हिंदी की किताबें पढ़ने से परहेज, ‘अंग्रेजी बुक्स’ में ही बढ़ रहा युवाओं का ‘तेज’, प्रतियोगी किताबों को लेकर भी गंभीर

By: कार्यालय संवाददाता — बिलासपुर Sep 19th, 2020 8:06 am

हिंदी भाषा को आज के दौर में केवल एक औपचारिक भाषा बन कर ही  रह गई है। हालांकि हिंदी भाषा को लोग आम बोलचाल में बोलना बेहद पसंद करते हैं, लेकिन आज के युवाओं की बात करें, तो वे हिंदी के बजाय अंगे्रजी भाषा को विशेष तवज्जो देते हैं। हिंदी को केवल एक विषय समझा जाता है। हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया गया और हिंदुस्तानी होने में गर्व किया जाता है, लेकिन हिंदी भाषा बोलने में अपमान महसूस किया जाता है। लोग कहते हैं हिंदी नहीं, अंग्रेजी सिखाएंगे और अंग्रेजी सीखेंगे तो कुछ बनकर दिखाएंगे। यही कारण है कि आज के दौर में हिंदी भाषा के लिए पाठकों का रूझान कम देखने को मिल रहा है। इसी को लेकर ‘दिव्य हिमाचल टीम’ ने हिमाचल प्रदेश के साहित्यकारों और पाठकों का हिंदी भाषा के प्रति किस तरह का रुझान है, को लेकर नब्ज उनकी टटोली है।

-बिलासपुर से अनिल पटियाल की रिपोर्ट

बिलासपुर पुस्तकालय में कम ही पहुंच रहे पाठक

हिंदी किताबें (साहित्य) पढ़ने में लोग रुचि नहीं दिखा रहे हैं। वहीं, युवा प्रतियोगी किताबों को लेकर भी गंभीर हैं। साहित्य में युवाओं की रुचि नहीं है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिला पुस्तकालय में आने वाले पाठक इंग्लिश किताबों को ही तवज्जो दे रहे हैं। हालांकि जिला पुस्कालय में कई साहित्यकार भी पहुंचते हैं। इनके लिए साहित्य अहम स्थान रखता है, लेकिन ये साहित्यकार जिला पुस्तकालय से किताबें लेकर अपने घरों में पढ़ते हैं, लेकिन युवा वर्ग का रुझान साहित्य के प्रति कम हो गया है।

जिला पुस्तकालय में करीब 61 हजार विभिन्न किताबें हैं, जिन्हें संजोए रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसमें करीब पांच हजार साहित्य की किताबें हैं। जिला पुस्तकालय में प्रतियोगी किताबें, साहित्य और बच्चों से संबधित किताबें हैं, लेकिन साहित्य की किताबों में पाठक रुचि नहीं दिखाते हैं। उधर, जिला पुस्तकालय प्रभारी मीना धीमान का कहना है कि साहित्य को लेकर कम ही पाठक पहुंचते हैं। जो साहित्यकार साहित्य पढ़ने पहुंचते हैं, वे भी साहित्य यहां से लेकर घर में पढ़ते हैं। पुस्तकालय के अन्य पाठक खासकर युवा वर्ग प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों को ही पढ़ने में रुचि दिखाते हैं।

वीरान पड़ा जिला पुस्तकालय

कोरोना महामारी के चलते जिला पुस्तकालय इन दिनों सुनसान पड़ा हुआ है। अभी तक सरकार द्वारा यहां पर पाठकों को आने की अनुमति नहीं दी गई है। इसके चलते यहां पर इन दिनों जिला पुस्कालय पर पाठकों की आवाजाही पूर्णतया बंद है। केवल मात्र जिला पुस्कालय में कर्मी ही ड्यूटी पर पहुंच रहे हैं। दूसरी ओर जिला पुस्तकालय में जल्द ही नया फर्नीचर लगेगा।

तीन लाख रुपए की राशि इसके लिए स्वीकृत हुई है। इसमें कुर्सियां और टेबल नए लगेंगे। उपायुक्त द्वारा यह राशि स्वीकृत की गई है। यहां पर लगने वाले नए फर्नीचर का लाभ यहां पर आने वाले पाठकों को मिलेगा।

एक पर ही जिम्मेदारी

पुस्तकालय बिलासपुर में एक अधिकारी को ही जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह भी डेपूटेशन पर ही हैं, जबकि यहां पर स्थायी तैनाती होनी चाहिए और अन्य कर्मियों की भी तैनाती होनी चाहिए। जिला पुस्तकालय में 61 हजार किताबों की जिम्मेदारी है। किताबों के अलावा अन्य कार्य भी होते हैं, लेकिन अधिकारी पर ही पूरे कार्यों की जिम्मेदारी होती है।

अकेले इस अधिकारी पर अतिरिक्त कार्य का बोझ बढ़ता जा रहा है। इस ओर उचित कदम उठाने चाहिएं।


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