दशहरा मैदान में पहुंचे देवता श्रीनारायण

By: कार्यालय संवाददाता-कुल्लू Oct 30th, 2020 12:29 am

दशहरा उत्सव में भगवान रघुनाथ जी के चौकीदार हैं देवता श्रीनारायण, पांच सिद्ध देवी-देवताओं में सबसे छोटे हैं देव

देवभूमि कुल्लू की परंपरा अनूठी, अद्भुत  और अलग सी है। यहां के देवी-देवता कैसे भगवान रघुनाथ जी की चाकरी करते हुए सात  दिनों चौकीदार के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं, यह आज के समय में भी विश्व पटल में प्रसिद्ध देव समागमन कुल्लू दशहरा में देखने को मिलता है। प्राचीनकाल से लेकर जहां देवी-देवता दशहरा उत्सव की परंपरा को संपूर्ण करने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। वहीं, इनके कारकून और हारियान भी अपने आराध्य के सान्निध्य में चाकरी को पूरे देव विधि विधान अनुसार निभाते हैं। दशहरा उत्सव में देवता भी चौकीदार बनते हैं, यह नजारा भी काफी आकर्षण का केंद्र है। इस बार भी देवता श्रीनारायण बिन बुलाए ही महाराज की चाकरी करने के लिए पहुंचे और प्राचीन रीति-रिवाज अनुसार ही भगवान रघुनाथ जी के एक तरफ अपनी जगह में विराजमान होकर चौकीदार (पहरेदार) की भूमिका निभा रहे हैं। देवता अपने हारियानों को साथ लेकर अठारह करडू की सौह ढालपुर पहुंचे हैं।

कारकूनों के अनुसार देवता के हारियान देवता से अर्ज कर रहे थे कि देवता इस बार उत्सव में प्रशासन और सरकार ने नहीं बुलाया, ऐसे में उत्सव में नहीं जाना है, लेकिन देवता ने अपने हारियानों को सख्त आदेश दिया कि मैने महाराज के इस उत्सव में जाना है और चल पड़ो। फिर देवता के आदेश पर हारियान और कारकून किसी भी तरह की मनाही नहीं कर पाए और देवता दशहरा उत्सव की रथ यात्रा संपन्न होने के बाद देर शाम को रथ में विराजमान होकर ढालपुर पहुंचे। पिछले पांच दिनों से देवता रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर के बाहर एक तरफ विराजमान हैं और पहरेदार की भूमिका निभा रहे हैं।  सबसे पहले भगवान रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर में जाने से पहले श्रद्धालुओं मेहा गांव के देवता श्रीनारायण के दर्शन करने को मिलते हैं। देवता के पुजारी हरीश ने बताया कि श्रीनारायण देवता प्राचीन समय से कुल्लू दशहरा में आते हैं। यहां पर रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर के बाहर सात दिनों तक पहरेदार (चौकीदार) की भूमिका निभाते हैं।

भूत-प्रेत भगाने के लिए विख्यात हैं देवता

पांच सिद्ध में हरिनारायण, हुरंगनारायण, ज्वाला माता, विष्णु नारायण और श्रीनारायण देवी-देवता हैं।  देवता के पुजारी हरीश ने बताया कि पांच सिद्ध देवी-देवता में सबसे छोटे देवता मेहा के श्री नारायण हैं। उनका कहना है कि भूत-प्रेत को भगाने में देवता विख्यात हैं। यही नहीं, देवता के दर जो सच्ची श्रद्धा और भक्ति से श्रद्धालु आता है, उसे संतान प्राप्ति भी मिलती है। देवता सबसे पहले बजंतरी को कोदरा अनाज की निराई करते हुए प्रकट हुआ था। देवता का मोहरा निराई के दौरान छोटी कुदाली में फंस गया था। इसके बाद  घास के गिल्टे में भरकर घर लाया था और देवता ने नारायण रूप बताया।  इसके बाद देवता ने गांव में मानस की संख्या बढ़ाया और आज पांच गांव के लोग देवता को मानते हैं, जिसमें मेहा, भूजणू, गुआण, रोपा, भाट मेहा आदि शामिल हैं। देवता के मुख्य त्योहार फागली, शाउणी जाच (ठडोर) आदि मुख्य त्योहार है। उनका कहना है कि देवता इस त्योहारों में जो श्रद्धालु देवता के दर पहुंचते हैं, उन्हें आवश्य वरदान मिलता है।


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