बच्चों के साथ खूब खेलती थीं शहनाज

By: जीवन एक वसंत/शहनाज हुसैन Nov 28th, 2020 12:20 am

किस्त-54

सौंदर्य के क्षेत्र में शहनाज हुसैन एक बड़ी शख्सियत हैं। सौंदर्य के भीतर उनके जीवन संघर्ष की एक लंबी गाथा है। हर किसी के लिए प्रेरणा का काम करने वाला उनका जीवन-वृत्त वास्तव में खुद को संवारने की यात्रा सरीखा भी है। शहनाज हुसैन की बेटी नीलोफर करीमबॉय ने अपनी मां को समर्पित करते हुए जो किताब ‘शहनाज हुसैन ः एक खूबसूरत जिंदगी’ में लिखा है, उसे हम यहां शृंखलाबद्ध कर रहे हैं। पेश है 54वीं किस्त…

-गतांग से आगे…

मेरी खुशनुमा यादों में मां एक स्ट्रेच पेंट और छोटी बांह का टॉप पहनकर वन टू चा चा चा पर डांस करती नजर आती हैं। मेरे एक अंकल, जो कमाल का डांस करते थे, उन्हें डांस सीखा रहे थे।

‘गिटार के दौर’ के दौरान ढंका हुआ बरामदा मेरे पापा का म्यूजिक रूम बन जाया करता था। सुरों के तार छेड़ते हुए, गर्मियों की शामों में वह काफी देर तक सीढि़यों पर बैठे रहते, और छत पर लगा पंखा अपनी रफ्तार से घूमता रहता। मैं मंत्रमुध हो उन्हें यूं ही तकती रहती। बिना बांह का कॉटन कुर्ता और सलवार पहने हुए मॉम का दमकता चेहरा मेरी सुनहरी यादों की घरोहर है। लंबे बालों की उनकी ढीली गुथी हुई चोटी एक ओर पड़ी रहती थी।

 मेरी यादों में वह खूब प्यार करने वालीं और बच्चों के साथ खेल में लगी रहने वाली मां हैं, जो पारंपरिक मांओं की तरह न होने के बावजूद हमारी परवरिश में बेहद सतर्क थीं। उनकी कम उम्र की अल्हड़ता कभी हमारे लालन-पालन के आड़े नहीं आई। खुद के लिए उनकी कसौटी बेहद ऊंची थी; वह जो भी करतीं उसमें अपना बेस्ट देना चाहती थीं। और जब उनकी पूरी एनर्जी मुझ पर ही केंद्रित थी, तो वह उत्साह-उल्लास से भरी फुल-टाइम मॉम बन गईं।

उन्होंने घर के पिछवाड़े को मेरे लिए छोटा सा चिडि़याघर ही बना दिया, जिसमें सफेद चूहे, पक्षी, खरगोश और बतख भी शामिल थे, जिनके पीछे भागने पर मेरे घंटों यूं ही निकल जाते थे। मम्मी-पापा मेरे जन्मदिन को खास बनाने के लिए अलग तरह की पार्टी आयोजित करते। पार्टी के दावतनामे पर मेरी अच्छी सी फोटो होती, और हर पार्टी किसी न किसी थीम पर होती। मेरे जन्मदिन के सबसे यादगार तोहफों में मिला एक छोटी सी टोकरी में पैक हुआ सफेद, नरम रोयेंदार पिल्ला था, डिंकी, जो बड़े होकर बेहद हसीन पॉमरेनियन बना, जिस पर हम सब जान छिड़कते थे।

मेरी यादों में पापा बेहद नरमदिल इंसान थे। वैसे जैसे कि हर बच्चा अपने पापा में ढूंढता है। ‘उठ जाओ, नीलोफर’ ——स्कूल जाने के लिए उठाने की उनकी आवाज़ आज भी मेरे कानों में बसी है। ‘देखो न, वे पक्षी तुम्हें कितने प्यार से बुला रहे हैं।’ वे मुझे खुद लॉरेटो कॉन्वेंट छोड़ने जाया करते थे, रास्ते में हमारे पास सुनाने के लिए बहुत सी कहानियां होती थीं। पता नहीं क्यों उनकी हर कहानी में टाइगर्स घुस आया करते थे, जिनका उन्होंने अपने हंटर ट्रिप के दौरान शिकार किया होता था!

(ब्यूटीशियन शहनाज हुसैन की अगली कडि़यों में हम आपको नए पहलुओं से अवगत कराएंगे। आप हमारी मैगजीन के साथ निरंतर जुड़े रहें तथा इस सीरीज का आनंद उठाएं। शहनाज का जीवन अन्य लोगों के लिए प्रेरणा की तरह है। उनके जीवन संघर्ष से लोग काफी कुछ सीख सकते हैं। जीवन में आने वाली कठिनाइयों से कैसे पार पाया जा सकता है, यह सीख हमें शहनाज के जीवन से मिलती है।)


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