पेपर लीक रोकने को कड़े नियम बनाएं: सुखदेव सिंह, लेखक नूरपुर से हैं

By: सुखदेव सिंह, लेखक नूरपुर से हैं Oct 21st, 2020 12:07 am

ऐसी परीक्षाओं के पेपर लीक होकर प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हों, इससे बचने के लिए जरूरत आज कड़े नियम लागू करने की है। परीक्षा के दौरान परीक्षार्थी और परीक्षा केंद्र स्टाफ  के पास स्मार्ट मोबाइल फोन रखने पर पूर्णतया पाबंदी लगाई जाए। इसके अलावा प्रश्न पत्र अलग-अलग किस्म के तैयार किए जाने चाहिएं। साथ ही ऐसी परीक्षाओं के लिए छात्रों से लिया जाने वाला शुल्क भी माफ  होना चाहिए। कंडक्टर भर्ती परीक्षा में पेपर लीक का मामला सामने आने से रोजगार की तलाश में जुटे लाखों नौजवानों का भविष्य अब संकट में है। अगर यह परीक्षा रद हो जाती है तो इससे उन युवकों को दुख होगा जिन्होंने इस परीक्षा के लिए दिन-रात मेहनत करके पूरी तैयारी की थी…

बस कंडक्टर भर्ती परीक्षा का पेपर सच में लीक हुआ या जानबूझकर ऐसा करवाया गया, यह आज सबसे बड़ा सवाल है। कर्मचारी चयन आयोग के पास अगर उपयुक्त इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं तो अत्यधिक आवेदन स्वीकार किए जाने से परहेज किया जाना चाहिए। कंडक्टर भर्ती परीक्षा का पेपर पूर्व कांग्रेस सरकार के समय भी लीक हुआ था और इससे हजारों छात्रों की भावनाओं को ठेस पहुंची थी। अभी हाल ही में पटवारी भर्ती परीक्षा में भी ठीक इसी तरह बरती गई लापरवाही से कोई सीख नहीं ली गई। रविवार 18 अक्तूबर को प्रदेश भर के 304 परीक्षा केंद्रों में 568 कंडक्टर पदों के लिए करीब 60 हजार छात्रों ने रोजगार से जुड़ने का सपना संजोया था। मगर शिमला स्थित एक निजी शिक्षण संस्थान में हो रही बस कंडक्टर भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो जाने से प्रदेशभर के हजारों युवाओं का भविष्य अधर में लटक कर रह गया है। परीक्षा केंद्र संचालकों की लापरवाही की वजह से एक परीक्षार्थी ने अपने मोबाइल फोन से पेपर लीक करके बवाल खड़ा कर दिया है। परीक्षाओं में अगर परीक्षार्थी स्मार्ट मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो परीक्षा संचालकों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना स्वाभाविक है। इस पूरे प्रकरण में कर्मचारी चयन आयोग की कार्यप्रणाली पर भी कई सवाल उठे हैं।

सवाल है कि परीक्षा शुरू होने से पहले परीक्षार्थियों से मोबाइल फोन केंद्र के बाहर क्यों नहीं रखवाया गया? स्कूल-कालेजों की परीक्षाओं में भी ठीक ऐसे ही कुछेक छात्र मोबाइल फोन का इस तरह दुरुपयोग कर रहे हैं। कंडक्टर भर्ती परीक्षा का पेपर लीक करने वाले छात्र सहित उन सभी लोगों के खिलाफ  कड़ी कार्रवाई किए जाने की जरूरत है जिनकी वजह से प्रश्नपत्र लीक हुआ है। हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी का आंकड़ा क्या हो सकता है, इसका अंदाजा कंडक्टर भर्ती परीक्षा में उमड़ी हजारों की फौज से लगाया जा सकता है। कोरोना वायरस की वजह से रोजगार से जुड़ना अब आम आदमी की अहम जरूरत बन चुका है। बेरोजगार युवा तंग आकर आत्महत्या तक कर रहे हैं। शिक्षित बेरोजगार युवा सदैव इसी ताक में रहते हैं कि आखिर कब सरकारें नौकरियों का पिटारा खोलेंगी। आखिरकार सरकारें नौकरी से संबंधित अधिसूचना जारी करके बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोड़ने का ड्रामा रच देती हैं।

 रोजगार के आवेदन सहित भारी-भरकम एग्जाम फीस भी सरकारी खजाने में जमा करनी पड़ती है। नाममात्र पदों के लिए ही उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले युवा भी आखिर यह मौका नहीं गंवाना चाहते हैं। सरकारें युवाओं से हजारों आवेदन स्वीकार करके अपने राजस्व को बढ़ाने में कामयाब होती हैं। बदले में परीक्षार्थियों को मिलती रही सिर्फ  मानसिक प्रताड़नाएं। पटवारी भर्ती परीक्षा का परिणाम लटककर अब न्यायालय के पास लंबित पड़ा हुआ है। अब कंडक्टर भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो जाने की वजह से यह परीक्षा रद हो जाती है तो हजारों छात्रों की आशाओं पर पानी फिर जाएगा। इस परीक्षा को लेकर छात्रों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कर्मचारी चयन आयोग मान चुका है कि छात्र ने अपने मोबाइल फोन से भले ही यह पेपर लीक किया, मगर इसका दुरुपयोग नहीं हुआ है। पेपर लीक हो जाना तमाम सिस्टम की नाकामी का नतीजा है जिसका खामियाजा सिर्फ  युवाओं को भुगतना पड़ता है। विपक्ष सत्तापक्ष की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है और मजबूरन सरकार को ऐसे पेपर रद करने पड़ते हैं। पेपर रद होने से गुस्साए छात्र अक्सर न्यायालय से न्याय पाने की गुहार लगाते हैं। वर्षों से ऐसे मामलों की सुनवाई न्यायालयों में चल रही है, मगर छात्रों को न्याय मिलना आसान काम नहीं होता है। शायद सरकारों की मंशा भी यही रहती है कि युवा इसी तरह न्यायालयों के चक्कर काटते रहें और वह अपना राजस्व बढ़ाने में कामयाब रहे। अगर परीक्षाओं में समय रहते सतर्कता बरती जाए तो पेपर लीक होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। पेपर लीक मामले में उस परीक्षा केंद्र का स्टाफ  पूर्णतया जिम्मेदार है जिनकी लापरवाही की वजह से ऐसा हुआ है।

ऐसी परीक्षाओं के पेपर लीक होकर प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हों, इससे बचने के लिए जरूरत आज कड़े नियम लागू करने की है। परीक्षा के दौरान परीक्षार्थी और परीक्षा केंद्र स्टाफ  के पास स्मार्ट मोबाइल फोन रखने पर पूर्णतया पाबंदी लगाई जाए। इसके अलावा प्रश्न पत्र अलग-अलग किस्म के तैयार किए जाने चाहिएं। साथ ही ऐसी परीक्षाओं के लिए छात्रों से लिया जाने वाला शुल्क भी माफ  होना चाहिए। कंडक्टर भर्ती परीक्षा में पेपर लीक का मामला सामने आने से रोजगार की तलाश में जुटे लाखों नौजवानों का भविष्य अब संकट में है। अगर यह परीक्षा रद हो जाती है तो इससे उन युवकों को दुख होगा जिन्होंने इस परीक्षा के लिए दिन-रात मेहनत करके पूरी तैयारी की थी। पेपर रद हो जाने की स्थिति में उन्हें फिर से तैयारी करनी होगी जिसके कारण उन्हें मानसिक परेशानी भी होगी। भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सरकार को कड़े से कड़े नियम बनाने चाहिए। परीक्षा केंद्र में प्रवेश से पहले अभ्यर्थियों की चैकिंग होनी चाहिए ताकि वे नकल में सहायक सामग्री को परीक्षा केंद्र के अंदर न ले जा सकें। साथ ही इस तरह के घोटालों में संलिप्त लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। परीक्षार्थियों में यह समझ भी पैदा की जानी चाहिए कि वे इस तरह परीक्षा पास करके सफलता की ज्यादा सीढि़यां नहीं चढ़ सकते।


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