सिर्फ साहित्य जगत से जुड़े पाठक ही पढ़ रहे हिंदी किताबें, पीछे हट रहे युवा, अंग्रेजी भाषा को विशेष तवज्जो

By:  -कुल्लू से मोहर सिंह पुजारी की रिपोर्ट Sep 22nd, 2020 8:05 am

हिंदी भाषा को आज के दौर में केवल एक औपचारिक भाषा बन कर ही रह गई है। हालांकि हिंदी भाषा को लोग आम बोलचाल में बोलना बेहद पसंद करते हैं, लेकिन आज के युवाओं की बात करें, तो वे हिंदी के बजाय अंगे्रजी भाषा को विशेष तवज्जो देते हैं। हिंदी को केवल एक विषय समझा जाता है।

हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया गया और हिंदुस्तानी होने में गर्व किया जाता है, लेकिन हिंदी भाषा बोलने में अपमान महसूस किया जाता है। लोग कहते हैं हिंदी नहीं, अंग्रेजी सिखाएंगे और अंग्रेजी सीखेंगे तो कुछ बनकर दिखाएंगे। यही कारण है कि आज के दौर में हिंदी भाषा के लिए पाठकों का रूझान कम देखने को मिल रहा है। इसी को लेकर ‘दिव्य हिमाचल टीम’ ने हिमाचल प्रदेश के साहित्यकारों और पाठकों का हिंदी भाषा के प्रति किस तरह का रुझान है, को लेकर नब्ज उनकी टटोली है।

कुल्लू पुस्तकालय में जरूरत के अनुसार पुस्तकों का भंडार

कार्यालय संवाददाता — कुल्लू

जिला कुल्लू के साहित्यकारों से लेकर युवा पीढ़ी को आधुनिक सुविधा से लैस जिला पुस्तकालय कुल्लू सुकून भरा अहसास प्रदान कर रहा है। हालांकि प्रदेश के पुस्तकालयों में ज्यादातर अंग्रेजी भाषा में लिखी किताबों का भंडार है। वहीं जिला पुस्तकालय कुल्लू  अंग्रेजी का अनुवाद हिंदी में करने के लिए हर किसी पढ़े-लिखे युवा के कदम खींच रहा है। यहां हिंदी की पुस्तकें ज्यादा हैं। यहां साहित्य की किताबें मात्र साहित्य जगत से जुड़े लोग ही पढ़ रहे हैं। पुस्तकों का भंडार यहां स्थापित करने के लिए यहां के साहित्यकार, लेखकों से लेकर युवा पूर्व में यहां रहे उपायुक्त राकेश कंवर को याद करते हैं। 2010 से पहले की बात करें, तो यह पुस्कालय खंडहर में बदल रहा था, लेकिन उपायुक्त राकेश कंवर ने इसकी तस्वीर को बदल दिया।

आज यह पुस्तकालय मॉडल के रूप में विकसित हुआ है। आधुनिक सुविधाओं से लैस जिला पुस्तकालय का सेल्फ स्टडी सेक्शन युवाओं का भविष्य संवारने के लिए कारगर साबित हुआ है। हम यह बताना चाहते हैं कि साहित्यिक को यहां की युवा पीढ़ी बहुत कम पढ़ रही है, लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सेल्फ स्टडी ही कर रहे हैं। यहां पुस्तकालय में करीब एक हजार उर्दू किताबें भी हैं, जिन्हें पुराने सदस्य पढ़ने को ले जाते हैं। सेल्फ स्टडी सेक्शन में 150 को बैठने की सुविधा है। यहां कान्फ्रेंस हाल की सुविधा उपलब्ध हैं। युवा कवि एवं साहित्यकार इंदू भारद्वाज का कहना है कि पुस्तकालय में जरूरत अनुसार पुस्तकों का भंडार है। हिंदी साहित्य में युवाओं की कम रुचि है। हिंदी साहित्य में युवाओं की रुचि पैदा करने के लिए कुछ नए प्रयास करने की जरूरत है।

50 हजार किताबें

पुस्तकालय में 50 हजार  के करीब किताबें उपलब्ध हैं। इसमें कुल्लू के साथ-साथ प्रदेश के इतिहास की पुस्तकें हैं। जिला पुस्तकालय को इंटरनेट व वाई-फाई सुविधा से जोड़ा गया है। पुस्कालय में करीब 4500 सक्रिय सदस्य हैं। कुछ यहां से किताबें पढ़ने के लिए ले जाते हैं, जबकि 1500 युवा पुस्तकालय में पढ़ते हैं। वहीं करीब एक हजार अन्य लोग भी किताबें पढ़ने के लिए ले जाते हैं।

हर मांग पूरी करने का प्रयास

जिला पुस्तकालय में तैनात असिस्टेंट लाइब्रेरियन प्रेम चंद का कहना है कि पुस्तकालय में ज्यादातर सेल्फ स्टडी सेक्शन में युवाओं की संख्या रहती है, जहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां युवा करते हैं। पंजीकृत सदस्य पब्लिक लाइब्रेरी सेक्शन से भी किताबें पढ़ने के लिए ले जाते हैं, लेकिन लॉकडाउन से लेकर अब तक यहां पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है, पर कर्मी लाइब्रेरी में तैनात रहते हैं। यहां जिस पुस्तक की युवा या पंजीकृत सदस्य डिमांड करते हैं, उनकोें मुहैया करवाने का प्रयास किया जाता है।


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