प्रदेश की मंडी समितियों को करोड़ों का नुकसान
दि फार्मर प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स ऑडिनेस-2020 के लागू होने के बाद फूड एंड ग्रेन प्रोडक्ट्स से मंडी समितियों को मिलने वाली एक प्रतिशत मार्केट फीस बंद हो गई है। इससे अब प्रदेश की विभिन्न मंडी समितियों को करोड़ों रुपए का घाटा होना शुरू हो चुका है। अकेले प्रदेश की सबसे बड़ी कृषि उपज एवं मंडी समिति सोलन को अब तक करोड़ों रुपए की चपत लग चुकी है। जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार के इस निर्णय के बाद प्रदेश सरकार ने जून, 2020 से प्रदेश में फूड एवं ग्रेन उत्पादों पर एक प्रतिशत की मार्केट फीस को समाप्त करने का आदेश जारी किया है।
हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड की ओर से इस संदर्भ में 19 जून, 2020 सभी कृषि उपज मंडी समितियों के सचिव को तुरंत प्रभाव से बैरियर से फीस बंद करने के आदेश जारी किए गए। अनुमान लगाया जा रहा है कि मार्केट फीस बंद होने के बाद कृषि एवं मंडी समिति सोलन को वर्ष भर में लगभग पाच करोड़ रुपए का घाटा हो सकता है। यदि बीते चार माह की बात करें तो अभी तक कृषि उपज एवं मंडी समिति सोलन को लगभग एक करोड़ रुपए की मार्केट फीस का घाटा सहन करना पड़ा है। मार्केट फीस लेने के लिए मंडी समिति की ओर से परवाणू के समीप टीटीआर में एक बैरियर था, जहां पर वर्षों से यह कार्य किया जा रहा था। अब इस बैरियर पर केवल चैकिंग का ही कार्य किया जा रहा है, जबकि फीस से संबंधित कार्य को बंद कर दिया गया है।
गौर रहे कि मंडी समितियों द्वारा अब केवल उन्हीं उत्पादों पर मार्केट फीस ली जा रही है, जिनका व्यापार केवल सब्जी मंडी परिसर में होता है। मंडी समितियों का उन उत्पादों से पूरी तरह से नियंत्रण हट गया है, जो मंडियों से बाहर बेची जाती थीं। दूसरी तरफ मार्केट फीस समाप्त होने के बाद प्रदेश का व्यापारी वर्ग काफी खुश है। व्यापारियों को सीधे तौर पर एक प्रतिशत का मुनाफा हुआ है। इसका लाभ बड़े एवं छोटे व्यापारियों को पहुंच रहा है। हालांकि मार्केट फीस को खत्म करने के लिए व्यापारी वर्ग लंबे समय से मांग कर रहा था। अब उनकी मांग पर पहले केंद्र और बाद में प्रदेश सरकार ने मुहर लगाई है।
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