किसानों के विरोध का औचित्य
किसानों से संबंधित विधेयकों से उपजा किसान विरोध और सड़क से संसद तक हंगामा क्या रंग ला सकता है, यह तो समय बताएगा और सरकार का कहना है कि किसान अपना उत्पादन बेचने को स्वतंत्र होगा, जबकि किसान आजादी के बाद से आज 73 सालों से अपना उत्पादन जिसे चाहे, जहां चाहे स्वतंत्र रूप से बेचता आ रहा है। किसानों की व्यथा है एमएसपी में मामूली बढ़ोतरी से उत्पादन का वाजिब दाम नहीं मिलना।
प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, सूखे से हुए नुकसान की भरपाई नहीं हो पाना, कर्ज माफी न होना, स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू न करना, कांट्रेक्ट फार्मिंग की शर्तों आदि से किसान कैसे विश्वास कर सकता है कि प्राइवेट प्लेयर्ज से उसको एमएसपी से अधिक दाम मिलेगा? किसान सरकार से अपेक्षा करता है कि सरकार वह करे जो अन्नदाता चाहता है। सरकार को किसानों की सभी समस्याओं का समाधान करना चाहिए।
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