमारे देश में दिन प्रतिदिन सडक़ हादसों में जान गंवाने वालों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। देश में सडक़ हादसों में एक दिन में जितने लोग जान गंवाते हैं, उतने तो आतंकवाद के शिकार नहीं होते। या यूं कहा जा सकता है कि हमारे देश के लिए आतंकवाद से ज्यादा बड़ी समस्या सडक़ों पर बढ़ते हादसों की लग रही है। वैसे तो हर मौसम में सडक़ हादसों की गिनती कम नहीं होती, लेकिन सर्दियों के मौसम में धुंध में विजिबिलिटी कम रहने से सडक़

जिस प्रकार आज धड़ल्ले से फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स पर अश्लीलता परोसी जा रही है, वह भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और भारत सरकार को निश्चित रूप से ऐसी साइट्स को तुरंत प्रभाव से ब्लॉक कर सख्त कानूनी प्रावधानों को समाज हित में लागू करना चाहिए...

न कंपकंपाती ठंड की परवाह और न आग बरसती गर्मी की परवाह, बस देश की सुरक्षा इनका मकसद है। ये हैं हमारे देश की तीनों सेनाओं के जांबाज बहादुर सैनिक। जब हमारा देश आजाद हुआ था, तब भारत सरकार ने देश की सेना के जवानों की मदद के लिए एक कमेटी का गठन किया था। इसने हर वर्ष 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाने का निर्ण

ये कुंठित और घिसे-पिटे आरोप हैं। चुनावी जनादेश के बाद मतदान की ईवीएम को कोसना विपक्ष की फितरत रही है। उसके आरोप रहे हैं कि ईवीएम में चिप का इस्तेमाल किया जाता है, लिहाजा उसे ‘हैक’ किया जा सकता है। ऐसी दलीलें दी जाती रही हैं मानो देश भर की ईवीएम में भाजपा घुस कर बैठी है और वह जनादेश को पलट देती है। यह हमारे लोकतंत्र और करोड़ों मतदाताओं का अपमान भी है। दिसंबर, 1998 में ‘जनप्रतिनिधित्व कानून’ में संशोधन किया गया था और बैलेट पेपर के स्थान पर ईवीएम के जरिए मतदान करने की व्यवस्था लागू की गई थी। उसके बाद 2004 का लोकसभा चुनाव सब