टेढ़ो-मेढ़ो जाय

By: पूरन सरमा, स्वतंत्र लेखक Aug 14th, 2020 12:06 am

पूरन सरमा

स्वतंत्र लेखक

मोहल्ले में विकास समिति का गठन हो चुका है तथा पूरे मोहल्ले का विकास अबाध रूप से किए जाने का संकल्प लिया जा चुका है। मुझे लगता है कि अब विकास खूब होगा क्योंकि इधर सरकार का दावा है कि वह सबका विकास करेगी और उधर मोहल्ला विकास समिति ने भी यही दुहरा दिया है। विकास की मार दोहरी है। अब विकास से बच नहीं सकता मेरा मोहल्ला, गठन के समय मैं खुद वहां उपस्थित था। सर्वसम्मति से सदानंदजी को अध्यक्ष चुना गया। मुझसे उन्होंने पहले कह दिया था कि उन्हें अध्यक्ष बना दिया गया तो वे मुझे चाय पिलाएंगे।

मैं चाय पीने की गरज से उनके घर पहुंचा तो वे सफेद कुर्ता-पायजामा पहनकर कहीं जाने की तैयारी में थे। मैं अचरज से बोला-‘क्यों, यह क्या, कहां जा रहे हैं? जाने से पहले चाय तो पिला जाइए।’ ‘शर्माजी हमेशा मजाक ठीक नहीं होता। नगर-निगम प्रशासक से समय तय हो चुका है। मोहल्ले की सफाई के लिए उनसे मिलना है।’ वे बोले। मैंने कहा-‘लेकिन मोहल्ले की सफाई में नगर-निगम क्या करेगा?

हम जब कचरा ही नहीं डालेंगे तो गंदगी फैलेगी ही कैसी?’ ‘ओह गजब है भाई, तुम समझते नहीं मोहल्ले का काम है गंदगी फैलाना, मेरा कर्त्तव्य है कि फैली हुई गंदगी की अविलंब सफाई कराऊं। इसलिए अब जब अध्यक्ष बन गया हूं तो मुझे मेरे अथक प्रयास करने तो चाहिए। कल सफाई व्यवस्था नहीं हो पाई तो अगले वर्ष मुझे कौन बनाएगा अध्यक्ष।’ ‘आप व्यर्थ में सीरियस हो रहे हैं सदानंदजी ! यह तो एक औपचारिकता थी। उसे कर लिया गया है-बाकी कोई अध्यक्ष होने का मतलब काम करना तो नहीं है।’ मैंने कहा। ‘अरे रहने दो शर्माजी! आप सदैव मेरी छवि बिगाड़ने में लगे रहते हैं। मैंने जनसेवा को तहेदिल से अख्तियार किया है और विकास का जब मैंने संकल्प ले ही लिया है तो अब पीछे क्यों हटना है।’

सदानंदजी बोले। मैंने कहा-‘देखिए नगर-निगम में जाकर अपना समय नष्ट न करिए। थोड़ा श्रमदान करके हम लोग ही मोहल्ले को नया रूप दे सकते हैं।’ ‘लेकिन यह नगर-निगम फिर बना क्यों है? मेरी योजना है कि गलियारा कांच का माफिक दमक उठे। मोहल्ले के नागरिकों को बिना कष्ट दिए मैं एक ऐसा आदर्श स्थापित करना चाहता हूं कि वह दूसरों के लिए भी आदर्श बन जाए।’ सदानंदजी ने कहा। ‘लेकिन विकास के लिए तो चंदा जरूरी है। चंदा शुरू करिए। इससे बात     बन जाएगी। बिना पैसे कुछ नहीं होने वाला। मोहल्ले की सफाई लाइलाज है और इसके लिए नगर-निगम का बजट पर्याप्त नहीं है। इसलिए आप रसीद बुक अवश्य छपवाइए और चंदा शुरू करिए। चाहें तो चंदा करने में मैं भी साथ चल सकता हूं।’ मैं बोला।


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