ओपीएस के लिए… पेन डाउन स्ट्राइक

By: दिव्य हिमाचल ब्यूरो- ऊना Nov 25th, 2020 12:24 am

ऊना-जिला ऊना में न्यू पेंशन तथा पुरानी पेंशन में आने वाले कर्मचारियों ने एकजुटता दिखाते हुए एनपीएस कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर मंगलवार को अपने कार्यालयों में पेन डाउन हड़ताल की। स्ट्राइक में प्रदेश के 55 बडे़ संगठनों ने सहयोग व समर्थन दिया। इस दौरान पुरानी पेंशन बहाली के लिए संगठन द्वारा किए जा रहे प्रयास तथा भविष्य में संगठन की रणनीति बारे चर्चा की गई। इस दौरान सभी कर्मचारियों को नई पेंशन की खामियों से भी अवगत करवाया गया। नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ ऊना के महासचिव नीरज सैणी ने कहा कि मंगलवार को ऊना के सभी सरकारी कार्यालय  में पेन डाउन स्ट्राइक सफल रही। यह पेन डाउन स्ट्राइक सभी सरकारी कार्यालयों पर की गई। राज्य सचिव भरत शर्मा ने बताया कि पूरे प्रदेश कर्मचारियों ने जिस तरह पेन डाउन स्ट्राइक को सफल बनाया है, उम्मीद है सरकार को एक संदेश पहुंच गया है कि कर्मचारी अब अपनी पुरानी पेंशन को लेकर जागरूक है।

हिमाचल प्रदेश का सरकारी कर्मचारी इस वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौर में हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ है। अपने प्रदेश के लोगों को महामारी से बचाने के लिए स्वास्थ्य कर्मी, पुलिस विभाग कोविड-19 से लगातार लड़ रहे है। हिमाचल प्रदेश के अन्य कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं सब मिलकर इस वैश्विक महामारी से लड़ेंगे और अपनी पुरानी पेंशन के लिए भी। एक तरफ तो शपथ लेने के बाद विधायक एवं सांसद पुरानी पेंशन के हकदार हो जाते हैं। वहीं, दूसरी ओर 10 से 15 वर्ष सेवा देने के उपरांत अगर आज किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, जिसकी तनख्वाह 40,000 है अगले महीने से उसे 500 पेंशन लगेगी तो ऐसे में वह कैसे अपना गुजारा कर पाएगा। इसलिए पुरानी पेंशन बहाली तक संघर्ष जारी रहेगा। वैसे तो 2017 के बाद मुख्यमंत्री से लेकर सभी कैबिनेट मंत्रियों को सैकड़ों बार पुरानी पेंशन बहाली के लिए ज्ञापन दिए जा चुके हैं, परंतु पिछले एक महीने के अंदर एनपीएस कर्मचारी महासंघ पुरानी पेंशन बहाली हेतु राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से और तीन बार मुख्यमंत्री से मिल चुका है।

इसके अलावा उप मंडल अधिकारी एवं उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन दिए गए है। परंतु अभी तक एक बार भी सरकार द्वारा संगठन के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए नहीं बुलाया गया है। सरकार से आश्वासन मिलने के बावजूद भी अभी तक हिमाचल प्रदेश में 2003 से 2017 के बीच सेवानिवृत्त हुए सरकारी कर्मचारियों को  डीसीआरजी नहीं मिली है, न ही केंद्रीय अधिसूचना 2009 जिसमें कर्मचारी के दिव्यांग एवं दिवंगत होने पर उनके परिवार को परिवारिक पेंशन की राहत प्रदान है, हिमाचल में लागू की गई है। अगर सरकार अब भी हमारी बात को नहीं सुनती है तो संघर्ष को और तेज किया जाएगा। आने वाले पंचायत चुनाव में कर्मचारियों का समर्थन उसी व्यक्ति को मिलेगा जो पुरानी पेंशन बहाली को समर्थन देगा। जिला प्रधान कमल चौधरी ने कहा कलम छोड़ो हड़ताल पूरी तरह सफल रही।


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