नौकरी देगा हिमाचली युवा

By: सूत्रधार... शकील कुरैशी, जयदीप रिहान, मोहिनी सूद Sep 23rd, 2020 9:00 am

कोरोना काल में न जाने कितने ही युवाओं का रोजगार छिन चुका है। देश-विदेश से लौटे युवा अब यहां अपने ही प्रदेश में नौकरी की तलाश में हैं। इसी बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी एक बड़ा बयान दिया है कि हिमाचली युवा नौकरी मांगने नहीं, देने वाला होगा। …तो प्रदेश में क्या हैं योजनाएं, किसके दम पर आगे बढ़ रहा है युवा। सरकारी योजनाओं ने कितने बनाए उद्यमी। इन सभी सवालों के जवाब के साथ पेश है यह दखल…

सूत्रधार… शकील कुरैशी, जयदीप रिहान, मोहिनी सूद

हिमाचल प्रदेश निवेश के लिए लगातार पग भर रहा है। यहां जो भी सरकारें रहीं, उन्होंने निवेश लाने के लिए प्रयास किया। वास्तव में हिमाचल प्रदेश में औद्योगिक निवेश तब से शुरू हुआ, जब से हिमाचल को विशेष औद्योगिक पैकेज केंद्र सरकार की ओर से दिया गया। यही वह समय था, जब हिमाचल में कई नए इंडस्ट्रियल एरिया बसे, जहां आज लाखों लोग रोजगार हासिल किए हुए हैं। वर्तमान जयराम सरकार भी अपने प्रयास कर रही है और इन प्रयासों को फलीभूत करने के लिए जी-तोड़ मेहनत हो रही है। औद्योगिक निवेश के साथ यहां बड़ी चुनौती रोजगार सृजन की है।

हिमाचलियों को रोजगार मिले और वे खुद अपना स्वरोजगार अपना सकें, इसके लिए सरकार ने कुछ महत्त्वपूर्ण योजनाएं चला रखी हैं। इन योजनाओं की बात करें, तो मुख्यमंत्री ने सत्ता में आने के बाद स्वरोजगार की दिशा में कुछ योजनाएं शुरू कीं और इन योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसमें बैंकों की भी बड़ी सहभागिता है, जिनके माध्यम से सरकार युवाओं को ऋण दिला रही है।

काम आ रही सरकार की योजनाएं

मुख्यमंत्री ने कहा है कि हिमाचल का युवा रोजगार मांगने वाला नहीं, बल्कि रोजगार देने वाला बने। उनकी इसी बात को चरितार्थ करने के लिए सरकार की योजनाएं चल रही हैं, जिनका फायदा भी देखने को मिल रहा है। सबसे प्रमुख योजना मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना है, जिसे उद्योग विभाग चला रहा है। इसकी प्रक्रिया को पहले से सरल बनाया गया है, जिससे युवाओं को आसानी से ऋण मिले और यहां पर हिमाचली युवा उद्यमी बन सकें।

इस योजना की बात करें, तो इसमें 18 से 45 साल के युवाओं को अपना उद्योग शुरू करने के लिए ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है। इसमें इन्हें कैपिटल सबसिडी प्रदान की जाती है। प्लांट व मशीनरी पर 25 फीसदी तक की सबसिडी इसमें दी जा रही है, जो पुरुषों के लिए रखी गई है। वहीं, महिलाओं के लिए भी इसमें प्रावधान है, जिन्हें अपना उद्योग धंधा स्थापित करने के लिए प्लांट व मशीनरी पर 30 फीसदी का ऋण दिया जाता है। इसके अलावा विधवा यदि अपना उद्योग चलाना चाहती है, तो उसे 35 फीसदी तक सबसिडी लोन पर प्रदान की जा रही है।

60 लाख तक के लोन की व्यवस्था

योजना में अधिकतम 60 लाख रुपए तक के प्रोजेक्ट को लोन दिया जाता है। इसमें 40 लाख रुपए तक की राशि का ऋण प्लांट एवं मशीनरी पर दिया जाता है। अहम बात यह है कि सभी तरह के उद्योगों को यह ऋण इस योजना के तहत दिया जाता है। इसमें विनिर्माण, सेवा व व्यापार तीनों सेक्टर में ऋण दिया जाता है।

योजना में उद्योग विभाग के पास हिमाचली युवाओं के काफी आवेदन हैं। अभी तक 500 हिमाचली युवाओं को इस योजना में ऋण देने के लिए आवेदन मंजूर कर दिए हैं। बैंकों ने भी इन्हें ऋण उपलब्ध करवा दिया गया है। आवेदनों की मंजूरी के लिए जिला स्तरीय कमेटी बनाई गई है, जिसमें पहले सात सदस्य होते थे, लेकिन अब इसमें तीन  1500 से ज्यादा आवेदन मंजूर होने की उम्मीद है।

स्वरोजगार के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण

प्रदेश में युवाओं को स्वरोजगार दिलाने के उद्देश्य से कौशल विकास निगम का गठन किया गया है, जिसके माध्यम से युवाआें को उद्यम कौशल प्रशिक्षण प्रदान करवाया जाता है, वहीं इन्हें सीधे रोजगार दिलाने के लिए कंपनियां अपने यहां रखती हैं। कैंपस इंटरव्यू इनके माध्यम से रखे जाते हैं।

रूरल इंजीनियरिंग स्कीम

हिमाचल प्रदेश में सरकार ने रूरल इंजीनियरिंग बोर्ड ट्रेनिंग प्रोग्राम भी शुरू कर रखा है, जिसके तहत भी स्वरोजगार की दिशा में काम चल रहा है। इसमें भी बड़ी संख्या में

लोग लाभान्वित हुए हैं, जिन्हें सरकार से अपना उद्यम चलाने के लिए ऋण मिले हैं। इसमें हथकरघा व हस्तशिल्प उद्योग के क्षेत्र में लोगों को प्रशिक्षण दिलाया जाता है।

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना

सरकार प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना भी चला रही है। इसमें तीन एजेंसियां युवाओं को ऋण उपलब्ध करवाती हैं, जिसमें उद्योग विभाग, खादी आयोग तथा खादी बोर्ड शामिल हैं। इसमें 1200 के करीब लोगों को ऋण दिया जा चुका है, जो कि इस योजना के तहत मिला है। इसमें 25 लाख रुपए तक का ऋण दिया जाता है। इसमें भी काफी संख्या में लोग आवेदन करते हैं।

जो गया, वह लौटा भी.. नहीं छिना रोजगार

विक्रम सिंह ठाकुर, उद्योग मंत्री

मुख्यमंत्री का बड़ा बयान है कि हिमाचली युवा नौकरी मांगने नहीं देने वाला होगा, उद्योग मंत्री के रूप में आप इसे कैसे अमलीजामा पहनाएंगे?

विक्रम सिंहः मुख्यमंत्री ने बिल्कुल सही कहा है और उनकी इस सोच को धरातल पर उतारने के लिए शुरुआत से ही प्रयास किए जा रहे हैं। सीएम ने अपने बजट में कई नई योजनाओं के ऐलान किए हैं, जिनमें स्वरोजगार के लिए महत्त्वपूर्ण योजनाएं हैं। उद्योग क्षेत्र में नया निवेश इसलिए लाने का प्रयास है, ताकि यहां रोजगार का दायरा बढ़े, वहीं हिमाचली युवा को उद्यमी बनाने के लिए सस्ती दरों पर ऋण दिलाया जा रहा है। एक हजार से ज्यादा युवाओं ने ऐसे ऋण लेने को अप्लाई किया है, वहीं 500 से ज्यादा को ऋण दे दिए गए हैं। निवेश में हिमाचलियों को ज्यादा राहत दी गई है, ताकि वे लोग खुद उद्योगपति बनकर दूसरों को रोजगार दे सकें। मुख्यमंत्री की सोच को साकार करने के लिए हमने विशेष औद्योगिक नीति लाई है।

दिहिः पिछले दो दशकों से हिमाचल में औद्योगिक क्षेत्र में निवेश तो हुआ, मगर वह लंबे समय तक ठहर नहीं पाया, क्यों?

विक्रम सिंहः ऐसा नहीं है, कुछ उद्योगों की अपनी समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन प्रदेश सरकार ने जो नीतियां बनाईं, जो रियायतें दी हैं, उनसे उद्योगपतियों को फायदा हुआ है। कोविड के कारण कुछ दिक्कत अभी हो सकती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि हिमाचल से उद्योगों ने पलायन किया, बल्कि यहां करोड़ों रुपए का नया निवेश हुआ है। लंबी अवधि की रियायतें उनको दी गई हैं।

दिहिः आप इस दिश में क्या करेंगे, क्योंकि उद्योग बंद होने से रोजगार छिन जाता है, इसलिए निवेश के मायने बदल जाते हैं?

विक्रम सिंहः मैंने पहले ही कहा कि यहां से उद्योगों का पलायन नहीं हुआ है। कोविड के कारण रोजगार छिनने की नौबत थी, जिस पर असर देखने को मिला है, मगर जो बाहर गया था, वे लौटा है और वापस उद्योग चले हैं। जहां बड़े पैमाने पर रोजगार दिया जा रहा है। किसी का भी रोजगार जाने नहीं दिया जाएगा, इसे सरकार सुनिश्चित बनाए हुए है। उद्योगों की जरूरत के अनुसार यहां स्किल्ड लेबर जुटाई जा रही है। युवाओं को सब कुछ सिखाया जा रहा है, जो उद्योगों को चाहिए।

दिहिः ज्यादा से ज्यादा यूथ हिमाचल में ही निवेश करे, इस दिशा में आपका विभाग क्या कर रहा है, भविष्य की क्या योजनाएं हैं?

विक्रम सिंहः युवाओं को रियायती दरों पर ऋण दे रहे हैं, कई योजनाएं उनके लिए चलाई गई हैं। जो यहां ऋण लेते हैं, यहीं निवेश भी उनका सुनिश्चित रहता है। हिमाचल के युवा ज्यादा से ज्यादा स्वरोजगार अपनाएं, इस पर फोकस किया गया है।

दिहिः पढ़े-लिखे युवा किस तरह का व्यवसाय चुनें, इसके लिए क्या योजना है, कैसे युवा का मार्गदर्शन करेंगे?

विक्रम सिंहः युवाओं को इसकी सोच-समझ करवाने के लिए पूरा इंतजाम है। कौशल विकास निगम के माध्यम से पूरा अभियान चलाया जा रहा है। कालेज से लेकर स्कूल स्तर तक बी-वॉक कोर्स शुरू किए गए हैं, जिससे युवाओं को दिशा मिलती है। इसके अलावा तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा आईटीआई में ऐसे कई ट्रेड शुरू किए गए हैं, जहां से हुनरमंद निकलते हैं। भविष्य के लिए भी ऐसी कई योजनाएं हैं, वहीं कई दूसरे प्रयास भी किए जा रहे हैं।

कृषि के दम पर रोजगार के लिए तैयार हो रही पौध

स्थापना के 41 वर्ष पूरे कर चुके प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के तहत चार महाविद्यालयों में बीएससी ऑनर्स कृषि, बीवीएएसी एवं पशुपालन तथा बीटेक फूड टेक्नोलॉजी आदि चार वर्षीय प्रोफेशनल कार्यक्रमों में विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं, ये कार्यक्रम स्वयं में रोजगारोन्मुखी हैं। इन कार्यक्रमों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को पढ़ाई के अंतिम वर्ष में प्रगतिशील किसानों, कृषि व पशुपालन आधारित उद्यमों व औद्योगिक इकाइयों व पशु चिकित्सा चिकित्सालयों व इंटर्नशिप के लिए भेजा जाता है। जहां अनुभवात्मक प्रशिक्षण प्राप्त करके ये छात्र आगे जाकर न केवल खुद को रोजगार सृजित करते हैं, अपितु दूसरों को भी रोजगार प्रदान करते हैं।

 इसके अतिरिक्त यूनिवर्सिटी के मुख्यालय तथा इसके कृषि विज्ञान केंद्रों में कृषि व पशुपालन से संबंधित स्वरोजगार आधारित लघु व लंबी अवधि के प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं। प्रशिक्षणके बाद ये उद्यमी अपने व दूसरों के लिए रोजगार तैयार करते हैं। अब तक करीब 76सौ से अधिक विद्यार्थी इस विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करके प्रदेश कृषि, पशुपालन विभाग के अलावा देश-विदेश के विभिन्न विभागों में उच्च पदों पर सेवाएं दे रहे हैं। 2018-19 में निकले 146 विद्यार्थियों को रोजगार मिला, जो कि अब तक एक वर्ष में मिलने वाला रोजगार का सर्वाधिक आंकड़ा है। वहीं, 2017 में सर्वाधिक 252 विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न प्रतियोगिताओं में क्वालिफाई किया। इसके आलवा फूलों की खेती से भी अच्छा कारोबार हो रहा है।

पर्यटन में सबसे ज्यादा द्वार

हिमाचल में वैसे कोविड के कारण पर्यटन क्षेत्र तबाह होकर रह गया है, लेकिन इस क्षेत्र में रोजगार की काफी बड़ी संभावनाएं हैं। इसलिए सरकार ने यहां नए टूरिस्ट प्लेस विकसित करने की योजना चला रखी है, जिससे वहां लोग इस उद्यम में आगे आएं। पर्यटन केवल होटल इंडस्ट्री ही नहीं है, बल्कि पर्यटक सैरगाह में जो भी व्यक्ति कोई काम कर रहा है, वह सीधे पर्यटन से जुड़ा है। इसमें लाखों लोग काम कर रहे हैं, लेकिन कोविड के कारण बड़ा रोजगार इस क्षेत्र में टूट गया है। वर्तमान में पर्यटकों की आमद बंद पडे़ होने से किसी भी पर्यटक सैरगाह में इससे जुड़ा काम करने वालों का काम नहीं चल रहा।

 होटल इंडस्ट्री बंद पड़ी है, जिसमें लाखों लोग काम करते हैं वहीं इससे जुड़े टैक्सी वालों का काम पूरी तरह ठप पड़ा है। ईको टूरिज्म के क्षेत्र में प्रदेश के लोगों ने बड़े पैमाने पर स्वरोजगार को अपनाया है। अपने घरों में होम स्टे चलाकर लोग रोजगार हासिल किए हुए हैं। यहां पांच हजार से ज्यादा होम स्टे वर्तमान में हैं, जिनमें स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिला है। वर्तमान में वे पूरी तरह बंद पड़े हैं। पर्यटक सैरगाहों में टूरिस्ट्स को रिझाने के लिए काम करने वाले, सामान बेचने वाले छोटे-छोटे दुकानदार भी परेशान हैं, क्योंकि उनकी बिक्री नहीं हो रही। इस क्षेत्र में बड़ा रोजगार हिमाचल में लोगों को मिला हुआ है।

प्रदेश में 35 हजार से ज्यादा होटल

टूरिज्म में होटल इंडस्ट्री की ही बात करें, तो इसमें 35 हजार से ज्यादा होटल यहां हैं, जिसमें लाखों लोग नौकरी हासिल किए हुए थे। एक होटल इकाई में स्थानीय स्तर पर करीब 10 से 15 लोग रोजगार हासिल करते हैं, वहीं अपरोक्ष रोजगार भी होता है। सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में होटल का निर्माण करने वाले हिमाचली युवाओं को सबसिडी देने के साथ जमीन खरीद में भी कुछ रियायतें दी हैं, वहीं इन्हें टैक्स में भी छूट प्रदान की जाती है, ताकि हिमाचल का युवा ग्रामीण परिवेश में बड़ा रोजगार दे सके। इन्हें लग्जरी टैक्स में भी छूट प्रदान की जाती है। वर्तमान हालत में होटल चलाने वालों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार ने सस्ती दरों पर ऋण दिलाने का भी ऐलान किया है, जो कि कैपिटल सबसिडी के रूप में मिलेगा, वहीं बिजली के कई चार्जेस में भी इन्हें राहत प्रदान की गई है।

होम स्टे से चला रहे बिजनेस

हिमाचल के  ज्यादातर लोग अब छोटे-छोटे होम स्टे के जरिए यहां स्वरोजगार अपनाए हुए हैं। पहाड़ी प्रदेश की बात करें, तो यहां सरकारी क्षेत्र के अलावा सबसे अधिक रोजगार उद्योग क्षेत्र में मिला है। उद्योगों में भी विनिर्माण, सेवा व व्यापार तीन अलग-अलग सेक्टर हैं, जिनमें लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसके अलावा पर्यटन क्षेत्र में दूसरा बड़ा रोजगार यहां के लोगों को है, वहीं ट्रेड में भी लोग बड़े पैमाने पर स्वरोजगार को अपनाए हुए हैं।

इन कोर्सेज के बाद सीधे नौकरी

डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में बीएससी ऑनर्स औद्यानिकी एवं वानिकी, एमएससी/ एमबीए (एग्रीबिजनेस), एमबीए जनरल और पीएचडी, एंटोमोलॉजी, फ्लोरिकल्चर और लैंडस्केप आर्किटेक्चर, फूड टेक्नोलॉजी, फ्रूट साइंस, मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी, प्लांट पैथोलॉजी, सीड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, स्पाइस, प्लांटेशन और रोमैंटिक प्लांट्स और सब्जी विज्ञान जैसे विषयों में एसएससी, कृषि अर्थशास्त्र, एग्रोफोरेस्ट्री, पर्यावरण विज्ञान, पर्यावरण प्रबंधन, वन आनुवंशिक संसाधन, औषधीय और सुगंधित पौधे, माइक्रोबायोलॉजी, सिल्विकल्चर, मिट्टी विज्ञान, सांख्यिकी और लकड़ी विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एमएससी करवाई जाती है। इसके  अलावा एक बेकरी और फूड प्रोसेसिंग में भी एक वर्ष का डिप्लोमा कार्यक्रम चलाया जाता है। ये सभी कोर्स व्यावहारिक है।

पांच साल में कितनों को रोजगार

हिमाचल प्रदेश में उद्योग क्षेत्र में रोजगार के आंकड़ों की बात करें, तो श्रम एवं रोजगार विभाग के पास जो आंकड़े हैं, उसके अनुसार 2015-16 में 32 हजार 458 लोगों को उद्योगों में रोजगार दिया गया। वर्ष 2016-17 में रोजगार का आंकड़ा 34 हजार 842 का रहा है, वहीं 2017-18 में इस क्षेत्र में रोजगार का आंकड़ा 40141 का है। वहीं, 2018-19 में 49,345 लोगों को यहां रोजगार हासिल हो सका है। 2019-20 में 45 हजार के आसपास का रोजगार यहां हासिल हुआ, लेकिन कोविड के कारण हिमाचल में अब रोजगार की हालत ठीक नहीं है। वर्तमान में श्रम एवं रोजगार विभाग आंकड़े खंगाल रहा है।

कैंपस इंटरव्यू में चुने गए हजारों हिमाचली

कैंपस इंटरव्यू के माध्यम से भी यहां रोजगार प्रदान किया गया है। इसके आंकड़ों पर गौर करें, तो 2015-16 में 3103 युवाओं को उद्योगों में रोजगार दिया गया, 2016-17 में 2975 लोगों को रोजगार मिला, वहीं 2017-18 में 3787 युवाओं को रोजगार मिला है, वहीं 2018-19 में 5256 युवाओं को तथा 2019-20 में 6625 युवाओं को हिमाचल में कैंपस इंटरव्यू के माध्यम से रोजगार दिया गया है। कौशल विकास निगम भी इस तरह के कैंपस इंटरव्यू रख रहा है।

मार्च, 2019 तक की बात करें, तो प्रदेश में सरकारी क्षेत्र में रोजगार का आंकड़ा 2,75,177 का है, वहीं निजी क्षेत्र में रोजगार 1,78,369 नया रोजगार था। इससे पहले जो रोजगार दिया गया है, वह उपरोक्त आंकड़ों में शुमार है। इसी तरह यदि हम प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में दर्ज नामों की बात करें, तो यहां दर्ज लोगों की संख्या 8, 49, 701 की है, जिसे बेरोजगार की श्रेणी में माना जाता है। हालांकि आंकड़ा इससे भी ज्यादा का है। बेरोजगारों के लिए सरकार ने बेरोजगारी भत्ते का भी प्रावधान किया है, जिसके माध्यम से उन्हें कुशल कारीगर बनाने के लिए काम किया जाता है।

नौणी यूनिवर्सिटी का देश-विदेश से समझौता

डा. यशवंत सिंह परमार नौणी विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों को रोजगार के लिए सुनहरे अवसर प्रदान किए जाते हैं। विश्वविद्यालय निजी व सरकारी क्षेत्र में विद्यार्थियों को रोजगार पाने के लिए तैयार किया करता है। यहां के पूर्व छात्र देश ही नहीं, विदेश में भी निजी और सरकारी क्षेत्र शिक्षा, अनुसंधान और प्रशासन में विश्वविद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं। विद्यार्थियों को उद्योग की शिक्षा और उनमें उद्यमिता को बढ़ावा देने की ओर कदम बढ़ाते हुए नौणी यूनिवर्सिटी ने प्रदेश, देश और विदेश के कई संस्थानों के साथ एमओयू किए हैं।

इस समझौते के तहत उद्योग विभाग और विश्वविद्यालय संयुक्त छात्र अनुसंधान परियोजनाओं, प्लेसमेंट आदि के साथ विद्यार्थियों की ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान की जाती है। इसके अलावा विश्वविद्यालय में एक इन्क्यूबेशन केंद्र भी स्थापित किया गया है, जिसमें छात्रों को अपना उद्योग स्थापित करने के लिए समर्थन मिलता है। यूनिवर्सिटी ने कौशल विकास निगम के साथ भी समझौता किया है। इसके अलावा प्रत्येक छात्र को एक स्टार्टअप विचार के लिए नामांकन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यहां के विद्यार्थियों के लिए ईएलपी प्रोग्राम का आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त आरएडब्लयूई नामक प्रोग्राम भी चलाया जाता है। साथ ही विद्यार्थियों को बेकरी में एक वर्ष का डिप्लोमा भी करवाया जाता है।


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