Himachal के बाल साहित्यकार और उनका लेखन

By: पवन चौहान Sep 27th, 2020 12:05 am

पवन चौहान, मो.-9418582242

-गतांक से आगे…

अन्य वरिष्ठ लेखक हैं शशिकांत शास्त्री जी। इन्होंने बाल साहित्य में बाल कविता और गीतों की रचना के साथ बच्चों को बाल नाटकों के माध्यम से मंच प्रदान करवाया है। इन्होंने बच्चों के लिए प्रेरक प्रसंग भी लिखे हैं। साहित्यकार त्रिलोक मेहरा जी जहां हिमाचल की कहानी में विशेष स्थान रखते हैं, वहीं बाल साहित्य में इनकी रुचि एकांकी, नाटक को लेकर है। कभी-कभी बाल कहानियां भी लिखते हैं। कमल के. प्यासा जी ने अपने लेखन के शुरुआती दौर में बाल साहित्य के अंतर्गत कविता, कहानी और नाटक लिखे हैं। इनकी एक बाल रचना हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में भी शामिल हो चुकी है। प्रेम सागर कालिया जी ने भी बाल साहित्य में अपनी कलम चलाई है।

दूरदर्शन और आकाशवाणी से कई बाल रचनाएं प्रसारित हुई हैं। बाल साहित्य की इनकी किताबें अभी प्रकाशनाधीन हैं। लेखक प्रदीप गुप्ता प्रौढ़ साहित्य लेखन के साथ बाल लेखन में विशेषकर कहानी, कविता निरंतर लिखते हैं। बाल साहित्य की अभी तक कोई पुस्तक प्रकाशन में नहीं है। डा. कर्म सिंह जी ने जहां प्रौढ़ साहित्य लेखन में अपनी कलम चलाई है, वहीं बालोपयोगी रचनाओं का भी सृजन किया है। इनकी पुस्तक ‘महापुरुषों के प्रेरक प्रसंग’ बालमन में सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करती है। अशोक सरीन व डा. प्रेम लाल गौतम ‘विद्यार्थी’ वरिष्ठ साहित्यकार हैं। प्रौढ़ साहित्य के साथ-साथ बाल साहित्य में इनकी विशेष रुचि है।

महिला बाल साहित्यकार

हिमाचल में बाल साहित्य लेखन में महिलाएं भी बराबर सक्रिय हैं। यह बात बहुत सुकून देती है। वरिष्ठ साहित्यकार आशा शैली जी प्रौढ़ साहित्य की हर विधा में कलम चलाने के साथ बाल साहित्य में बराबर सक्रिय हैं। वर्तमान में इनका उत्तराखंड में निवास है, लेकिन शिमला के रामपुर में इनका ससुराल है। यदि बाल साहित्य की बात करें तो आशा जी का बाल कविता, गीत, कहानी, नाटक और उपन्यास में विशेष योगदान है। इनकी प्रकाशित पुस्तकों में ‘सूरज चाचा’ (बाल कविता संग्रह), उपन्यास में ‘कोलकाता से अंडेमान तक’ और ‘आइए चलें हिमाचल’ प्रमुख हैं। बाल गीत संग्रह अभी प्रकाशनाधीन है। लोककथा में ‘दादी कहो कहानी’ और ‘हमारी लोक कथा’ (भाग 1 से 6 तक) पुस्तकें प्रकाशित हैं। आशा जी एक त्रैमासिक पत्रिका ‘शैल सूत्र’ का संपादन भी करती हैं जिसमें बाल साहित्य को विशेष स्थान दिया गया है। पालमपुर की कृष्णा अवस्थी जी बाल साहित्य के साथ प्रौढ़ साहित्य में बराबर दखल रखती हैं। बाल साहित्य में कृष्णा जी की मुख्य विधा कविता रही है। इनकी कुल नौ किताबों में ‘झिलमिल तारे’ और ‘लोकप्रिय बाल कविताएं’ दो बाल कविता संग्रह तथा एक लोकथा संग्रह ‘हिमाचल की लोक कथाएं’ का प्रकाशन हुआ है। इनकी बाल कविताओं पर शोध कार्य भी हुआ है।

डा. नलिनी विभा ‘नाजली’ जी हिमाचल के बाल साहित्य में एक सम्मानजनक स्थान रखती हैं। कई पुरस्कारों से सम्मानित चर्चित गजलकार नलिनी जी बाल साहित्य में बाल कविताएं लिखती हैं। लेखिका इसके अलावा एक बेहतरीन चित्रकार भी हैं। अपनी इस कला का बहुत शानदार उपयोग करते हुए लेखिका ने अपने दोनों बाल कविता संग्रहों यथा ‘अनमोल सच’ और ‘निश्छल बचपन’ की हर कविता और आवरण पृष्ठ के चित्र स्वयं बनाए हैं। नलिनी जी ने बाल कथाएं और बाल नाटक भी लिखे हैं जो यत्र-तत्र संकलनों में प्रकाशित हैं। कविता संग्रह ‘अनमोल सच’ का अनुवाद उर्दू और पंजाबी में हो चुका है, जबकि मराठी में इसका अनुवाद कार्य जारी है। वरिष्ठ लेखिका प्रेमलता वात्स्यायन जी का भी बालोपयोगी साहित्य में योगदान है। इनकी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं।

बाल साहित्य में इनकी रुचि कहानी को लेकर है। इनकी बाल साहित्य की पुस्तकों में ‘काना गीदड़’ (लोक कथा संग्रह) और ‘कोई अछूत नहीं’ (धार्मिक पक्ष से जुड़ी सात लोककथाएं) प्रमुख हैं। संतोष शैलजा जी हिमाचल की वरिष्ठ साहित्यकारा हैं। संतोष जी ने लोक जीवन पर आधारित रोचक कहानियों को रचा है। इन्होंने अपनी दो रोचक लोक कथाओं की पुस्तकों यथा ‘हिमाचल की लोक कथाएं’ और ‘पर्वतीय लोक कथाएं’ का स्वयं ही अंग्रेजी में ‘पिन्नी चिन्नी टिन्नी’ नाम से अनुवाद कर पुस्तकाकार रूप दिया है। पेशे से इंजीनियर लेखिका कंचन शर्मा जी का बचपन से ही बाल साहित्य के प्रति आकर्षण रहा है। समसामयिक मुद्दों पर आलेखों के लिए चर्चित लेखिका कंचन की भागीदारी बाल साहित्य में कहानी विधा को लेकर है। इनकी कहानियां देश की चर्चित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। इनकी बाल साहित्य की पुस्तकों में कविता संग्रह ‘नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है’ प्रकाशित है।

पेशे से शिक्षक युवा साहित्यकारा प्रतिभा शर्मा की कलम भी बाल साहित्य में कविता और कहानी को रचती है। इनकी रचनाएं देश की पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रहती हैं। बाल कहानी और कविता की पुस्तक प्रकाशनाधीन है। हिमाचल की युवा लेखिका अदिति गुलेरी के नाम यह उपलब्धि है कि अदिति ने पंजाब विश्वविद्यालय से हिमाचल के बाल साहित्य पर शोध कार्य किया जिसका विषय था ‘हिमाचल में रचित बाल साहित्य-सर्वेक्षण एवं विश्लेषण’। इस शोध में वर्ष 2002 तक के हिमाचल के बाल साहित्य पर बात हुई है। अदिति बाल कविता में रुचि रखती हैं। -क्रमशः


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