Modi के बिलों से क्यों खफा है अन्नदाता

By: जीवन ऋषि Sep 27th, 2020 12:10 am

हाल ही में राज्यसभा में केंद्र सरकार ने खेती  से जुड़े दो बिल फार्मर्स एंड प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) बिल और फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस बिल ध्वनिमत से पास करा लिया…

एमएसपी की अहमियत

एमएसपी यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस का किसानों को उस समय फायदा पहुंचता है, जब मार्केट में कीमतें बेहद कम होती हैं। इस साल नौ सितंबर की स्थिति में रबी सीजन में गेहूं पर एमएसपी का लाभ लेने वाले 43.33 लाख किसान थे, यह पिछले साल के 35.57 लाख से करीब 22 प्रतिशत ज्यादा थे। पिछले पांच साल में एमएसपी का लाभ उठाने वाले गेहूं के किसानों की संख्या दोगुनी हुई है। 2016-17 में सरकार को एमएसपी पर गेहूं बेचने वाले किसानों की संख्या 20.46 लाख थी। खरीफ सीजन में एमएसपी पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या 2018-19 के 96.93 लाख के मुकाबले बढ़कर 1.24 करोड़ हो गई यानी 28 प्रतिशत ज्यादा।

सरकार के दावे

मोदी सरकार का दावा है कि नए कानून से किसानों को खुले बाजार में अपनी फसल बेचने का विकल्प मिलेगा। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किसानों को अपनी उपज की बेहतर कीमत मिलेगी। मंडी के बाहर जो ट्रेड होगा, उस पर कोई भी टैक्स नहीं देना होगा। मार्केट में सुधार होगा, प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, बाजार सुधरेगा किसान को वाजिब दाम मिलेगा। जब किसान को दो प्लेटफॉर्म मिलेंगे तो जहां ज्यादा दाम मिलेगा वह उसी को चुनेगा। यह बिल ओपन ट्रेड को खोल रहा है। इस बिल का एमएसपी से कोई लेना-देना नहीं है। जहां तक एमएसपी की बात है, तो कोई शंका नहीं होना चाहिए।

किसानों का डर

किसान संगठनों का आरोप है कि नए क़ानून के लागू होते ही कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुकसान किसानों को होगा। पंजाब में होने वाले गेहूं और चावल का सबसे बड़ा हिस्सा या तो पैदा ही एफ़सीआई द्वारा किया जाता है, या फिर एफ़सीआई उसे खरीदता है। किसानों को यह डर है कि एफसीआई अब राज्य की मंडियों से ख़रीद नहीं कर पाएगा, जिससे एजेंटों और आढ़तियों को  घाटा होगा।

मंडियां खत्म हो जाएंगी

कृषि मामलों के जानकार कहते हैं कि किसानों की चिंता जायज़ है। किसानों को अगर बाज़ार में अच्छा दाम मिल ही रहा होता तो वो बाहर क्यों जाते।  इसका सबसे बड़ा नुकसान आने वाले समय में ये होगा कि धीरे-धीरे मंडियां ख़त्म होने लगेंगी। यह बिल लाखों  मंडी मजदूरों के साथ-साथ भूमिहीन खेत मजदूरों के लिए भी यह बड़ा झटका साबित होगा।

हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफ़ा

इस बिल के लोकसभा में पास होने के बाद पंजाब की बड़ी नेत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देकर अपनी पार्टी शिरोमणि अकाली दल के कड़े रुख का संकेत दिया था। कौर का कहना है कि मैंने केंद्रीय मंत्री पद से किसान विरोधी अध्यादेशों और बिल के खिलाफ इस्तीफा दे दिया है। किसानों की बेटी और बहन के रूप में उनके साथ खड़े होने पर गर्व है।

हिमाचल में घमासान

भाजपा ने गिनाए फायदे कांग्रेस ने लगाई लताड़

केंद्र सरकार के किसानों पर लाए गए अध्यादेशों का कई जगह विरोध हो रहा है। हिमाचल में भी इसकी आंच पहुंच गई है। पेश है इस मसले पर हिमाचल के विपक्ष की  प्रतिक्रिया…

बंगाणा, शाहपुर, मतियाना

हाल ही में केंद्र की मोदी सरकार ने खेती को लेकर नए अध्यादेश पारित किए हैं। इस पर पूरे देश में घमासान मचा हुआ है। भाजपा से जुड़े लोग  जहां इन बिलों को किसानों के हक में बता रहे हैं, वहीं किसानों का एक  बड़ा वर्ग इनके खिलाफ हो गया है। इसके अलावा प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी इन बिलों को किसान विरोधी बता रहे हैं। हिमाचल में भी इन बिलों पर तीखी बहस का दौर है। इसी के चलते अपनी माटी टीम ने पंचायती राज मंत्री से जयराम सरकार का स्टैंड जाने का प्रयास किया। उन्होंने इन बिलों को किसानों के हक में बताया

बाइट वीरेंद्र कंवर, पंचायती राज मंत्री

अपनी माटी टीम ने किसान बहुल इलाके शाहपुर से कांग्रेस के प्रमुख नेता केवल पठानिया से बात की। पठानिया ने भाजपा के दावों को सिरे से खारिज करते हुए इन बिलों को किसानों का दुश्मन करार दिया।

बाइट केवल पठानिया, कांग्रेस नेता

दूसरी ओर राजीव गांधी पंचायती राज संगठन ने भी इन बिलों को खारिज किया है। संगठन के प्रदेश संयोजक  दीपक राठौर ने भाजपा को जमकर फटकार लगाई है।

रिपोर्ट कृष्णपाल शर्मा, विजय लगवाल, सुधीर शर्मा

किसानों का आलू से ब्रेकअप

बीज के रेट डबल होने से इस बार सैकड़ों ने छोड़ी बिजाई

इसे सिस्टम की नाकामी कहें या फिर किसानों की खराब किस्मत। इस बार कई किसानों ने आलू की फसल से मुंह मोड़ लिया है। देखिए किसानों का मायूस कर देने वाली  ऊना से स्टाफ रिपोर्टर की रिपोर्ट

ऊना में इस बार आलू का बीज  कम से कम  40 रुपए किलो तक बिका है। पिछले साल बीज के दाम 20 रुपए किलो तक थे। कांगड़ा में इस बीज के रेट 60 रुपए थे,जोकि पिछले साल के मुकाबले डबल रहे हैं। लगभग पूरे प्रदेश में ही आलू बीज के रेट इस बार डबल रहे हैं। नतीजा यह हुआ कि इस बार सैकड़ों किसानों ने आलू बीजा ही नहीं है। एक तरफ केंद्र और प्रदेश सरकारें आए रोज किसान हितैषी होने का दम भरती हैं, वहीं ग्राउंड पर सच्चाई बेहद कड़वी है। अपनी माटी को मिली सूचना के अनुसार बड़े व मध्यम किसानों ने कु छ हद तक बिजाई की भी है, लेकिन छोटे किसानों ने पूरी तरह बिजाई से तौबा कर ली है। अब हिमाचल की इकॉनामी पर इसका क्या असर होगा , यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा। हमने  लालसिंघी के बड़े किसान हितेश से बात की। हितेष  पहले वह 25 एकड़ में आलू लगाते थे, लेकिन अब 20 एकड़ ज़मीन में ही आलू की खेती कर रहे हैं। वहीं नगर परिषद ऊना के अध्यक्ष एवं जिला के अग्रणी किसान बाबा अमरजोत बेदी का कहना है कि पहले आलू की बिजाई के लिए 300 कट्टे खरीद करते थे, लेकिन इस बार केवल 150 कट्टे बीज ही खरीदा है, क्योंकि एमएसपी तय नही है। अगर रेट अच्छा नही मिला तो लॉस होगा।

मारकंडेय मंदिर में विकसित होगा हर्बल गार्डन

बिलासपुर। बिलासपुर जिला के सुप्रसिद्ध महर्षि मारकंडेय मंदिर में अब श्रद्धालुओं को पंचकर्म, प्राकृतिक चिकित्सा एवं आयुर्वेद पद्दति के माध्यम से उपचार की सुविधा भी उपलब्ध होगी। इस बाबत मंदिर आयुक्त एवं उपायुक्त राजेश्वर गोयल ने मंदिर न्यास की मीटिंग में सभी न्यासियों व अधिकारियों के समक्ष यह अहम सुझाव रखा है। इसके साथ ही वहां पर हर्बल गार्डन विकसित करने पर भी बल दिया है। शिमला-पठानकोट हाईवे से मारकंडेय मंदिर के लिए जाने वाली सड़क के मुख्य द्वार पर एक बड़ा साईन बोर्ड लगाया जाएगा जिससे श्रद्धालुओं को सहूलियत रहेगी।  उपायुक्त राजेश्वर गोयल ने बताया कि राज्य सरकार ने पर्यटन विभाग के माध्यम से 11 करोड़ रूपए का बजट खर्च कर मारकंडेय मंदिर को आकर्षण का मुख्य केंद्र बना दिया है।

मुर्गी पालकर लिखी कामयाबी की कहानी, हर महीने 25 हजार कमाई

सरकारी योजनाओं की समय पर जानकारी मिल जाए, तो लोगों को इनसे बड़ा फायदा हो सकता है। मंडी जिला के टीहरा में मुर्गी पालन के जरिए ग्रामीण अच्छी कमाई कर रहे हैं। देखिए यह रिपोर्ट

मंडी जिला में टीहरा पंचायत के तहत सकोहटा गांव में इन दिनों मुर्गीपालन फायदे का सौदा बन गया है। इस गांव में कई लोग कुकुट पालन योजना से जुड़े हुए हैं। पशुपालन विभाग द्वारा  अनुसूचित जाति वर्ग के बेरोजगारों को इस योजना के तहत  200 मुर्गी -मुर्गे फ्री दिए जाते हैं।  योजना इतनी फायदेमंद है कि कुछ समय के लिए विभाग लाभार्थियों को फीड भी मुहैया करवाता है।  जब ये मुर्गियां तैयार हो जाती हैं,तो फिर इनसे अच्छी कमाई होना शुरू हो जाती है। एक अनुमान के अनुसार इससे 25 हजार तक मासिक कमाई हो जाती है। अपनी माटी टीम ने सकोहटा गांव के  युवा किसान संतोष कुमार से बात की। संतोष ने बताया कि विभाग ने उन्हें  200 कुकुट दिए थे,जो अब बिकने  के लिए तैयार हैं। प्रदेश में संतोष जैसे सैकड़ों युवा हैं,जिन्होंने इस योजना को अपनी कमाई का सहारा बना लिया है।

 इस योजना के बारे में  पशु चिकित्सालय टीहरा के  प्रभारी डॉ अनिल ठाकुर ने बताया कि किसानों को  पोल्ट्री फार्म चौंतड़ा में 3 दिन का इस प्रशिक्षण भी दिलाया गया है। बहरहाल अगर पूरे प्रदेश के  युवाओं तक ऐसी योजनाएं पहुंचे ,तो  उन्हें अपनी मेहनत के दम पर कमाई करने का अवसर मिलेगा।

   टीहरा से  निजी संवाददाता की रिपोर्ट

कुल्लू में अनार ने मचाया धमाल, बागबान मालामाल

फल मंडियों में कुल्लवी अनार ने धूम मचा दी है। कुछ दिन पहले तक मंडियों में अनार 50 रुपए किलो तक बिक रहा था,जो अब 120 रुपए किलो तक जा पहुंचा है। ऐसे में बागबानों के चेहरे खिल गए हैं। बागबानों को उम्मीद है कि कोविड और सरकार की लचर नीतियों से हो रहे नुकसान की भरपाई कुछ हद तक अनार कर देगा। गौर रहे कि जिला की रूपी घाटी का अनार लोगों द्वारा खूब पसंद किया जाता है। अपनी माटी टीम को मिली सूचना के अनुसार  भुंतर सब्जी मंडी में कंधारी और मृदुला किस्मों का आवक तेज होने लगी है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि प्रोडक् शन कम होने से भी दामों में इजाफा हुआ है। कुछ बागबानों ने बताया कि कोरोना काल और इससे पहले विभाग व सरकार की लचर नीतियों के चलते उन्हें भारी नुकसान हुआ था। ऐसे में वे उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में उनका घाटा कुछ हद तक पूरा हो जाएगा।

काम की खबर…रेशम और मछली पालने का मौका

किसान-उत्पादक संगठनों का निर्माण एवं उन्नयन योजना के अंतर्गत बिलासपुर जिला के प्रत्येक खण्ड में दो समूह स्थापित किए जाएंगे। यह जानकारी उपायुक्त एवं अध्यक्ष जिला स्तरीय निगरानी समिति राजेश्वर गोयल ने बैठक में योजना के क्रियान्वयन के लिए गठित समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। उन्होंने बताया कि इस योजना के अंतर्गत जिला में जिमीकंद, रेशम पालन व मछली उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि किसान के उत्पादों को विशेष पहचान दिलाने एवं इनके विपणन की समुचित व्यवस्था करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की ओर से किसान उत्पादक संगठनों का निर्माण एवं उन्नयन योजना तैयार की गई है। इस योजना के अंतर्गत पूरे देश में खण्ड स्तर पर 10 हजार किसान उत्पादक संगठन बनाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि यह संगठन प्रत्येक जिला में वहां की विशेष पहचान की संभावना वाली फसलों का उत्पादन करेंगे। उन्होंने  संबंधित अधिकारियों से आग्रह किया कि इस योजना बारे अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करें। बिलासपुर के जिलाधीश राजेश्वर गोयल ने बताया कि बिलासपुर में प्रारंभिक तौर पर चिन्हित कलस्टर में जिमीकंद, रेशम पालन और मछली उत्पादन को इस योजना के अंतर्गत लाया जाएगा। बिलासपुर से दिव्य हिमाचल ब्यूरो की रिपोर्ट

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