नया मोटर वाहन कानून समय की जरूरत: सुखदेव सिंह, लेखक नूरपुर से हैं

By: सुखदेव सिंह, लेखक नूरपुर से हैं Oct 30th, 2020 12:07 am

सुखदेव सिंह

लेखक नूरपुर से हैं

पुलिस नाममात्र रिपोर्ट दर्ज करके वाहन चालक के खिलाफ  कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करती है जिसका नतीजा है कि सरकारी संपत्ति नष्ट की जाती है। वाहन चालक भली-भांति जानते हैं कि सड़क हादसों में उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हो सकती, इसलिए वे लापरवाही से वाहनों को दौड़ाते जा रहे हैं। सड़क हादसों में मरने वालों को वाहन चालकों से डेथ पेनल्टी दिलाए जाने का कानून बनाए जाने की पहल करनी होगी। इससे वाहन चालकों की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी…

लापरवाही से वाहन दौड़ाने वाले अब संभल जाएं। प्रदेश सरकार जल्द ही नवीन मोटर वाहन अधिनियम लागू करने जा रही है। देवभूमि में बढ़ते सड़क हादसों पर रोकथाम लगाए जाने को लेकर ऐसा सख्त कानून लागू किया जाना अब समय की जरूरत बन चुका है। नाबालिग लड़के बिना हेलमेट, ट्रिपल मोटर साइकिल की सवारी करके सड़क दुर्घटनाओं में कई मारे जा चुके हैं। सीट बैल्ट पहनकर गाड़ी चलाने की वाहन चालकों को आदत नहीं रही है। चार पहिया वाहन चालक ही अगर सीट बैल्ट नहीं पहनता तो साथ बैठे अन्य लोगों के पहनने का सवाल कहां उठता है? शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले वाहन चालक भी कम नहीं हैं। बड़े वाहन सुरक्षा को दरकिनार करके सड़कों पर धड़ल्ले से चलने की अनुमति प्रशासन देते जा रहे हैं। खस्ताहाल वाहनों को आपसी मिलीभगत से पासिंग किए जाने का ही नतीजा है कि स्कूलों की बसें सड़क हादसों में कई घरों के चिराग बुझा गईं। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि कुछेक लोगों के पास फर्जी लाइसेंस भी मौजूद हैं। चालान के बढ़े हुए दामों को लेकर बेशक सरकारों का सोशल मीडिया पर मजाक बनाया जा रहा है, मगर आम जनमानस को यह बात भली-भांति याद रखनी होगी कि यह उनकी खुद की सुरक्षा का भी सवाल है। अपनी गलतियों पर हंसने की आदत इनसान को खुद छोड़नी होगी।

 अगर हर इनसान यातायात नियमों की सही पालना करेगा तो पुलिस क्या बिना वजह भी किसी का चालान काट सकती है, शायद नहीं। अपनी लापरवाही पर सरकारों का उपहास उड़ाना कहीं न कहीं गलत बात लगता है। मोटर वाहनों की तादाद आजकल के दौर में अत्यधिक बढ़ रही है। आधुनिक तकनीक से युक्त नए मॉडल की गाडि़यां अपने पास रखना लोगों की आदत बन चुकी है। बैंकों से कर्ज लेकर महंगी गाडि़यों में रोजमर्रा सफर करना लोगों का शौक बन चुका है। एक ही घर में मोटर साइकिल, स्कूटर, एक्टिवा और चार पहिया वाहन लोगों ने खड़े किए हुए हैं। ऐसे वाहनों को सड़कों पर दौड़ाने के लिए पेट्रोल, डीजल की जरूरत होती है। पेट्रोल और डीजल के कुएं अपने देश में न होकर यह बाहरी मुल्कों से खरीदने पड़ते हैं। ऐसे में बढ़ते-घटते पेट्रोल-डीजल दामों के लिए भी सरकारों को कोसना नासमझी ही कहलाता है। जरूरतें जब हमने हद से ज्यादा बढ़ाइर्ं तो उसका सीधा विपरीत असर हमारे घरेलू बजट पर पड़ता है। जनसंख्या अनुसार पुलिस थानों में पुलिस कर्मचारियों की तैनाती उतनी नहीं है। अत्यधिक एरिया होने की वजह से पुलिस को थानों में ही काम निपटाना मुश्किल काम बन रहा है। सड़कों पर हर जगह ट्रैफिक पुलिस कर्मचारी वाहन चालकों को रोककर नसीहत देते फिरें, यह भी नामुमकिन है। लोगों को सभ्य इनसानों का परिचय देते हुए मोटर वाहन अधिनियमों की पालना करते हुए अपनी जान की कीमत को आखिर समझना ही होगा। प्रदेश सरकार को अब सड़कों की मालिया हालत सुधारने की भी अधिक जरूरत रहेगी। खराब सड़कों की वजह से रोजाना खटारा बन रहे वाहनों की जिम्मेदारी भी सरकारों के ऊपर होनी चाहिए। वाहन मालिक वाहन की खरीददारी के समय टैक्स भरकर सरकार का राजस्व बढ़ाने में उसकी मदद करते आ रहे हैं।

इंश्योरेंस पॉलिसी सही न होने की वजह से वाहन मालिकों को हमेशा नुकसान ही उठाना पड़ता है। सरकार को अधिकृत मोटर वाहन गैरेज खोले जाने की पहल करनी होगी। सड़क दुर्घटना में क्षतिग्रस्त होने वाले वाहनों की पुलिस रिपोर्ट लाजिमी दर्ज होनी चाहिए। पुलिस की ओर से सड़क हादसों में लापरवाही बरतने बाले वाहन चालकों को जुर्माने का बाकायदा एक पेपर जारी करना चाहिए। पुलिस रिपोर्ट का पेपर दो तरह का होना जरूरी है, एक जुर्माने वाला और दूसरा साधारण हो। तदोपरांत पुलिस रिपोर्ट का यही पेपर वाहन चालक को इंश्योरेंस कंपनी के पास जमा करवाने के बाद ही ऐसी गाडि़यों की मरम्मत होनी चाहिए। इंश्योरेंस कंपनियों को ऐसी गाडि़यों की मरम्मत के लिए गैरेज मालिकों को कोटेशन भेजने की व्यवस्था बनानी होगी। कोटेशन पास होने की सूरत में ही ऐसी दुर्घटनाग्रस्त गाडि़यों की रिपेयर की जानी चाहिए। लोग अपनी मनमर्जी से ही गाडि़यों की खरीद-फरोख्त करके यातायात नियमों की अवहेलना करके कानून की खिल्ली उड़ा रहे हैं। आजकल चोरी की गाडि़यां इधर-उधर बेचे जाने का गोरखधंधा काफी जोरों पर  चल रहा है, तो फिर पुलिस किस तरह ऐसे गिरोह को दबोच सकती है। बाहरी राज्यों के वाहन पहाड़ में अवैध रूप से बेचे जा रहे हैं और प्रशासन बेखबर बना हुआ है। जनता से जायज राजस्व वसूल करना किसी भी सरकार का अधिकार होता है। सरकार इसी पैसे से सड़कों, पुलों और पुलियों का निर्माण करती है। सड़क दुर्घटनाओं में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले चालकों से ही उसकी भरपाई की जानी होगी। अक्सर ऐसे सड़क हादसों में सड़कों का उखड़ना, बिजली तारों और खंभों, पुलियों का टूटना आम बात होती है।

पुलिस नाममात्र रिपोर्ट दर्ज करके वाहन चालक के खिलाफ  कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करती है जिसका नतीजा है कि सरकारी संपत्ति नष्ट की जाती है। वाहन चालक भली-भांति जानते हैं कि सड़क हादसों में उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हो सकती, इसलिए वे लापरवाही से वाहनों को दौड़ाते जा रहे हैं। सड़क हादसों में मरने वालों को वाहन चालकों से डेथ पेनल्टी दिलाए जाने का कानून बनाए जाने की पहल करनी होगी। ऐसा कानून लागू होने से वाहन चालकों की जिम्मेदारी कहीं अधिक बढ़ जाएगी। विदेशों में मोटर वाहन अधिनियम बहुत ही सख्त होने की वजह से वाहन चालक सदैव सतर्कता बरतते हुए चलते हैं। गाड़ी चलाते स्मार्ट मोबाइल फोन सुनना, रेड सिग्नल क्रॉस करना, स्पीड लिमिट लांघना, खस्ताहाल वाहन सड़कों पर दौड़ाने की एवज में भारी-भरकम चालान वसूला जाता है। मगर बशर्ते वहां सड़कों की दशा बेहतरीन होती है और जनता सभ्य होने का प्रमाण भी देती है। नए मोटर वाहन अधिनियम का विरोध किए जाने की बजाय सबको यातायात नियमों का पालन करने की आदत बनानी होगी।


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