दूषित नदियों पर सरकार की नजर

By: Jan 14th, 2020 12:01 am

शिमला – हिमाचल से निकलने वाली आठ नदियों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां की आठ नदियों में बायोलॉजिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार अब इन नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए लगातार मॉनिटरिंग करेगी। इसके बाद प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर कार्रवाई की जाएगी। हाल ही में राज्य सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों को भी प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर नजर रखने के आदेश दिए थे। प्रदेश की आठ नदियों में बायोलॉजिकल आक्सीजन डिमांड का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। इस वजह से नदियों में जीव-जंतुओं का जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा। इसी तरह से पानी के भीतर पैदा होने वाली वनस्पति का विकास रुकने के साथ खत्म हो सकता है। प्रदूषण की हालत यह हो चुकी है कि ब्यास नदी 80 किलोमीटर तक दूषित पाई गई है। कुल्लू जिले के ब्यास कुंड से निकलने वाली यह नदी कुल्लू, मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा से बहते हुए पंजाब पहुंचती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नदियों के पानी की कई स्थानों पर जांच की। इसमें पाया गया कि ब्यास में बीओडी की मात्रा अधिक है। कुल्लू से देहरा के बीच स्नोट और कुल्लू के कस्बों के साथ लगते नदी के क्षेत्र मे बीओडी की मात्रा तय मानकों से अधिक 7.6 आंकी गई है। अन्य सात नदियां भी प्रदूषण की चपेट में हैं और उनका पानी भी स्वच्छता के पैमाने पर खरा नही उतरा है। इनमें टौंस, सिरसा, स्वां, सुखना, सुकेती, बिनवा और मारकंडा नदियां शामिल हैं। वहीं, दूसरी तरफ सोलन और सिरमौर से निकलने वाली इन नदियों में औद्योगिक क्षेत्रों से सटे हिस्सों में प्रदूषण की मात्रा अत्यधिक पाई गई है।

कई गुना ज्यादा हैं बैक्टीरिया

नियमों के मुताबिक 100 मिलीलीटर पानी में बैक्टीरिया की संख्या 500 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। खतरनाक बात है कि हिमाचल की नदियों में पैरामीटर से ज्यादा बैक्टीरिया पाया गया है। हालांकि ब्यास की तुलना में अन्य सात नदियों का पांच से 10 किलोमीटर हिस्सा ही प्रदूषित पाया गया है, लेकिन पानी में बैक्टीरिया की मात्रा काफी अधिक है। बैक्टीरिया ज्यादा होने पर पानी को शुद्धिकरण के बावजूद पीने योग्य बनाना मुश्किल होता है। ये पीने, नहाने या सब्जियों के जरिए हमारे शरीर में पहुंचकर सेहत के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।

 


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