इनोवेशन में बढ़ती ऊंचाई लाभप्रद: डा. जयंतीलाल भंडारी, विख्यात अर्थशास्त्री

By: डा. जयंतीलाल भंडारी, विख्यात अर्थशास्त्री Oct 19th, 2020 12:06 am

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री

निःसंदेह अभी हमें ब्लूमबर्ग की इनोवेशन रैंकिंग के तहत तीसरी श्रेणी में स्थान पाने और जीआईआई में 48वें पायदान पर पहुंच जाने के वर्तमान स्तर से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। अभी नवाचार के कई क्षेत्रों में व्यापक सुधार की जरूरत है। हमारे पास शोध एवं विकास में वैश्विक ऊंचाई प्राप्त करने की भारी क्षमताएं हैं। हमें शोध एवं नवाचार में अपनी स्थिति और मजबूत करनी होगी। ऐसा करने पर ही आगामी वर्ष 2021 में ब्लूमबर्ग के नए वर्गीकरण तथा जीआईआई की नई नवाचार सूची में भारत की रैंकिंग और ऊंचाई पर होगी…

हाल ही में ब्लूमबर्ग के द्वारा प्रकाशित की गई रिपोर्ट में दुनिया के 135 देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नवाचार (इनोवेशन) के आधार पर जिन पांच श्रेणियों में विभाजित किया गया है, उनके तहत भारत तीसरी श्रेणी के देशों में शामिल किया गया है। वैश्विक इनोवेशन रैंकिंग का यह वर्णीकरण संस्थाओं की गुणवत्ता, आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजनेस क्लाइमेट एवं मानव संसाधन के आधार पर किया गया है। उल्लेखनीय है कि विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा जारी वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स-जीआईआई) 2020 में भारत चार पायदान ऊपर चढ़कर 48वें स्थान पर पहुंच गया है और भारत ने शीर्ष 50 में अपनी जगह बना ली है। भारत पिछले वर्ष 2019 में इस इंडेक्स में 52वें पायदान पर था और 2015 में 81वें स्थान पर था। जीआईआई इंडेक्स में स्विट्जरलैंड, स्वीडन, अमरीका, ब्रिटेन और नीदरलैंड शीर्ष क्रम वाले देश हैं। ज्ञातव्य है कि भारत लगातार 10 साल से वैश्विक नवाचार क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने वाला देश है। नए वैश्विक ग्लोबल इंडेक्स के तहत भारत में कारोबारी विशेषज्ञता, रचनात्मकता, राजनीतिक और संचालन से जुड़ी स्थिरता, सरकार की प्रभावशीलता और दिवालियापन की समस्या को हल करने में आसानी जैसे संकेतकों में अच्छे सुधार किए हैं। साथ ही भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था, घरेलू कारोबार में सरलता, स्टार्टअप, विदेशी निवेश जैसे मानकों में भी बड़ा सुधार दिखाई दिया है। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि कोविड-19 ने सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति के लिए शोध एवं तकनीकी विकास के महत्त्व को बहुत तेजी से आगे बढ़ाया है।

कोविड-19 के मद्देनजर लॉकडाउन के कारण विभिन्न तकनीकी रुझानों में अप्रत्याशित तेजी आई है। दुनियाभर में उद्योग-कारोबार, शिक्षा, स्वास्थ्य, टेली मेडिसिन एवं मनोरंजन के मामलों में डिजिटलीकरण तेजी से आगे बढ़ा है। तकनीक के जुड़े नए-नए कारोबारी मॉडल आगे बढ़े हैं। एक ऐसे समय में जब कोरोना महामारी के कारण दुनियाभर में शोध एवं नवाचार गतिविधियों को मजबूती मिली है, ऐसे में नवाचार में भारत का आगे बढ़ना सुकूनभरा परिदृश्य है। वस्तुतः जीआईआई ऐसा वैश्विक सूचकांक है जिस पर पूरी दुनिया के उद्योग-कारोबार की निगाहें लगी होती हैं। जीआईआई के कारण विभिन्न देशों को सार्वजनिक नीति बनाने से लेकर उत्पादकता में सुधार और नौकरियों में वृद्धि में सहायता मिलती है। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि भारत में लगातार नवाचार बढ़ने से अमरीका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय आईटी प्रतिभाओं के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत में अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर (जीआईसी) तेजी से बढ़ाते हुए दिखाई दे रही हैं। इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध और विकास को बढ़ावा देने के लिए लागत और प्रतिभा के अलावा नई प्रोद्यौगिकी पर इनोवेशन और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते भी वैश्विक कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं। यह उभरकर दिखाई दे रहा है कि भारत में ख्याति प्राप्त वैश्विक फाइनेंस और कॉमर्स कंपनियां अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं।

इतना ही नहीं, भारत से कई विकसित और विकासशील देशों के लिए कई काम बड़े पैमाने पर आउटसोर्सिंग पर हो रहे हैं। भारत के बड़े शहरों में स्थित वैश्विक फाइनेंशियल फर्मों के दफ्तर ग्लोबल सुविधाओं से सुसज्जित हैं। इन वैश्विक फर्मों में बड़े पैमाने पर प्रतिभाशाली भारतीय युवाओं की नियुक्तियां हो रही हैं। यह माना जा रहा है कि प्रतिभाशाली आईटी पेशेवरों के कारण भारत में शोध व विकास की अपार संभावनाएं हैं। यदि हम चाहते हैं कि भारत कोविड-19 की चुनौतियों के बीच अपनी नवाचार की बढ़ती हुई शक्ति से देश और दुनिया में उभरते हुए आर्थिक मौकों को अपनी मुट्ठियों में कर ले तो हमें कई बातों पर ध्यान देना होगा। हमारे द्वारा नवाचार में आगे बढ़ने के लिए रिसर्च एंड डिवेलपमेंट (आर एंड डी) पर खर्च बढ़ाया जाना होगा। भारत में आर एंड डी पर खर्च की राशि जीडीपी के एक फीसदी से भी कम करीब 0.7 फीसदी के लगभग ही है। आर एंड डी खर्च की दृष्टि से इजरायल, दक्षिण कोरिया, अमरीका, चीन और जापान जैसे देश भारत से बहुत आगे हैं। इतना ही नहीं, भारत में आर एंड डी पर जितनी राशि खर्च होती है उसमें इंडस्ट्री का योगदान काफी कम है जबकि अमरीका, इजरायल, चीन सहित विभिन्न देशों में यह काफी अधिक है।

आर एंड डी पर पर्याप्त निवेश के अभाव के चलते भारतीय प्रोडक्ट्स ग्लोबल ट्रेड में तेजी से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। चूंकि सरकार के पास शोध व्यय बढ़ाने के लिए संसाधन नहीं हैं, ऐसे में भारतीय कंपनियों को आगे आना होगा। हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि हमारे देश की प्रतिभाओं के साथ-साथ कोविड-19 के कारण घर लौटती भारतीय प्रतिभाओं की मदद शोध एवं नवाचार में ली जाए। चीन ने बीते तीन-चार दशकों में विदेशों से चीन लौटे चीनी छात्रों की मदद से नवाचार मजबूत किया है। हमें भारतीय उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाने वाले आर्थिक सुधारों को गतिशील करना होगा। अर्थव्यवस्था को डिजिटल करने की रफ्तार तेज करनी होगी। अब देश की अर्थव्यवस्था को ऊंचाई देने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान को कार्यान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ाना होगा। हमें अपनी बुनियादी संरचना में व्याप्त अकुशलता एवं भ्रष्टाचार पर नियंत्रण कर अपने प्रोडक्ट की उत्पादन लागत कम करनी होगी। भारतीय उद्योगों को वैश्विक स्तर पर ऊंचाई देने के लिए उद्योगों को नए आविष्कारों, खोज से परिचित कराने के मद्देनजर सीएसआईआर, डीआरडीओ और इसरो जैसे शीर्ष संस्थानों की भूमिका को महत्त्वपूर्ण बनाना होगा। निःसंदेह कारोबारी सुगमता और प्रतिस्पर्धा के पैमाने पर आगे बढ़ने के लिए सरकारी क्षमताओं का अधिक उपयोग किया जाना होगा।

निःसंदेह अभी हमें ब्लूमबर्ग की इनोवेशन रैंकिंग के तहत तीसरी श्रेणी में स्थान पाने और जीआईआई में 48वें पायदान पर पहुंच जाने के वर्तमान स्तर से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। अभी नवाचार के कई क्षेत्रों में व्यापक सुधार की जरूरत है। हमारे पास शोध एवं विकास में वैश्विक ऊंचाई प्राप्त करने की भारी क्षमताएं हैं। हमें शोध एवं नवाचार में अपनी स्थिति और मजबूत करनी होगी। ऐसा करने पर ही आगामी वर्ष 2021 में ब्लूमबर्ग के नए वर्गीकरण तथा जीआईआई की नई नवाचार सूची में भारत की रैंकिंग और ऊंचाई पर होगी। जीआईआई रैंकिंग में भारत के ऊंचाई पर पहुंचने से भारत में विदेशी निवेश बढ़ेगा, भारत में वैश्विक कंपनियों का प्रवाह बढ़ेगा तथा भारतीय उद्योग कारोबार सहित पूरी अर्थव्यवस्था लाभान्वित होगी।


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