साहित्य के प्रति समर्पित हिमाचली युवा

By: सुरेंद्र मिन्हास Sep 20th, 2020 12:09 am

सुरेंद्र मिन्हास

मो.-7018927464

किसी भी देश के रूप-स्वरूप का दर्पण उस देश का साहित्य होता है। जिस देश का साहित्य जितना समृद्ध होता है, वह देश समस्त विश्व को उतना ही प्रकाश पुंज की तरह प्रकाशित करता है। पूरा विश्व समुदाय ऐसे देश को प्रेरणा स्रोत मान कर उन साहित्यिक प्रेरणाओं पर अमल करता है। प्राचीन काल से ही भारत साहित्य के तौर पर बेहद समृद्ध और सम्पन्न रहा है। हिंदू धर्म में वर्णित वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, महाभारत, गीता सहित दर्जनों ग्रंथ हमारी साहित्यिक धरोहरे हैं जो अपने रचनाकाल से हमारे वर्तमान तक कालजयी, व्यावहारिक और प्रासंगिक बने हुए हैं। आज भी उनके साहित्य की उदात्तता की वजह से महर्षि वाल्मीकि, तुलसीदास और सूरदास सरीखे लेखकों को समाज में प्रशंसनीय स्थान प्राप्त है। आज देश के सभी राज्यों के विद्यालयों में देश का समृद्ध साहित्य पढ़ाया जा रहा है जिसकी वजह से वे साहित्य और साहित्यकार जीवंत लगते हैं, सदियों पूर्व उनकी रचनाएं आज के संदर्भ में लिखी गई प्रतीत होती हैं। प्रत्येक युग में मानव उस युग के साहित्य से प्रेरणा लेता रहा है।

यह सत्य है कि समयानुसार साहित्य का स्वरूप बदला और कहानी, उपन्यास, निबंध, नाटक, एकांकी, कविता, गजल, क्षणिका और मुक्तक का उदय हुआ और ये सब देश में हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में छपने लगे। हिमाचल की बात करें तो चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी अमरकथा शिल्पी के रूप में स्थापित हुए। इसके बाद क्रांतिकारी लेखक के रूप में यशपाल देशभर में विख्यात हुए। यही नहीं, निर्मल वर्मा का संबंध भी बहुत कुछ हिमाचल से ही रहा है। वर्तमान में यह कहना तर्कसंगत न होगा कि वर्तमान में हिमाचल में युवा वर्ग साहित्य में रुचि नहीं ले रहा या साहित्य लेखन में रत नहीं।

प्रदेश में रचे जा रहे साहित्य पर अगर नजर डालें तो सहज ही मालूम हो जाता है कि अनेकोंनेक युवा आज कलम थाम कर साहित्य सृजन में जी-जान से जुटे हुए हैं। अपनी कलम के दम पर पाठकों के दिलों पर राज करने वाले जावेद इकबाल, अजय, रवि सांख्यान, अदिति गुलेरी, वीना बर्धन, दिनेश सारस्वत, किरण गुलेरिया, नलिनी, पल्विंदर घनारी, मोनिका, पंकज, रामकृष्ण कांगडि़या, अनिल शर्मा, लश्करी राम, देविंदर शर्मा, डा. हेमा ठाकुर, विजया सहगल, रक्षा ठाकुर, प्रताप पटियाल, सरस्वती शर्मा, सीता राम शर्मा और हेमराज सरीखे अनेकों युवा प्राणपण से साहित्य लेखन में जुटे हुए हैं। ऐसे में सहज ही कहा जा सकता है कि युवाओं के हाथों में हिमाचल में साहित्य सृजन का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है। आज हिमाचल में साहित्य जगत में ऐसे अनेक युवा लेखक हैं जो अपनी लेखनी के दम पर प्रभावशाली लेखन की कुव्वत रखते हैं।

हिमाचल प्रदेश में लेखन को नए आयाम देने के लिए जहां भाषा विभाग और भाषा कला एवं संस्कृति अकादमी समय-समय पर साहित्यिक आयोजन करवा कर स्थापित और युवा नवोदित लेखकों को मंच प्रदान कर रहे हैं, वहीं प्रदेश के लगभग सभी जिलों में कार्यरत गैर सरकारी साहित्यिक संस्थाएं भी प्रदेश के युवा लेखकों को बेहतर प्लेटफार्म प्रदान कर रही हैं। इसके अतिरिक्त गैर सरकारी साहित्य सृजन में प्रदेश में अग्रणी बिलासपुर लेखक संघ का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त शिमला की परिवर्तन, क्रिएटिव राइटर, हिमालयन साहित्य संस्कृति पर्यावरण मंच, कुल्लू की आथर्स गिल्ड, सुंदरनगर की सुकेत साहित्य परिषद, मंडी की बागर साहित्य मंडी, बिलासपुर का प्रेस क्लब, चंबा की इरावती साहित्य व कला मंच, सिरमौर कला मंच ऐसी अनेक संस्थाएं हैं जो वर्तमान में युवा वर्ग को साहित्य पठन एवं लेखन की ओर आकर्षित करने में सफल रही हैं।

ये संस्थाएं लेखन में रुचि रखने वाले युवाओं को सुलभ मंच तो प्रदान कर ही रही हैं, इसके साथ ही इनके लेखन में निखार और पैनापन लाने के लिए कार्यशालाएं आयोजित कर भगीरथी कार्य भी कर रही हैं। इन सब के होते ये कहना सही नहीं कि हिमाचली युवा वर्ग साहित्य से किनारा करता जा रहा है। यदि कहीं अपवाद है तो उसके पीछे कुछ कारण हो सकते हैं जैसे -साहित्यिक आयोजनों के स्थान मात्र शहरों तक ही सीमित हों जिससे ग्रामीण युवा लेखक ऐसे आयोजनों का लाभ न ले पा रहे हों। प्रदेश के नए लेखकों को लेखन की ओर मोड़ने के लिए आज जरूरत इस बात कि है कि सरकारी प्रयास नव लेखकों की तलाश कर उनके लिए विशेष लेखन कार्यशालाएं और प्रोत्साहन प्रस्तुतियां देने का मौका दिया जाए।


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