घर में आयुर्वेद

By: - डा. जगीर सिंह पठानिया Nov 7th, 2020 12:11 am

– डा. जगीर सिंह पठानिया

सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक,

आयुर्वेद, बनखंडी

लौकी की उपयोगिता

लौकी  का बेलनुमा पौधा होता है, जो धरती पर भी फैलता है, वृक्षों पर भी फैलता है तथा इसकी अच्छी फसल के लिए कृत्रिम सहारा यानी तन कौरा भी बनाए जाते हैं। इसे सब्जी के रूप में, चने की दाल में बेसन डाल कर पकोड़े के रूप में, सूप बना कर व जूस के रूप में, दही में डाल कर रायता बनाकर प्रयोग किया जाता है। स्वास्थ्य के लिए यह जूस के रूप में व सूप बना कर लेने से सर्वोत्तम लाभकारी है क्योंकि कुकिंग से इसके ज्यादातर विटामिन व मिनरल्ज नष्ट हो जाते हैं। इसमें विटामिन ए, बी, सी, के, व लोहा, पोटाशियम, मैगनीशियम, कैल्शियम जैसे तत्त्व पाए जाते हैं। इसमें 91ः से ऊपर जलीय अंश होता है।

गुण व कर्म

लौकी हमारे शरीर को जलीय अंश से भरपूर रखती है। शरीर की गर्मी को कम करती है। नाक के रक्त स्राव, पिंपल और अल्सर में लाभकारी है।

शरीर के वजन को कम करना

इसमें बहुत कम कैलोरी होती है। चयापचय को ठीक करके शरीर के वजन को घटाती है। एंटी डायबिटिक के रूप में अग्निश्य के कर्म में सुधार लाती है, इन्सुलिन का स्राव बढ़ता है तथा कार्बोहाइड्रेट के ठीक पाचन व शुगर को नियंत्रित करने में सहायक है। पाचन संस्थान में दीपन पाचन होने में भोजन को ठीक पचाती है। कब्ज नहीं होने देती तथा अर्श में भी लाभकारी है। लौकी हमारे शरीर के इलेक्ट्रोलेट्स को भी समान्य रखने में  सहायक है।

 मानसिक विकारों में लौकी स्ट्रेस व अवसाद से दूर रखने में सहायक है। अन्य मानसिक विकारों में भी लाभप्रद है तथा नींद लाने में भी सहायक है। काम करने के बाद आने वाली थकावट में अगर इसके सूप का, जूस का प्रयोग किया जाए, तो खोए हुए कार्बोहाइड्रेट जल्दी प्राप्त करवाती है। स्ट्रेस को कम करके मांसपेशियों को ताकत देती है। समय से पहले बालों के सफेद होने से बचाती है।


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