डिजिटल सुरक्षा के विशेष उपाय: डा. वरिंदर भाटिया, कालेज प्रिंसिपल

By: डा. वरिंदर भाटिया, कालेज प्रिंसिपल Sep 23rd, 2020 8:05 am

डा. वरिंदर भाटिया

कालेज प्रिंसिपल

हैकिंग और साइबर अटैक से बचने के लिए हमें कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। हमेशा अच्छा एंटी वायरस सॉफ्टवेयर इंस्टाल करें। कोई नकली सॉफ्टवेयर डाउनलोड न करें। इनके जरिए मेल वेयर आपके सिस्टम में आ सकता है। एंटी वायरस के नकली पॉप अप पर कभी क्लिक न करें। अपने सिस्टम के ऑपरेटिंग सिस्टम को हमेशा अपडेट रखें। पायरेटेड एप या सॉफ्टवेयर से हमेशा बचें। इनमें मेल वेयर हो सकता है। असुरक्षित नेटवर्क पब्लिक वाईफाई यूज करने वाले ग्राहक की व्यक्तिगत जानकारी हैकर आसानी से चुरा सकते हैं। जिन जानकारी को हैकर चुराने का प्रयास करते हैं उनमें क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स, पासवर्ड, चैट मैसेज, ईमेल आईडी, पैन नंबर, आधार नंबर सहित अन्य जानकारी शामिल हैं…

साइबर क्राइम के बढ़ते चलन में कुछ दिन ही पहले देश के एक बड़े राजनेता के पर्सनल वेबसाइट का अकाउंट हैक होने के समाचार आए थे। हैकिंग का अर्थ होता है कि किसी कंप्यूटर के सिस्टम में से कमजोरी को ढूंढ निकालना तथा उस कमजोरी का फायदा उठाकर उस सिस्टम को हैक यानी अपने बस में कर लेना। आज साइबर क्राइम में वृद्धि पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है। इन दिनों हमारे सभी महत्त्वपूर्ण ट्रांजेक्शन इंटरनेट पर हो रहे हैं। दुनिया भर में बढ़ती कनेक्टिविटी जहां हमारे जीवन को बहुत आसान बना रही है, वहीं इसके खतरे भी बढ़ गए हैं कि हमारी व्यक्तिगत जानकारी को कोई हैकर अथवा साइबर क्रिमिनल चुरा न ले? हैकर्स के पास अब बहुत से रास्ते हैं जिससे वह हमारी जानकारी चुराकर उनका दुरुपयोग कर सकता है। इनमें सबसे पहला रास्ता है फिशिंग। फिशिंग दरअसल एक फ्रॉड इमेल है जिसकी मदद से आपसे आंकड़े मंगाए जाते हैं। यह देखने में असली जैसा ही लगता है। हैकर फिशिंग ईमेल के जरिए आपको यह भरोसा दिलाने की कोशिश करता है कि वह आपके फायदे के लिए बैंक एकाउंट की जानकारी या अन्य आंकड़े मंगा रहा है।

मसलन आपके बैंक की तरफ से एक ईमेल आता है जिसमें कहा जाता है कि आपका डेबिट कार्ड रद हो गया है और कार्ड नंबर या आधार नंबर बताने पर ही आपको नया कार्ड जारी किया जाएगा। आपको लग सकता है कि बैंक ने ही यह जानकारी आपसे मांगी है, लेकिन यह हैकर हो सकता है। फिशिंग ईमेल में एक लिंक होता है जिस पर आपको क्लिक कर नकली वेब पेज पर ले जाया जाता है। अगर आप उनके झांसे में आ गए तो आप वहां अपने एकाउंट की जानकारी दर्ज कर देते हैं और यह हैकर के सर्वर में चला जाता है। इसके बाद हैकर इन जानकारियों का इस्तेमाल कर आपके बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड से रकम उड़ा सकता है। दूसरा तरीका यह है कि आपको ईमेल में एक अटैचमेंट भेजा जाता है जिसे डाउनलोड करने के लिए कहा जाता है। जैसे ही आप इसे डाउनलोड करते हैं और खोलते हैं, आपके सिस्टम में एक मेल वेयर इंस्टाल हो जाता है। यह आपके डिवाइस और आंकड़ों तक हैकर की पहुंच बना डेटा है, जिससे वह आपके खाते को एक्सेस कर सकता है। इससे बचने के लिए सुरक्षित डोमेन नाम या ईमेल एड्रेस में स्पेलिंग की गलतियों पर ध्यान दें। साइबर क्रिमिनल आम तौर पर उस तरह का ईमेल यूज करते हैं जो नामी कंपनियों का हो, बस वे उसमें थोड़ा-सा हेरफेर कर देते हैं जिससे कि वह वास्तविक लगे। किसी भी ऐसे लिंक पर क्लिक करने से पहले दो बार सोचें। अगर कोई संदिग्ध ईमेल दिखे तो उस पर क्लिक न करें। साइबर क्रिमिनल्स आम तौर पर आपको सुरक्षा के खतरे की धमकी देते हैं। ऐसे झांसे में न आएं। स्थिति पर अपना दिमाग लगाएं और उसके बाद अपने वित्तीय संस्थान से बात करें। साइबर क्राइम का एक और तरीका है मेल वेयर। यह एक सॉफ्टवेयर है जो किसी सिस्टम की जानकारी या आंकड़े की चोरी के लिए बनाया जाता है।

यह प्रोग्राम संवेदनशील आंकड़े चुराने, उसे डिलीट कर देने, सिस्टम के काम करने का तरीका बदल देने और सिस्टम पर काम करने वाले व्यक्ति पर नजर रखने जैसी एक्टिविटी करता है। आपके सिस्टम में यह प्रोग्राम कई तरीके से इंस्टाल हो सकता है। कोई आउटडेटेड ऑपरेटिंग सिस्टम या पायरेटेड ओएसए अनजाने लिंक पर क्लिक करने या नकली सॉफ्टवेयर इंस्टाल करने की वजह से मेल वेयर इंस्टाल हो सकता है। तीसरा खतरनाक तरीका है मेल वेयर वायरस का उपयोग करना। मेल वेयर वायरस किसी सॉफ्टवेयर को प्रभावित करने से लेकर सिस्टम के कामकाज पर असर डालने में सक्षम है। यह खुद को डेटा फाइल/प्रोग्राम या बूट सेक्टर की तरह बदलने में सक्षम होता है। यह कंप्यूटर के हार्ड डिस्क में जाकर फाइल/सिस्टम तक आपकी पहुंच को मुश्किल बनाता है। इसी कड़ी में ट्रोजन नाम का साइबर अटैक आपके सिक्योरिटी सिस्टम से परे जाकर बैकडोर बनाता है जिससे हैकर आपके सिस्टम पर नजर रख सकता है। यह खुद को किसी सॉफ्टवेयर की तरह दिखाता है और किसी टेम्पर्ड सॉफ्टवेयर में मिल जाता है। एक और साइबर अटैक टूल स्पाई वेयर है। यह आपकी जासूसी करने के लिए बनाया गया है। यह खुद को बैकग्राउंड में छिपा कर आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी को चेक करता है। यह आपकी आईडी, पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर और नेट चलाने की आदत को पढ़ता है। यह की-बोर्ड, वीडियो और माइक्रोफोन आदि की चीजें रिकॉर्ड कर सकता है। इनके अलावा भी साइबर हैकर अनेक तरीके प्रयोग करते हैं। हैकिंग और साइबर अटैक से बचने के लिए हमें कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। हमेशा अच्छा एंटी वायरस सॉफ्टवेयर इंस्टाल करें। कोई नकली सॉफ्टवेयर डाउनलोड न करें। इनके जरिए मेल वेयर आपके सिस्टम में आ सकता है।

एंटी वायरस के नकली पॉप अप पर कभी क्लिक न करें। अपने सिस्टम के ऑपरेटिंग सिस्टम को हमेशा अपडेट रखें। पायरेटेड एप या सॉफ्टवेयर से हमेशा बचें। इनमें मेल वेयर हो सकता है। असुरक्षित नेटवर्क पब्लिक वाईफाई यूज करने वाले ग्राहक की व्यक्तिगत जानकारी हैकर आसानी से चुरा सकते हैं। जिन जानकारी को हैकर चुराने का प्रयास करते हैं उनमें क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स, पासवर्ड, चैट मैसेज, ईमेल आईडी, पैन नंबर, आधार नंबर सहित अन्य जानकारी शामिल हैं। इसे सामान्य भाषा में आइडेंटिटी थेफ्ट कहते हैं। अपनी जानकारी सुरक्षित रखने के लिए आप इन जगहों से शॉपिंग या नेटबैंकिंग जैसी एक्टिविटी बिलकुल न करें। ओपन इंटरनेट नेटवर्क से वित्तीय ट्रांजेक्शन बिलकुल न करें। घर के वाईफाई को सिक्योर बनाएं और पासवर्ड कठिन रखें। आपकी साइबर और डिजिटल सुरक्षा महत्त्वपूर्ण है। डिजिटल सुरक्षा का मतलब सूचना-तकनीक से जुड़े पूरे प्रणाली-तंत्र की सुरक्षा है। यह तकनीकों, प्रक्रियाओं और प्रणालियों की एक ऐसी व्यवस्था है जिसका मकसद कम्प्यूटर नेटवर्क, तकनीकी उपकरणों, प्रोग्राम और डाटा को हमले, क्षति और अनधिकृत पहुंच से बचाना है। डिजिटल सुरक्षा सरकारी, सैन्य, कॉरपोरेट, वित्तीय और चिकित्सकीय जानकारियों की सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। इन संस्थानों की व्यवस्था लाखों-करोड़ों डाटा पर आधारित होती है। आज ऑनलाइन बैंकिंग हो या फिर रोजमर्रा का काम, सब मोबाइल फोन से संचालित हो रहे हैं। ऐसे में बहुत सतर्क और सजग रहने की आवश्यकता है।

ईमेल : hellobhatiaji@gmail.com


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